गतिविधि

गौरी की हत्या के विरोध मे राष्ट्रपति  को ज्ञापन 

 इंक़लाबी मज़दूर केंद्र , किसान सभा, व नव क्रान्ति दल के कार्यकर्ताओं ने दिनांक 12- 9- 17 को कन्नड़ लेखिका व पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के खिलाफ एक सभा की व महामहिम राष्ट्रपति को संबोधित एक ज्ञापन जिलाधिकारी बदायूं के माध्यम से भेजा।
वक्ताओं ने कहा गौरी लंकेश की हत्या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की हत्या है।आज धार्मिक कट्टरपंथी व फासीवादी ताकतें समाज में नफरत के बिज बो रही है। चारो तरफ नफरत का माहौल पैदा कर समाज को संवेदनहीन भीड़ में तवदील किया जा रहा है । और भीड़ को लोगों की हत्या के लिए उकसाया जा रहा है। कट्टरपंथी ताकतें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता ,प्रगतिशील व क्रांतिकारी विचारों को कोई भी जगह देने को तैयार नहीं है।विरोधी विचारों को बलपूर्वक दवाया जा रहा है ।और लोगों की हत्याएं की जा रही हैं। और हमारे ही समाज का एक हिस्सा इतना संवेदन शून्य हो गया है की वह इन हत्याओं को जायज ठहराता है और जश्न मनाता है। 
ऐसी ही मानसिकता के लोगों ने गौरी लंकेश की हत्या की है।और ये लोग खुले में मज़ाक उड़ा रहे है क्योंकि इन्हें सरकारों का समर्थन प्राप्त है।

लेकिन इसके वाद भी प्रतिरोध की आवाज को दवाया नहीं जा सकता और इस देश की प्रगतिशील व क्रांतिकारी ताकतें फ़ासीवादियों के इन घृणित कृत्यों को वर्दाश्त नहीं करेगी।गौरी लंकेश के कट्टरपंथ विरोधी विचार हमेशा लोगों को ऊर्जा देते रहेंगे।

गौरी लंकेश की हत्या के विरोध मे प्रदर्शन  व विरोध मार्च 


      फरीदाबाद ,  8 सितम्बर, इंकलाबी मजदूर केंद्र, वीनस वर्कस यूनियन औऱ मजदूर मोर्चा अखबार ने बेंगलुरु मे कन्नड़  महिला पत्रकार व "लंकेश पत्रिके" की सम्पादक गौरी लंकेश की हत्या के खिलाफ 'प्रदर्शन एवं  विरोध मार्च' किया । विरोध मार्च स्थानीय 
 बी.के. चौक से नीलम चौक तक निकाला गया । प्रदर्शनकारियों ने  गौरी  स्थानीय लंकेश की कायराना हत्या की कड़े शब्दों में निन्दा किया तथा हत्यारों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने की मांग की ।                                     इंकलाबी  मजदूर केंद्र के शहर सचिव संजय मौर्या ने बताया कि गौरी लंकेश कर्मठ, बहादुर पत्रकार व कुशल सम्पादक  थीं । भाजपा, आर.एस.एस. जैसे फासीवादी संगठनों नफरत फैलाने वाली राजनीति व फेक न्यूज का आये दिन अपनी लेखनी से एक्सपोज करती थीं । उनकी धार्मिक उन्मादियों द्वारा की गयी कायराना हत्या लिखने बोलने की अभिव्यक्ति व प्रेस की आजादी की हत्या है । वीनस यूनियन के नेता श्री वीरेन्द्र चौधरी ने कहा कि नये विचार व सपनों की हत्या किसी बन्दूक अथवा तोप से नहीं की जा सकती । एक गौरी की निर्मम हत्या से हजार गौरी पैदा होंगी । मजदूर मोर्चा के सम्पादक का. सतीश चौधरी ने कहा कि जब से केंद्र मे भाजपा आर.एस.एस. की सरकार बनी है तब से दलितों, मुसलमानों, सरकार की नीतियों की आलोचना करनेवाले कार्यकर्ताओं एवं पत्रकारों की हत्या बढ़ गई हैं । वर्तमान सरकार संविधान द्वारा प्रदत खाने - पहनने, बोलने-लिखने जैसे जनता के बुनियादी अधिकारों की रक्षा करने नाकाम है, ऐसा लगता है कि अपने निहित राजनीतिक स्वार्थ के लिए सरकार हत्यारों- गुण्डों को संरक्षण अथवा पाल पोस रही हैं ।प्रदर्शनकारियों  ने  हिन्दुत्ववादी फ़ासीवादियों को इस हत्या के लिये जिम्मेदार ठहराते हुए उनके खिलाफ जम कर नारे लगाये ।    
   हरिद्वार  मे  गौरी लंकेश की हत्या  के विरोध में इंकलाबी मजदूर केन्द्र  हरिद्वार व भेल मजदूर ट्रेड यूनियन , क्रान्तिकार लोक अधिकार संगठन , 
आल इण्डिया फैडरेशन आफ एसी/एस टी इम्लाईज , जन अधिकार संगठन के कार्यकर्ताओं ने फासिवादी ताकतो का पुतला दहन किया।
 इस अवसर पर कार्यकर्ताओं  ने "इंकलाब जिन्दाबाद ,
"फासीवादी ताकते मुर्दाबाद", हिन्दुत्ववादी सांप्रदायिक  संगठनो  को प्रतिबंधित करो",आदि नारे लगाये।
रुद्रपुर (उत्तराखण्ड) में 09/09/2017 को अपराह्न 3:00 बजे सहायक श्रमायुक्त कार्यालय (ALC), रुद्रपुर में  गौरी लंकेश की हत्या के विरोध में श्रमिक संयुक्त मोर्चा, ऊधम सिंह नगर द्वारा साम्प्रदायिक व फांसीवादी ताकतों का पुतला दहन कर विरोध प्रदर्शन किया व उनके हत्यारों की गिरफ्तारी की माँग की। धरना प्रदर्शन में श्रमिक संयुक्त मोर्चा, ऊधम सिंह नगर से महासचिव श्री गणेश मेहरा, एक्टू से प्रदेश अध्यक्ष श्री निशांत सिंह जी, श्री आनन्द नेगी जी, इंकलाबी मजदूर केंद्र से श्री दिनेश भट्ट , कु• पूर्णिमा , ब्रिटानिया श्रमिक संघ से श्री  शंकर कैड़ा, श्री गुंजन जोशी, इंट्रार्क पन्तनगर से श्री दलजीत सिंह, इंट्रार्क किच्छा से श्री पान मोहम्मद, महिन्द्रा सी• आई• ई• लालपुर से श्री सतवीर, महिन्द्रा सी• आई• ई• पन्तनगर से श्री मुकेश, श्री प्रताप, राने मद्रास से श्री विनोद शर्मा, ऐरा श्रमिक संघ से श्री भरत जोशी, श्री जगदीश नगरकोटी, टी• वी• एस• से श्री देवेंद्र कुमार, कांग्रेस युवा नेता श्री सुशील गाबा जी के साथ-साथ सैकड़ों अन्य साथियों ने भागीदारी की।
दिल्ली मे "नाँट इन माई नेम" के बैनर तले आहूत विरोध सभा मे इमके ने अन्य बिरादर व  जनवादी संगठनों  के साथ भागीदारी की।इस विरोध सभा में भारी संख्या में बुद्धिजीवियों , संस्कृति कर्मियों व राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं  ने  भागीदारी  की।
उधम सिंह  के शहीदी दिवस पर इमके व विभिन्न यूनियनों  दवारा  कार्यक्रम

