मोदी-शाह की रंगा-बिल्ला की जोड़ी ने अपने सारे उदारपंथी समर्थकों के गालों पर तमाचा जड़ते हुए ‘योगी’ आदित्यनाथ (अजय सिंह बिष्ट) को उत्तर प्रदेश की गद्दी पर बैठा दिया। जैसा कि किसी ने टिप्पणी की, यह ’डेवलेपमेन्ट’ की नयी ‘स्पेलिंग’ है। इसमें यह जोड़ना होगा कि मोदी के ‘डेवलेपमेन्ट’ की यही सही स्पेलिंग है।
भारत के बड़े पूंजीपति वर्ग और पूंजीवादी व्यवस्था के उदारपंथी पैरोकारों ने पिछले कुछ सालों में मोदी के खूनी चेहरे को धो-पोंछकर और लीप-पोतकर काफी ‘मानवीय’ बनाने का प्रयास किया है। इसके लिए उन्होंने हर संभव तर्क पेश किये हैं। मोदी के हर कुकर्म को ढंकने की कोशिश की है।
मोदी-शाह की जोड़ी द्वारा सारे जातिगत जोड़-तोड़ तथा साम्प्रदायिक धुव्रीकरण के द्वारा (चुनावी धांधली की फिलहाल छोड़ दें तो भी) हाल के उत्तर प्रदेश के चुनाव जीतने को भी इन्होंने अपनी इसी चाल से खुशनुमा रंग में रंगने की कोशिश की। इसे मोदी के विकास के नारे की लहर का नतीजा बताया। पर अभी उनके लेखों की स्याही सूखी भी नहीं थी तथा उनके प्रवचनों की आवाज तिरोहित भी नहीं हुई थी कि मोदी ने उनके मुंह पर करारा थप्पड़ जड़ दिया। उनकी एक झटके के बोलती बंद कर दी। मोदी ने घोषित कर दिया कि हिन्दू फासीवाद ही उनका असली एजेन्डा है। इसी के दम पर वे 2002 से देश की पूंजीवादी राजनीति में आगे बढ़ते रहे हैं और 2019 के चुनावों में भी यही होगा। 2019 के आम चुनाव की तैयारी शुरु हो चुकी है।
संघ परिवार का हिस्सा और उसके हिन्दू फासीवादी एजेन्डे को आगे बढ़ाने वाली भाजपा हमेशा से ही ऐसी रही है। केवल चुनावी मजबूरियों के चलते ही उसने बीच-बीच में नकाब पहना है पर अवसर आते ही उसने अपने खूनी पंजे बाहर कर दिये हैं।
उदारीकरण के समूचे दौर में भारत का बड़ा पूंजीपति वर्ग पूरी कोशिश करता रहा है कि भाजपा एक रुढ़िवादी दक्षिणपंथी पार्टी के रूप में स्थापित हो जाये और उसकी व्यवस्था को संचालित करे। इसीलिए वह और उसके बुद्धीजीवि इसके सारे कुकर्मों पर पर्दा डालकर उसे साफ-सुथरे रूप में पेश करते रहे हैं। इस दिशा में उन्होंने वाजपेयी से लेकर मोदी तक लंबी यात्रा तय की है। अब योगी के मामले में यह नये सिरे से शुरु होगी। भेड़िये को मेमना बताने की कोशिश की जायेगी।
भाजपा का उत्थान भारत के पूंजीवाद के पतन और संकट की अभिव्यक्ति है। लेकिन यह एक भीषण खतरे का संकेत भी है। यह इस बात का संकेत है कि संकट के तीखा होने पर भारत का पूंजीपति वर्ग हिन्दू फासीवाद की शरण ले लेगा और अपने टूटे-फूटे व विकृत जतनतंत्र को त्याग देगा।
इस स्थिति से बचने का एक ही तरीका है-मजदूर वर्ग द्वारा सशक्त प्रतिरोध। मण्डल को कमंडल ने जज्ब कर लिया है। अब केवल मजूदर वर्ग ही इसका रास्ता रोक सकता है। साथियों ! अपने-अपने मोर्चे संभालो।
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