Saturday, October 8, 2016

देशभक्ति के बोझ को हटाकर निकलता सच

पाकिस्तान पर अपनी फतह का डंका पीटने के दस दिन बाद भी संघियों की मोदी सरकार की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रहीं हैं। बल्कि पहले देशभक्ति की दहशत में चुप लगाकर बैठे लोग भी अब बोलने लगे हैं और मोदी सरकार के दावों पर सवाल उठाने लगे  हैं । अब केवल संघी मोदीभक्त और मोदी का झंडा बुलन्द किये हुआ पूंजीवादी प्रचारतंत्र ही झूठ के साथ खड़ा दीख रहा है।
जब 29 सितंबर को केन्द्र सरकार ने सेना से पाकिस्तान नियंत्रित कश्मीरी इलाकों में आतंकवादी ठिकानों पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ की घोषणा करवाई तभी मोदी भक्तों को छोड़कर सभी के लिए यह स्पष्ट था कि या तो यह एकदम झूठ है या फिर वैसी ही घटना जो नियंत्रण रेखा पर जब-तब होती रहती है। मामला इतना स्पष्ट था कि भारत के सारे दावों के बावजूद विदेशी मीडिया, सरकारें और यहां तक कि संयुक्त राष्ट्रसंघ भी सच मानने को तैयार नहीं था। पाकिस्तान सरकार तो इसे नकार ही रही थी।

शुरु में विपक्षी पार्टियां इसलिए सरकार के साथ खड़ी हो गईं कि वे देशभक्ति की दौड़ में पीछे नहीं दीखना चाहती थीं। पर जब उन्होंने देखा कि भाजपा इस घटना को चुनावों के लिए जमकर इस्तेमाल करना चाहती है तब उनसे रहा नहीं गया। उन्होंने प्रत्यक्ष या परोक्ष तरीके से सरकार के दावों को नकारना शुरु कर दिया। एक कांग्रेसी नेता ने तो इसे सीधे-सीधे फर्जी करार दिया। केजरीवाल जैसा शातिर राजनीतिज्ञ मोदी की प्रशंसा की आड़ में उन्हें झूठा बता रहा है।
संघियों ने और उनकी सरकार ने यह उम्मीद नहीं की होगी कि उनका फर्जीबाड़ा इतनी जल्दी उजागार हो जायेगा, कि सच्चाई देशभक्ति के बोझ को हटाकर इतनी जल्दी बाहर आ जाएगी। वैसे 29 तारीख को ही मोदी समेत सारे मंत्री और अफसर इस बात को लेकर भयभीत थे कि झूठ उजागार हो सकता है। यह उनके संपूर्ण हाव-भाव से दीख रहा था।
छप्पन इंच के सीने वाले मोदी पाकिस्तान को हमेशा के लिए सबक सिखाने के वायदे के साथ सत्ताशीन हुए थे। अब अपनी किरीकिरी होती देख उन्होंने यह लंपटों वाला तरीका चुना। बस वे भूल गये कि विदेशी संबंधों में न तो संघी झूठ चलता है और न ही संघी लंपटों वाला तरीका।
पर मोदी सरकार यह कर एक मायने में सफल रही है। पिछले बीस दिनों से कश्मीर का मुद्दा चर्चा से गायब है हालांकि वहां हालात पहले जैसे ही हैं। संघी मोदी सरकार कश्मीरी मुद्दे को पाकिस्तान के साथ जोड़ने और फिर सारा ध्यान पाकिस्तान पर केन्द्रित करने में सफल रही है, भले ही इसके लिए उसे सार्क की बलि ही क्यों न देनी पड़ी हो।
जरूरत इस बात की है कि मोदी सरकार के झूठ के साथ-साथ इस चाल का भी पर्दाफाश किया जाये तथा देशभक्ति के फर्जी गुबार की हवा निकाली जाय।

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