   31 जुलाई 2017, जलियांवाला बाग हत्याकांड की साजिश रचने वाले उस समय के पंजाब के गर्वनर माइकेल ओ ड्वायर  को उसी के देश लदंन मे जाकर गोली मारकर मोोत के घाट  उतारने  वाले  जाबांज शहीद ऊधम सिंह के शहीदी दिवस  (31जुलाई)   के अवसर पर इमके व विभिन्न सहयोगी यूनियनों  ने शहीद उधम सिंह को याद करते हुये कार्यक्रम  किये।
   31जुलाई ऊधम सिंह के शहीदी दिवस पर इंकलाबी मजदूर केन्द्र के सदस्यों ने ट्रांजिट कैम्प रूद्रपुर में  प्रभातफेरी निकाली और सभा की।
     इन्टरार्क मजदूर सगंठन पन्तनगर ने प्लांट के गेट पर ऊधमसिंह की फोटो लगाकर शहीद को श्रद्धांजलि दी और ऊधम सिंह के विचारों पर चलते हुए मजदूर वर्ग की एकता, देशी विदेशी पूंजी के द्वारा किए जा रहे शोषण और उत्पीड़न के खिलाफ संघर्ष, देश में बढती साम्प्रदायिक ताकतों के खिलाफ संघर्ष करने का संकल्प लिया। श्रद्वांजलि देने वालों मे संगठन के अध्यक्ष दलजीत सिंह , महामंत्री- सौरभ कुमार के अलावा प्लांट के सैकड़ों मजदूर शामिल थे।
     31 जुलाई को ऊधम सिंह के शहीदी दिवस पर इन्टरार्क मजदूर सगंठन (किच्छा प्लांट) के मजदूरों ने प्लांट के गेट पर शहीद उधम सिंह की फोटो रखकर शहीद ऊधम सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की । इन्टरार्क मजदूर सगंठन  किच्छा प्लांट के अध्यक्ष राकेश कुमार ने कहा कि ऊधमसिंह जी ने जलियावाला बाग हत्याकांड की साजिश रचने वाले उस समय के पंजाब के गर्वनर माइकेल ओ ड्वायर को  13 मार्च 1940 में उसी के घर लदंन मे जाकर गोली मारकर हत्या कर जलियावाला बाग हत्याकांड का बदला लिया । इस पर अग्रेंजी हुकूमत ने  ऊधमसिंह को 31 जुलाई 1940 को फांसी पर लटका दिया। इन्टरार्क मजदूर सगंठन किच्छा के महामंत्री पान मोहम्मद ने कहा कि उधम सिंह जी ने अग्रेंजी हुकूमत के बाटों और राज करो की नीति के तहत साम्प्रदायिक दंगे फैलाने के खिलाफ सघंर्ष चलाया और अपना नाम बदलकर ’राम मुहम्मद सिंह आजाद’ रखकर कौमी एकता का नारा बुलंद किया था। आज देश में बढ़ रही साम्प्रदायिक ताकतों के खिलाफ मजदूर वर्ग को शहीद  उधम सिंह  के विचारों को अपनाकर संघर्ष विकसित करना होगा यही मजदूरों की ओर से  शहीद ऊधमसिंह को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
      ऐरा श्रमिक संगठन के मजदूरों के परिजनो (महिलाओं व बच्चो)ने शहीद उधम सिंह  के शहीदी  दिवस पर जिला कलेक्ट्रेट में  शहीद उधम सिंह  की स्मृति  माल्यार्पण कर उनके आदर्शो पर चलने का सन्कलप लिया।
ब्रिटिश  राज की तुलना आज के पूजीवादी शासन से करते हुए  विभिन्न वक्ताओं ने एरा मजदूरों  के परिजनों खासकर बच्चों   के सत्याग्रह व शासन प्रशासन दवारा इनकी लगातार उपेक्षा  पर विस्तार से विमर्श किया ।गौरतलब है कि पिछले बत्तीस दिनों से जिला कलेक्टेड में ये नन्हें मुन्ने बच्चे और महिलाएं बैठी हुई है लेकिन जिला प्रशासन मालिकों के तावे में छिपा बैठा  है। एरा कम्पनी के मजदूरों को पिछले 5 माह का वेतन नहीं मिला है । 25 जनवरी 2017 से कम्पनी मे बिजली पानी कटी है ,उत्पादन बंद है, मजदूर रोज सुबह 9:00 बजे डयूटी पर जाते हैं सांय 6:00 बजे वापस घर लौटते हैं। पिछले5 माह से वेतन नही मिलने से मजदूरों के बच्चों का स्कूल बंद है। घर पर भूखों मरने की हालत है। इसी कारण एरा मजदूरों के बीबी बच्चों ने 30 जून 2017 से जिलाधिकारी उधम सिंह नगर के आँफिस के बाहर धारा 144 को तोड़कर धरना दिया है। महिलाओं और बच्चों के धरने के दवाब में ALC द्वारा वेतन हेतु कम्पनी की  RC काटी हैं। लेकिन जिला प्रशासन कम्पनी से वेतन की रिकबरी करने में हीलाहवाली कर रहा है। आज 31 जुलाई को भी महिलाओं और बच्चों ने शहीद उधम सिंह की तस्वीर व अपनी मांगों को लेकर जुलूस निकाला जुलूस पश्चात जिलाधिकारी आँफिस के सामने लगी शहीद उधम सिंह की प्रतिमा पर माल्याघर्पण कर शहीद उधम सिंह को  उनके शहीदी दिवस (31 जुलाई) को श्रद्वाजंलि दी और सभा कीः
 उधम सिंह  के शहीदी दिवस की पूर्व  बेला पर विभिन्न  कार्यक्रम

