Saturday, January 21, 2017

स. रा. अमेरिका में मसखरे का काल प्रारंभ

संयुक्त राज्य अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप नामक मसखरे का शासन शुरु हो गया है। इस मसखरे ने कल राष्ट्रपति पद संभाल लिया।
अमेरिका में अभी भी लोग इस बात को स्वीकार नहीं कर पाये हैं कि एक मसखरा उनका देश चलाये। इसीलिए इस मसखरे के शपथ ग्रहण के दिन पूरे अमेरिका में लाखों लोगों ने उसके खिलाफ प्रदर्शन किया। पर जैसा कि कहावत है, अब पछतावे होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत !
लेकिन इसके साथ इस बात को भी रेखांकित करना होगा कि आज अमेरिकी लोगों को वैसा राष्ट्रपति मिला है जैसा वे राजनीतिक तौर पर व्यवहार कर रहे हैं। यह इसी से स्पष्ट है कि विरोध करने वालों में ज्यादातर लोग बराक ओबामा की पत्नी मिशेल ओबामा में अपना अगला राष्ट्रपति देखते हैं और इसके लिए अभियान भी शुरु हो गया है।
बराक ओबामा ने बदलाव के लिए प्रतिबद्धता के साथ चुनाव जीता था। अमेरिकी साम्राज्यावादी पूंजीवाद के दायरे में भी उनके द्वारा किया गया बदलाव सूक्ष्मदर्शी से भी ढूंढने से नहीं मिलेगा। डोनाल्ड ट्रंप नामक मसखरे के राष्ट्रपति बनने में एक कारण यह भी था। अब उसी बराका ओबामा की हमसफर में मुक्ति ढूंढी जा रही है।
अभी तक अमेरिकी पूंजीवाद की यह सफलता रही है कि उसने अपनी पूंजीवादी राजनीति को भी दोनों साम्राज्यवादी पार्टियों-डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन-तक सिमटाये रखा है। किसी तीसरी पूंजीवादी पार्टी को प्रमुखता नहीं मिल पायी। इससे आगे जाकर पूंजीवादी व्यवस्था की समाप्ति की बात करने वाले तो वहां हमेशा ही हाशिये पर रहे हैं। अपने सबसे अच्छे दिनों में भी वहां की कम्युनिष्ट पार्टी एक छोटी-मोटी पार्टी ही थी।
अब सालों तक इन दोनों पर्टियों के बीच झूलकर या उनसे बेजार होकर अमेरिका में स्थिति यह बन रही है कि दोनों के प्रति ही एक नकार का भाव पैदा हो रहा है। पर यह सही दिशा में जाये इसके पहले डोनाल्ड ट्रंप जैसे मसखरों को भी अपनी भूमिका अदा करने का मौका मिल रहा है। 
एक लम्बे समय तक अमेरिकी साम्राज्यवादियों द्वारा दुनिया भर की लूट ने अमेरिकी पूंजीवाद को स्थिरता प्रदान की थी और उसकी राजनीति को दोनों प्रमुख पार्टियों के इर्द-गिर्द बांधे रखा था। पर अब वह स्थिति समाप्त हो रही है। इसमें 2007 से जारी विश्व आर्थिक संकट ने बड़ी भूमिका अदा की है। जहां उसने अमेरिकी मेहनकश जनता को एक प्रतिशत बनाम निन्यानबे प्रतिशत की बात करने को प्रेरित किया।
अमेरिकी साम्राज्यावाद का संकट गहराने के साथ यह प्रक्रिया और आगे बढ़ेगी। मेेहनतकश जनता, खासकर मजदूर वर्ग वर्ग-संघर्ष और मजदूर राज की ओर सोचने की बढ़ेगा। जैसे ही यह होगा, मसखरों और ओबामाओं का समय समाप्त हो जायेगा। 
अभी मसखरों और उसके देशी-विदेशी समर्थकों को जश्न मनाने दो। उन्हें हवन-यज्ञ करने दो !

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