Wednesday, November 9, 2016

काला धन खत्म करने का पुराना खेल

आखिरकार संघी प्रधानमंत्री, नरेन्द्र मोदी ने काले धन पर अपनी बहु-प्रतीक्षित ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ कर दी। उन्होंने पांच सौ और एक हजार रुपये के नोटों को निरस्त कर दिया। 
 पर उनकी काले धन पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ ऐसी थी कि देश में काले धन के सबसे बड़े मालिक इसकी वाहवाही करने लगे। देश के बड़े पूंजीपतियों ने बयान जारी कर इसका समर्थन किया। यहां तक कि बालीवुड की हस्तियों ने भी इसका समर्थन किया।

विदेशों से सौ दिन के भीतर काला धन लाकर हर किसी के खाते में 15 लाख रुपये डालने का वादा करने वाले मोदी को अपनी फजीहत होती देख अंत में वही उपाय सूझा जो करीब चार दशक पहले मोरारजी देसाई को सूझा था। तब जनता सरकार ने जनवरी 1978 में एक, पांच और दस हजार रुपये के नोट निरस्त कर दिये थे। लेकिन सभी जानते हैं कि उसके बाद देश में काला धन बढ़ता ही गया है।
यह आम जानकारी की बात है कि करेन्सी में काला धन रखने का काम काले धन के छोटे खिलाड़ी करते हैं जो ज्यादा से ज्यादा लाखों-करोड़ों में खेलते हैं। अरबों-खरबों के काले धन के खिलाड़ी नोटों में नहीं खेलते हैं। उनके तरीके और होते हैं। 
तमाम भ्रष्टाचार विरोधी अभियान और आंदोलन की तरह इस कदम का निशाना भी फुटकर भ्रष्टाचार होगा। थोक भ्रष्टाचार और काला धन आराम से चलता रहेगा। इसीलिए कालेधन के सबसे बड़े खिलाड़ी यानी बड़े पूंजीपति तुरंत इस कदम की प्रशंसा करने लगे।
इस कदम से फुटकर भ्रष्टाचारियों को तात्कालिक तौर पर भले थोड़ी परेशानी हो पर इससे काले धन के पैदा होने पर कोई अंकुश नहीं लगेगा। और कुछ नहीं तो पिछले चार दशक का इतिहास ही इसका प्रमाण है। 
हां, इस बीच इस कदम से मजदूरों, गरीब लोगों तथा निम्न मध्यम वर्गीय लोगों को भारी परेशानी होगी। वे बेवजह बैंकों के सामने लम्बी-लम्बी कतारें लगायेंगे।
वैसे इस कदम का एक उद्देश्य ‘डिजिटल मनी’ यानी ‘क्रेडिट कार्ड’, ‘डेबिट कार्ड’ इत्यादि को बढ़ावा देना हो सकता है जैसा कि वित्त मंत्री ने अपने बयान में संकेत भी दिया है। इस तरह यह बड़ी पूंजी के पक्ष में उठाया गया कदम है। बड़े पूंजीपतियों के इस कदम के समर्थन का एक कारण यह भी हो सकता है। 
काले धन की पैदाइश मोदी-जेटली से इसी तरह के व्यवहार की उम्मीद की जा सकती है। 

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