       रुद्रपुर,उधम सिंह नगर  (उत्तराखण्ड) 31 जुलाई 1940 ऊधम कार्यक्रम सिंह की शहीदी दिवस की याद मे आज 30 जुलाई को इन्टरार्क मजदूर सगंठन(पन्तनगर),इन्टरार्क मजदूर सगंठन(किच्छा), और इंकलाबी मजदूर केन्द्र, द्वारा एक विचार गोष्टी का आयोजन -गंभीर मैरिज पैलेस रुद्रपुर मे किया।जिसमें सिडकुल पन्तनगर की कई युनियनों एरा, बिट्रानिया , डेल्टा , थाई सुमित नील ओटो , टाटा याजाकि,महिंद्रा एंड महिंद्रा , महिंद्रा सी.आई.ई. ,मंत्री मेटालिक, के प्रतिनिधियों के अलावा रिचा श्रमिक संगठन काशीपुर, बेलसोनिका मजदूर यूनियन गुडगाँव, भेल मजदूर ट्रेड यूनियन हरिद्वार, एवरेस्ट मजदूर सगंठन रुडकी, क्रांतिकारी लोक अधिकार सगंठन, ठेका मजदूर कल्याण समिति पन्तनगर, श्रमिक सयुंक्त मोर्चा ऊधमसिंह नगर , अ.भा.कि.म.स. ठाकुरद्वारा , मजदूर सहयोग केन्द्र ,इंकलाबी मजदूर केन्द्र रुद्रपुर, के साथियों ने व वुद्धिजीवी साथियों ने भागीदारी की।और शहीद ऊधम सिंह को माल्यापर्ण व पुष्पाजंलि अर्पन कर  श्रद्धांजलि दी।विचार गोष्टी मे साथियों ने कहा कि ऊधमसिंह को याद करने का मतलब देशभर मे बड रही सांम्प्रदायिकता के खिलाफ एकजुट होने , देशी विदेशी पूंजी के शोषण उत्पीड़न के खिलाफ लडना है, मजदूर वर्ग की विचारधारा को ग्रहण कर मजदूर राज समाजवाद के लिए संघर्ष करना है। ऊधमसिंह - भगतसिंह के क्रांतिकारी विचारों को 
समझकर उनके सपनों को पूरा करने का संकल्प लेकर काम करना ही ऊधमसिंह को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। कार्यक्रम मे  प्रगतिशील सांस्कृतिक मचं के साथियों द्वारा क्रांतिकारी गीतों द्वारा शमा बांधा गया। कार्यक्रम मे करीब 700 मजदूर साथियों ने भागीदारी की। 
        काशीपुर (उत्तराखण्ड) 30 जुलाई को शहीद उधम सिंह के शहादत दिवस के एक दिन पूर्व इंकलाबी मजदूर केंद्र , रिचा श्रमिक सन्गठन , परिवर्तनकामी७ छात्र संगठन व प्रगतिशील महिला एकता केंद्र द्वारा पंत पार्क काशीपुर उत्तराखण्ड में सभा व जुलूस निकालकर शहीद उधम सिंह को श्रद्धाजंलि दी।
सभा  का संचालन इमके के महासचिव  खीमानंद ने किया। सभा मे बोलते हुए उन्होंने कहा कि शहीद उधम सिंह का शहीदी दिवस मनाने का साफ मतलब है कि आज जहां   देशी -विदेशी पूजी  के गठजोड के खिलाफ एकजुट हुआ जाये । वहीं दूसरी ओर  देश मे फलफूल रहे भगवा आतंकवाद , जो कि फासीवाद का ही एक रूप है , के खिलाफ   भी जनता को संगठित करना होगा। यदि कोई ऐसा नही कर रहा है तो वह उधम सिंह के विचारों को आगे बढ़ाने का काम नही कर रहा है। साम्प्रदायिकता के खिलाफ कौमी एकता को बुलन्द  करने के लिये ही शहीद उधम सिंह ने अपना नाम राम मोहम्मद सिंह आजाद रख लिया था। प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की वक्ता ने कहा कि  शहीद उधम सिंह देश के सच्चे सपूतों में हैं जिन्होंने करोङों करोड़ भारतीय जनता के गुस्से का बदला ब्रिटिश शासकों से उनके ही देश मे लिया। 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियावाला बाग में हुए हजारों हिन्दुस्तानियो की हत्या का बदला लेने के उद्देश्य से उन्होंने 13 मार्च 1940 को पंजाब के तत्कालीन गवर्नर ओ डवायर की ब्रिटेन में गोली मारकर हत्या कर दी। 31 जुलाई 1940 को 41 वर्ष की आयु में उधम सिंह शहीद कर हो गये । सभा  के बाद शहर में जुलूस निकालकर कौमी एकता बनाये रखने और उसे मजबूत करने के लिये , जाति धर्म मे नही बटेंगे , मिलजुल कर संघर्ष करेंगे जैसे  नारे लगाये गये।
        फरीदाबाद  (हरियाणा)  में 30 जुलाई  को इंकलाबी  मजदूर  केंद्र द्वारा एक  विचार  गोष्ठी का आयोजन किया  गया। गोष्ठी में इमके के अलावा परिवर्तनकामी छात्र सन्गठन  व प्रगतिशील महिला एकता केंद्र  के कार्यकर्ताओ,  विभिन्न मजदूर  यूनियनों  व सामाजिक  कार्यकर्ताओं  ने भागीदारी की। गोष्ठी के पश्चात चौक स्थल बाटा से बी.के. चौक तक साम्प्रदायिकता के खिलाफ जुलूस  निकाला।
गोमांस के नाम पर जुनेद की हत्या के विरोध में प्रदर्शन

