Monday, November 7, 2016

अक्टूबर सर्वहारा समाजवादी क्रांति अमर रहे !

इस सात नवंबर से रूसी क्रांति का शताब्दी वर्ष शुरु हो रहा है। सात नवंबर 1917 (पुराने रूसी कैलेन्डर के हिसाब से 25 अक्टूबर 1917) को बोल्शेविक पार्टी के नेतृत्व में मजदूर वर्ग ने पूंजीपति वर्ग की सत्ता को उखाड़ फेंक कर रूस में मजदूर वर्ग का राज कायम किया था। रूस के इस मजदूर राज ने इसके पश्चात इतिहास की पूरी धारा बदल दी। इसके बाद का विश्व इतिहास रूसी क्रांति और सोवियत समाजवाद से बहुत गहरे से प्रभावित रहा है। चाहे दुनिया में एक समाजवादी खेमे का अस्तित्व में आना रहा हो (एक तिहाई मानवता को समेटने वाले), चाहे ‘कल्याणकारी’ पूंजीवादी राज्य रहा हो या फिर गुलाम देशों की मुक्ति के आंदोलन, सभी का सीधा संबंध रूसी क्रांति और समामजवाद से रहा है।

स्वभावत ही यह क्रांति साम्राज्यावादियों और अन्य प्रतिक्रियावादी पूंजीपति वर्ग को स्वीकार नहीं थी। उन्होंने इसे नष्ट करने के प्रत्यक्ष और परोक्ष सारे प्रयास किये। इन्होंने इसके खिलाफ अंधाधुंध दुष्प्रचार किया। और यह सोवियत संघ में ख्रुश्चोव जैसे गद्दारों के सत्ताशीन हो जाने तथा उनके द्वारा वहां पूंजीवाद की पुनस्र्थापना कर दिये जाने के बाद भी रूका नहीं। पर दुनिया भर का क्रांतिकारी मजदूर वर्ग कभी भी इसके प्रभाव में नहीं आया।
आज सोवियत समाजवाद और इसकी प्रेरणा से कायम सारे समाजवादी समाज समाप्त हो चुके हैं। आज छुट्टे पूंजीवाद का बोलबाला है। आज दुनिया का समूचा पूंजीपति वर्ग मजदूर वर्ग को रूसी क्रांति से पहले की स्थिति में, उन्नीसवीं सदी में ले जाना चाहता है जब मजदूर असंगठित और पूंजी के सामने बिलकुल असहाय थे।
इस स्थिति में रूसी क्रांति के शताब्दी वर्ष को व्यापक स्तर पर मनाना मजदूर वर्ग के क्रांतिकारी संघर्षों की धार देने के लिए एक बेहद मौजूं अवसर है। जरूरत इस बात की है कि रूसी क्रांति और इसकी विश्व ऐतिहासिक उपलब्धियों को मजदूर वर्ग तक व्यापकतम स्तर पर ले जाया जाये। इसकी उपलब्धियों को सकारात्मक तौर पर स्थापित किया जाये। यह स्थापित किया जाये कि सोवियत समाजवाद और स्वयं सोवियत संघ के खात्मे के बाद भी आज उसकी उपलब्धियां हमारे जीवन का अनिवार्य हिस्सा हैं।
इसी के साथ यह जरूरी है कि रूसी क्रांति और सोवियत समाजवाद पर साम्राज्यवादियों-पूंजीपतियों और उनके चाकरों द्वारा इस अवसर पर किये जाने वाले हमलों का मुंहतोड़ जवाब दिया जाये। तमाम तरह के ढुलमुल बुद्धीजीवियों की ‘किन्तु परन्तु’ बातों को दृढ़ता से खारिज किया जाये।
रूसी क्रांति का यह शताब्दी वर्ष आज मजदूर वर्ग को, खासकर उसके अगुआ तत्वों को, उसकी विचारधारा से लैस करने का एक अच्छा अवसर है। मजदूर वर्ग के सारे क्रांतिकारियों को इस अवसर का इस्तेमाल करने के लिए जी-जान से जुट जाना चाहिए। 

No comments:

Post a Comment