फरीदाबाद 25 जून 2017, हिन्दुत्व के उन्माद में हैवान बने लंपटो द्वारा ईद से पूर्व दिल्ली से खरीदारी कर लौट रहे बल्लभगढ़ कें खंदावली गांव के 16 वर्षीय किशोर जुनेद की चलती ट्रेन में हत्या व उसके भाई एवं गांव के ही अन्य लड़के को गंभीर रूप से घायल करने के खिलाफ इंकलाबी मजदूर केन्द्र द्वारा 25 जून को स्थानीय बी.के. चौक पर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान कार्यकर्ताओं ने मोदी राज में अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमलों पर आक्रोश प्रकट करते हुए हिन्दू फासीवादी ताकतों के खिलाफ जबर्दस्त नारेबाजी की। 
प्रदर्शनकारी अपने हाथों में बैनर लिये हुए थे जिनमें भाजपा व संघ परिवार की साम्प्रदायिक राजनीति की खिलाफत व मजदूर वर्ग की क्रांतिकारी एकता बुलंद करने के नारे लिखे थे। 
इस अवसर पर एक संक्षिप्त सभा का भी आयोजन किया गया। सभा में वक्ताओं ने कहा कि भाजपा के केन्द्र में सत्तासीन होने के बाद हिन्दू साम्प्रदायिक शक्तियों को खुलकर खेलने की छूट मिली गयी है। गौरक्षा के नाम पर लंपट तत्वों द्वारा मुसलमानों व दलितों पर हमले किये जा रहे हैं। इन लंपट तत्वों को सत्ता का खुला समर्थन मिला हुआ है। आज हिन्दू फासीवादी बात, विचार अभिव्यक्ति, खान पान, रहन सहन, आजादी व प्रेम सभी को नियंत्रित कर देश को एक निकृष्ट फासीवादी राज्य बनने की ओर धकेल रहे हैं। ऐसे में सभी शोषितों, उत्पीड़ितों, मजदूर मेहनतकश आबादी एवं न्यायप्रिय जनता को फासीवाद के बढ़ते हमले के खिलाफ एकजुट होना पड़ेगा। 
वक्ताओं ने कहा कि आज हिन्दू फासीवादियों द्वारा समाज में इतना जहर घोल दिया गया है कि मुस्लिमों, ईसाइयों व दलितों के खिलाफ हिंसा रूकने का नाम नहीं ले रहीं है। आज फासीवाद के खिलाफ संघर्ष जनवाद व आजादी की रक्षा के लिए बहुत जरूरी है। 

इस कार्यक्रम में इमके आलावा पछास, वीनस वर्कर्स यूनियन एवं सामाजिक कार्यकर्ता रामफल जांगड़ा व उनके साथियों ने भी शिरकत की।
सहारनपुर में दलितों के उत्पीड़न के खिलाफ जंतर मंतर पर धरना
नई दिल्ली 13 मई, उत्तरप्रदेश के सहारनपुर में दलितों के खिलाफ राजपूत जाति के दबंगों एव पुलिस प्रशासन के गठजोड़ द्वारा की जा रही दमनात्मक कार्यवाही का दिल्ली के तमाम जनवादी व प्रगातिशील संगठनोें द्वारा विरोध करते हुए जंतर मंतर पर एक धरना व सभा की गयी।
सभा में सहारनपुर की जाति उत्पीड़न की घटना को दलितों के खिलाफ एक सुनियोजित हमला बताते हुए इसे देश भर में दलितों के खिलाफ जातिवादी तत्वों व सत्ता दल का एक हमला करार दिया गया। वक्ताओं ने सहारनपुर में दलितों के खिलाफ दबंगों द्वारा की गयी सामूहिक हिंसा को दो समुदायों के झगड़े के रूप में प्रचारित करने की तथाकथित मुख्यधारा के मीडिया की आलोचना की।
वक्ताओं ने घटना के पूरे ब्योरे को रखते हुए कहा कि एक तरफ शासन सत्ता दलितों का वोट लेने के लिए अंबेडकर के प्रति सम्मान प्रदर्शित करने का ढोंग प्रदर्शित करती है तो दूसरी ओर 14 अप्रैल को सहारनपुर के शब्बीरपुर में दलितों को रविदास मंदिर के बाहर मूर्ति नहीं लगाने दी जाती है। सवर्ण पूर्वाग्रहों से ग्रासित यही प्रशासन 5 मई को सवर्ण दंबगों को महारणाप्रताप की जयंती पर लाठी-तलवारों से लैस होकर दलित बस्ती में जुलूस निकालने की अनुमति दे देता है। सवर्ण दबंगों द्वारा दलितों को उनकी बस्ती के भीतर भयक्रांत करने, रविदास मांदिर पर हमला कर रविदास की मूर्ति तोड़ने, दलितों के 50-55 घरों व 10 खोखों को जलाने व एवं महिलाओं बच्चों सहित दर्जन भर दलितों को गंभीर रूप से घायल करने जैसी इकतरफा दमन उत्पीड़न की कार्यवाही को नजरंदाज करते हुए पुलिस प्रशासन दलित युवाओं के संगठन भीम सेना को ही दोषी ठहरा रहा है और दलित छात्रावासों तक में छापेमारी कर रहा है। यह हमारी शासन व्यवस्था में ऊपर से नीचे तक सवर्ण मानसिकता की गहरी पैठ को दिखाता है।
वक्ताओं ने कहा कि दबंग सवर्णों द्वारा दलितों-अल्पसंख्यकों पर हमले पहले भी हुए है लेकिन मोदी और योगी के राज में अब हमले सत्ता के संश्क्षण में होते हैं। देश भर में सत्ता के संरक्षण व अभयदान के चलते ‘गो रक्षक’ कर रहे हैं, उत्पात मचा रहे हैं। फासीवादी तत्वों द्वारा देश की मिली जुली संस्कृती एवं प्रतिरोध व न्याय की हर आवाज को कुचला जा रहा है।
वक्ताओं ने कहा कि भाजपा व संघ मंडली के रामराज का पूर्वाभास आज सभी को हो रहा है। इनका रामराज दलितों-शोषितों, नारियों व अल्पसंख्यकों के लिए ब्राहमणवादी व्यवस्था के तहत गुलामी ही होगी।
सभी वक्ताओं ने संघर्ष को जारी रखने एवं दलित उत्पीड़न के खिलाफ प्रतिरोध की आवाज को और व्यापक व बुलंद करने का संकल्प व्यक्त किया। 
जंतर मंतर पर हुए इस धरने व सभा में इंकलाबी मजदूर केन्द्र, जाति उन्मूलन संगठन, ए.आई.एफ.टी.यू., आई.सी.टी.यू., परिवर्तनकामी छात्र संगठन, प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र, सी.पी.आई.एम.एल. ;न्यू डेमोक्रेसी), भगाना कांड संघर्ष एवं भीम सेना सहित कई संगठनों के प्रतिनिधियों व कार्यकर्ताओं ने भागीदारी की।

सभा के अंत में सभी भागीदार संगठनों की तरफ से इस मामले में दोषी दबंगों को गिरफ्तार कर दंडित करने एवं दलितों  के उत्पीड़न पर रोक लगाने की मांग करते हुए राष्ट्रपति को एक ज्ञापन प्रोषित किया गया।

जोशो खरोश से मनाया मई दिवस
इंकलाबी मजदूर केन्द्र ने 1 मई को विभिन्न स्थानों पर ट्रेड यूनियनों व बिरादर संगठनों के साथ मिलकर जोशो खरोश से अतराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया। इस अवसर पर विभिन्न स्थानों-औद्योगिक इलाकों व मजदूर बस्तियों में प्रभात फेरी, जुलूस गोष्ठी व मई दिवस सभाओं का आयोजन किया। 
उत्तराखंड के रुद्रपुर,पतंनगर, लालकुआं, हरिद्वार, काशीपुर, रामनगर आदि स्थानों पर मई दिवस पर विभिन्न कार्यक्रम किये गये। चौक 
रुद्रपुर में विभिन्न ट्रेड यूनियनों व मजदूर संगठनों के साथ मिलकर सिडकुल औद्योगिक क्षेत्र के ब्रिटाानिया चौक पर मई दिवस का आयोजन किया गया। मई दिवस के कार्यक्रम में शामिल ट्रेड यूनियन व संगठनों में प्रमुख रूप से ब्रिटानिया श्रमिक संघ, राने मद्रास इम्प्लाइज यूनियन, डेल्फी टीवीएस संयुक्त कर्मकार यूनियन, मंत्री मैटेलिक्स, आटोलइन, टाटा मोटर्स यूनियन, एडविक हाई टैक, पारले मजदूर संघ, वोल्टास यूनियन, महिन्द्रा सीआईआई, किच्छा, जेसीएम, ऐरा बिल्डर्स, याजाकी, बड़वे यूनियन, थाई सुमित कामगार यूनियन, एन.पी.एल.ए.आई एस., इंकलाबी मजदूर केन्द्र, मजदूर सहयोग केन्द्र, एक्टू, सीटू व किसान मोर्चा आदि शामिल थे।
इससे पूर्व इंकलाबी मजदूर केन्द्र ने 29 एवं 30 अप्रेल को सुबह के वक्त औद्योगिक क्षेत्र सिडकुल के प्रवेश द्वार पर सभा का आयोजन किया तथा मजदूरों को मई दिवस की क्रांतिकारी विरासत से परिचित कराते हुए आज के दौर में मजदूर वर्ग के सामने प्रस्तुत चुनौतियों से परिचित कराया। 
पंतनगर में मई दिवस के अवसर पर इंकलाबी मजदूर केन्द्र, पंतनगर ट्रेड यूनियन संयुक्त मोर्चा एवं ठेका मजदूर कल्याण समिति के  द्वारा संयुक्त रूप से जुलूस निकाला गया एवं सभा की गयी। 
काशीपुर में मई दिवस के अवसर पर इंकलाबी मजदूर केन्द्र एवं रिचा श्रमिक संगठन द्वारा स्थानीय पंतपार्क में सभा की गयी एवं महाराणा प्रताप चौक तक जुलूस जुलूस निकाला गया। 
रामनगर (नैनीताल) में इंकलाबी मजदूर केन्द्र और अन्य संगठनों ने मई दिवस आयोजन समिति के बैनर तले मई दिवस सभा का आयोजन किया तथा शहर में जुलूस निकाला। इस अवसर पर इंकलाबी मजदूर केन्द्र व परिवर्तनकामी छात्र संगठन के साथियों ने ‘मई दिवस जिंदाबाद’ नाटक का मंचन किया। 
हरिद्वार में इंकलाबी मजदूर केन्द्र व भेल मजदूर ट्रेड यूनियन द्वारा संयुक्त तौर पर मई दिवस की सभा की। 
हरियाणा के गुड़गांव में इंकलाबी मजदूर केन्द्र व बेलसोनिका यूनियन द्वारा मई दिवस के अवसर पर संयुक्त तौर पर सभा का आयोजन किया। इस सभा में सैकड़ों मजदूर उपस्थित थे। इस सभा में बेलसोनिका यूनियन द्वारा मारुति के जेल में बंद साथियों कें नाम पे्रषित पत्र को पढ़ा गया तथा फर्जी मुकदमों में फंसाये गये एवं अदालत द्वारा आजीवन कैद, व अन्य कठोर दंड पाये श्रमिकों को मजदूर वर्ग के नायक घोषित करते हुए मारुति के मजदूरों के संघर्ष के साथ एकजुटता प्रदर्शित की गयी। सभा में महान अक्टूबर क्रांति के सबकों व शिक्षाएं एवं कम्युनिष्ट घोषणा पत्र की शिक्षाओं एवं मई दिवस की क्रांतिकारी विरासत पर विभिन्न वक्ताओं ने विस्तार से विचार व्यक्त किये।
फरीदाबाद में इंकलाबी मजदूर एवं वीनस इंडस्ट्रियल वर्कर्स यूनियन के संयुक्त तत्वाधान में मई दिवस की सभा का आयोजन हुआ। 
दिल्ली में मई दिवस के अवसर इंकलाबी मजदूर केन्द्र, प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र एवं परिवर्तनकामी छात्र संगठन द्वारा मजदूर बस्ती शाहबाद डेरी मंे संयुक्त तौर पर मई दिवस सभा का आयोजन किया गया। सभा में मई दिवस के इतिहास पर आधारित नाटक ‘मई दिवस’ का मंचन भी किया गया। दोपहर में औद्योगिक मजदूरों के बीच भी इस नुक्कड़ नाटक का मंचन किया गया। इससे पूर्व शाहबाद डेरी में मई दिवस के शहीदों को याद करते हुए एक प्रभातफेरी भी निकाली गयी। 
उत्तर प्रदेश के बरेली, मऊ एवं बलिया जिलों मंे भी मई दिवस मनाया गया।
बरेली मंे इंकलाबी मजदूर केन्द्र द्वारा स्थानीय दामोदर पार्क में एक सभा की गयी। सभा में मार्केट वर्कर्स एसोसिएशन, मेडिकल वर्कर्स एसोसिएशन, मेडिकल वर्कर्स यूनियन, परिवर्तनकामी छात्र संगठन, क्रांतिकारी लोकअधिकार संगठन के साथियों ने भागीदारी की। इस अवसर पर प्रगतिशील सांस्कृतिक मंच के साथियों द्वारा मजदूरों की जीवन स्थितियों पर आधारित एक नाटक का भी मंचन किया। सभा के बाद स्थानीय परसाखेड़ा औद्योगिक क्षेत्र में भी एक सभा की गयी। 
मऊ में भी इंकलाबी मजदूर केन्द्र द्वारा एक जुलूस निकाला गया तथा उसके बाद एक सभा की गयी। 
बलिया में मई दिवस के अवसर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। 
मई दिवस के अवसर पर इंकलाबी मजदूर केन्द्र द्वाारा केन्द्रीय स्तर पर एक पर्चा प्रकाशित किया गया जिसे विभिन्न औद्योगिक केन्द्रों व मजदूर बस्तियों में हजारों की संख्या में वितरित किया गया। 


मारुति मजदूरों की सजा के प्रतिवाद में सेमिनार
        16 अप्रैल 2017 - 13 मारुति मजदूरों के खिलाफ गुड़गांव जिला न्यायालय द्वारा उम्रकैद एवं अन्य 18 के खिलाफ कठोर दंड कें प्रतिवाद स्वरूप इंकलाबी मजदूर केन्द्र द्वारा फरीदाबाद (हरियाणा) एवं काशीपुर (उत्तराखंड) में सेमिनार आयोजित किये गये।
      फरीदाबाद में स्थानीय सेक्टर 24 औद्योगिक इलाके में सामुदायिक भवन में 16 अप्रैल को ‘‘मारुति मजदूरों का संघर्ष और राजसत्ता की भूमिका’’ विषय पर सेमिनार आयोजित किया गया। सेमिनार में इमके द्वारा विषय के अनुरूप शीर्षक से सेमिनार प्रस्तुत किया गया। 
        सेमिनार पत्र में मारुति मजदूरों को सुनाई गयी सजा को मजदूर आंदोलन को दबाने तथा मजदूरों को सबक सिखाने की नीयत से पूंजीपति वर्ग के दिशा निर्देश पर सुनाया गया फैसला बताया। सेमिनार पत्र में विस्तार से मारुति मजदूरों के संघर्ष के महत्व व उपलब्धियों पर चर्चा करते हुए बताया गया कि यूनियन बनाने के अधिकार, ठेकेदारी व स्थायी मजदूरों की संग्रामी एकता व संघर्ष व परंपरागत अप्रभावी तरीकों को तोड़कर नये जुझारू रूप अपनाने, व्यवस्थापरस्त ट्रेड यूनियन केन्द्रों के प्रभाव में न आने के चलते यह आंदोलन मारुति प्रबंधन सहित समस्त पूंजीपति वर्ग के लिए गहरी चिंता का विषय बन गया था। मारुति के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सी ई ओ) आर. सी. भार्गव ने इसे वर्ग संघर्ष की संज्ञा उचित ही दी थी।
        सेमिनार पत्र में मारुति मजदूरों पर लगाये गये फर्जी मुकदमों एवं अदालत की कार्यवाही को नाटक करार देते हुए कहा गया कि अभियोजन पक्ष के हास्यपद तथ्यों, सबूतों व गवाहों के मुकदमे के दौरान कहीं नहीं टिक पाने एवं स्वयं न्यायाधीश महोदय द्वारा उनके फर्जी होने को स्वीकारे जाने के बावजूद मारुति मजदूरों को कठोर सजायें दिया जाना न्याय का उपहास है। 
      सेमिनार पत्र में इंकलाबी मजदूर केन्द्र, वीनस इंडस्ट्रियल कार्पोरेशन वर्कर्स यूनियन, आटोलेक कर्मचारी यूनियन, सन फलेग हास्पिटल एम्पलाइज यूनियन व परिवर्तनकामी छात्र संगठन के प्रतिनिधियों ने अपने विचार रखे।
      इमके द्वारा उत्तराखंड के काशीपुर में भी 16 अप्रैल को ‘‘मारुति मजदूरों को सजा एवं मजदूर वर्ग की चुनौतियां विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया। इसी विषय पर इमके द्वारा एक पर्चा जारी कर फैक्टरी मजदूरों के बीच वितरित किया गया। 

      सेमिनार में इंकलाबी मजदूर केन्द्र, रिचा श्रमिक संगठन व परिवर्तनकामी छात्र संगठन के प्रतिनिधियों ने अपने विचार रखे। सभी वक्ताओं ने 13 मारुति मजदूरों को मिली उम्र कैद एंव 18 को कठोर सजाओं का विरोध करते हुए इसे पूंजीपति वर्ग के इशारे पर मजदूरों के साथ किया गया अन्याय बताया। वक्ताओं ने मारुति आंदोलन के महत्व व प्रासांगिकता का वर्णन करते हुए मजदूरों को दी गयी सजा को पूंजीपति वर्ग का प्रतिघात बताया। सभी वक्ताओं ने मारुति मजदूरों के संघर्ष के प्रति एकजुटता प्रदर्शित करते हुए मारुति मजदूरों के न्याय के लिए संघर्ष को मजदूर वर्ग की वर्गीय एकता से पुष्ट करने की बात की। 

शराब की दुकान हटाने को लेकर मजदूर बस्ती की महिलाओं का जुज्ञारू संघर्ष
फरीदाबाद के पर्ववतीय कालोनी मजदूर बस्ती में 15 अप्रैल को शराब की दुकान खोले जाने के खिलाफ महिलाओं ने जुझारू संघर्ष किया। 
म्हिलाओं ने संगठित होकर शराब की दुकान के आगे नारेबाजी की एवं काउंटर पर रखी शराब की बोतलों को फोड़ दिया। इस दौरान स्थानीय सारन थाने की पुलिस ने महिलाओं को डराने धमकाने की कोशिश से लेकर अभद्र व्यवहार तक किया मगर वे महिलाओं को वहां से हटा पाने में असफल रहे। 
खीझकर पुलिस कर्मियों ने एक महिला के पुत्र को पास ही उसके घर पर पहुंचने पर गिरफतार कर लिया व जीप में बैठाकर ले जाने लगे। लेकिन महिलाएं पुलिस की गाड़ी के आगे खड़ी हो गयी एवं उन्होंने पुलिस को आगे बढ़ने नहीं दिया। 
म्हिलाओं के जुझारू तेवरों के आगे आखिरकार पुलिस को बैरंग लौटना पड़ा। लेकिन उन्होंने कई महिलाओं व कालोनीवासियों पर फर्जी मुकदमे लगा दिये।

शराब के खिलाफ मजदूर महिलाओं का आक्रोश पूरे देश में कई जगहो पर दिखाई देता है। शराब को महिलायें अपने घर परिवार का उजाड़ने वाली चीच समझती हैं। लेकिन वे इस सबके पीछे मुनाफे के तंत्र अथवा पूंजीवादी व्यवस्था को नहीं पहचान पा रही हैं। लेकिन देर सबेर उनका आक्रोश अपने सही निशाने पूंजीवादी व्यवस्था को निशाने पर लेगा। 

23 मार्च शहादत दिवस के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रम 


23 मार्च को शहादत दिवस के अवसर पर इंकलाबी मजदूर केंद्र द्वारा बिरादर संगठनों के साथ मिलकर  शहीद भगत सिंह , राजगुरु, सुखदेव को याद करते हुए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये गए।
  उत्तराखंड के रुद्रपुर ,लालकुआं ,पंतनगर व् हल्द्वानी में शहादत दिवस पर प्रभातफेरी ,जुलूस  व सभा  जैसे कार्यक्रम आयोजित किये गए। रुद्रपुर में  भगतसिह ,सुखदेव ,राजगुरु के बलिदान दिवस पर ट्रांजिट कैम्प की विभिन्न मजदूर बस्तियों में इंकलाबी मजदूर केंद्र द्वारा प्रभात फेरी निकालकर और औद्योगिक केन्द्र सिडकुल के प्रवेश द्वार पर सभा करके अमर शहीदों की क्रन्तिकारी विरासत को आगे बढ़ाने का पैगाम दिया गया ।
 शहादत दिवस के अवसर पर इंकलाबी मजदूर केन्द्र एव ठेका मजदूर कल्याण समिति के कार्यकर्ताओ ने पंतनगर परिसर मे टा कालोनी , इन्द्रिरा कालोनी , झा कालोनी से होते हुये शहीद स्मारक तक प्रभात फेरी निकाली शहीदों  की याद मे क्रांन्तिकारी गीत ऐ भगत सिह तुम जिन्दा है हर एक लहू के कतरे मे नारे साम्राज्यवाद ,पूंजीवाद मुर्दाबाद , समाजवाद जिंदाबाद लगाते हुये इनके त्याग और  बलिदानों को नमन किया गया और उनसे प्रेरणा लेकर उनके सपने पूंजीवाद का खत्मा एव समाजवाद की स्थापना का संकल्प लिया गया।
     परिवर्तनकामी छात्र संगठन (पछास) प्रगतिशील महिला एकता केंद्र व  इंकलाबी मजदूर केंद्र ने 23 मार्च भगत सिंह , सुखदेव , राजगुरु के बलिदान दिवस के अवसर पर लालकुआं (उत्तराखंड) के गांघी पार्क में एक सभा की। शहादत दिवस के अवसर पर दिल्ली  की एक  मजदूर बस्ती में जुलूस निकाला गया व् स्थानीय चौकपर सभा की गयी।
         शहादत दिवस की पूर्व संध्या पर  मऊ (उत्तर प्रदेश) में इंकलाबी मजदूर केंद्र व  क्रान्तिकारी  लोक अधिकार संगठन के साथियों द्वारा जुलूस निकाला गया। मशाल जुलूस आजमगढ़ मोड़ से चौक तक निकाला गया जो चौक पर पहुंचकर एक सभा में तब्दील हो गया। सभा को साथी रामजी सिंह,लक्ष्मी चैरसिया व जे पी राय ने संबोधित किया। मशाल जुलूस आजमगढ़ मोड़ से चौक तक निकाला गया जो चौक पर पहुंचकर एक सभा में तब्दील हो गया। सभा को साथी रामजी सिंह,लक्ष्मी चैरसिया व जे पी राय ने संबोधित किया।

धरना एवं पुतला दहन
आज दिनांक 16 मार्च को इंकलाबी मजदूर केन्द्र तथा भेल मजदूर ट्रेड यूनियन (बी.एम.टी.यू.) के कार्यकर्ताओं ने अपने पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार चिनम्यानन्द कौलेज के निकट मध्याहन 12 बजे से सायं 5 बजे तक धरने का आयोजन किया, यह धरना मारूति के मजदूरों  की मांगों के समर्थन में किया गया, समापन के समय मारूति प्रबन्धन का पुतला दहन भी किया गया।
धरने की मांगें  इस प्रकार हैं।
1. मारूति के मजदूरों पर दर्ज मुकददमें वापस लिये जायें तथा उनकी सजाओं को रद्द किया जाय।
2. निर्दोष होने के बावजूद 3 साल तक जेल में रहे सभी मजदूरों को हरजाना दिया जाय तथा पुलिस-प्रबंधन के खिलाफ कार्यवाही की जाय।
3. 2012 में निकाले गये सभी मजदूरों को काम पर वापस लिया जाय।
4. मारूति काण्ड में दोषी प्रबन्धकों पर शीध्र कार्यवाही की जाय।
ज्ञात हो कि 18 जुलाई 2012 को मारूति में हुये काण्ड के बाद 216 मजदूरों को इस मामले में फंसाया गया था। 10 मार्च 2017 को गुडगांव सत्र न्यायालय ने 117 मजदूरों को बाइज्जत बारी कर दिया तथा 31 मजदूरों को दोषी ठहराया गया है, जिनमें 13 मजदूरों पर हत्या तथा हत्या का प्रयास जैसी संगीन धाराओं में अपराध है। 13 में से 12 मजदूर यूनियन के प्रतिनिधी हैं। यह सब तब हुआ है जब मजदूरों पर कोई अपराध सबित नही हुआ, और न ही कोई गवाह पेश किया गया।
धरने के दौरान वक्ताओं का कहना था कि मजदूर आन्दोलनों के प्रति यह रूख मजदूर विरोधी हैं। आज की सरकारें पूंजीपतियों की इच्छा के अनुसार चलते हुये चाहती हैं कि मजदूर गुलामों की भांति काम करें अपने शोषण-उत्पीड़न के खिलाफ कोई आवाज न उठायें। अगर तब भी कोई संघर्ष खड़ा होता है तो उस संघर्ष को पुलिस, भाड़े के गुण्डों तथा न्यायालय के माध्यम से दबाया जाता है मारूति का आन्दोलन इसकी एक मिशाल है।
व्यापक मजदूरों की एकता तथा जुझारू मजदूर संघर्षों के दम पर ही आज मजदूर संघर्षाें की मागों को जीता जा सकता है।

हरिद्वार इकाई (विधान सभा चुनाव की रिपोर्ट)

      हरिद्वार, इंकलाबी मजदुर केन्द्र के बैनर से विधान सभा चुनावें में हरिद्वार जिले की बी.एच.ई.एल. रानीपुर सीट से पंकज कुमार को प्रव्याशी बनाया गया। इंकलाबी मजदूर केन्द्र द्वारा एक माह का सघन अभियान चलाया गया। वि.स. चुनाव में मजदूर वर्ग के हालात मजदूर राज समाजवाद में बेहतर हो सकते है। क्रान्ति के द्वारा ही मजदूर वर्ग की मुक्ति सम्भव है। इस विकल्प को व्यापक मजदूर वर्ग में ले जाया गया।
27000 पर्चे ‘मात्र चुनाव से क्या होगा ? हमें तो क्रान्ति चाहिए! शीर्षक से  मजदूर बस्तियों में वितरित किये गये। 50 सदस्य व सम्पर्कों ने चुनाव अभियान में भाग लिया। चुनाव खर्च के लिए 10,000 रु मजदूर बस्तियें से डिब्बा कलेक्सन फण्ड हुआ व लगभग 25,000रु सदस्यों-कार्यकर्ताओं व भेल मजदूर ट्रेड़ यूनियन से हुआ। चुनाव में खर्चा लगभग 40,000रु आया।
चुनावी नुक्कड़ सभाओं में बातें ‘हमें सिर्फ चुनाव नहीं चाहिए! चुनावों के नाम पर जुमलें नहीं चाहिए! सच तो यह है कि चुनावों से हमारे जीवन में कोई बदलाव नहीं होने वाला है। हमें इन राजनीतिक पार्टियों के  मकड़जाल से बाहर निकलना होगा।’ आदि बातों पर जारे दिया गया।
मजदूर बस्तियों में वक्ताओं ने भारत सहित पूरी दूनिया को गहरे सामाजिक-आर्थिक व राजनीतिक संकट में फंसा हुआ बताया। वहा से उसे समाजवादी क्रांति ही बाहर निकाल सकता है। ‘क्रांति की बात करो, क्रांति की राह पर चलो’ यही विधान सभा चुनाओं में प्रमुख नारे रहे। “क्रांति ही हमारा द्वष्टिकोण है, क्रांति ही हमारा घोषणा पत्र है क्रांति ही हमारा मार्ग है। क्रांति ही वक्त की आवाज है।“
पर्चें को पढने के बाद 20 से अधिक काॅल मजदूरों व अन्य मेहनतकशों के आये जिन्होंने पर्चे में लिखी बातों का समर्थन किया। 21जनवरी को नामांकन करने के दिन 30 लोेग रहे अभियानों में न्यूनतम 6 लोग अधिकतम 28 लोग रहे। 13 फरवरी प्रचार के आन्तिम दिन में साईकल रैली विधानसभा क्षेत्र (मजदूर बाहुल) में 15 साईकिलों व एक मोटर साईकल के साथ निकाली गयी। अन्तिम दिनों में अभियानों में 6 से 10 महिलाओं ने भी भागीदारी की। मजदूर बस्ती में एक चुनाव कार्यालय खोला गया जिसमें मजदूर वर्ग की तात्कालिक व दीर्घकालिक मांगों की फ्लेक्सियां टांग रखी थी। भगतसिंह व लेनिन के कोटेशनों वाले पोस्टरों ने मजदूरों को बेहद आकर्षित किया। 30-40 मजदूरों ने स्वयं कार्यालय में आकर सम्र्पक किया व पर्चा ले गये व कुल मिलाकर पूरी टीम ने प्रचार अभियान में सक्रिय भागीदारी की।
हम जनता तक पूंजीवादी लोकतंत्र के भण्डाफोड, करने में सफल रहे। 

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