Tuesday, August 16, 2016

कश्मीर के बहाने अंध-राष्ट्रवादी उन्माद का विरोध करो !

       जब कोई शासक वर्ग अपनी समस्या को देखने से हठपूर्वक इंकार करता है और समस्या गंभीर होती है तब वह हताशा में अपने पांव पर और ज्यादा जोर से कुल्हाड़ी मारता है। भारतीय शासक वर्ग कश्मीर में इस समय यही कर रहा है।  
       कश्मीर पिछले चालीस दिनों से बंद है। पचास से ज्यादा लागे मारे जा चुके हैं और सैकड़ों लोग अन्धे हो चुके हैं। इसके बावजूद कश्मीरी लोग विरोध पर उद्यत हैं और भारत सरकार इसका समाधान पैलेट गन और कर्फ्यू में ही देख रही है। यह इसके बावजूद कि महबूबा मुफ्ती से लेकर नरेन्द्र मोदी तक सारे घड़ियाली आंसू बहाते हुए शांति और बातचीत की बात कर रहे हैं।  

इन घड़ियालों को अपनी बात झुठलाते दूर नहीं लगती। वे दूसरी सांस में छूटते ही यह बात करते हैं कि कश्मीर समस्या का कारण पाकिस्तान है। यानी कश्मीर के सारे लोग पाकिस्तान के बहकावे में आकर सड़क पर उतरे हुए हैं। एक पूरी कौम को अपमानित करने में इन्हें जरा भी हिचक नहीं होती। 
अब ये शासक और आगे गये हैं। इन्होंने खुलेआम घोषित कर दिया है कि वे पाकिस्तान के अंदरूरनी मामले मे दखल देंगे। इन्होंने बलुचिस्तान में सीधे हस्तक्षेप की धमकी दी है। महत्वपूर्ण बात यह है कि संघी प्रधानमंत्री ने ये यह ऐलान सर्वदलीय बैठक में किया और सभी विपक्षी दलों ने इसका समर्थन किया। जब पूर्व विदेश मंत्री और कांग्रेसी नेता सलमान खुर्शीद ने किसी दूसरे देश के अंदरूनी मामले (बलुचिस्तान) में दखल देने की आलोचना की तो कांग्रेस पार्टी ने उनसे अपने आप को अलग कर लिया। 
यह जगजाहिर है कि भारत पाकिस्तान के अंदरूनी मामलों में दखल देता रहा है बिल्कुल वैसे पाकिस्तान भारत के अंदरूनी मामलों में। लेकिन यह पहली बार है जब भारत सरकार ने खुलेआम यह ऐलान किया है। ऐसा करके उसने पाकिसतान को यह अधिकार दे दिया है कि वह न केवल विवादित कश्मीर बल्कि भारत के अन्य मामलों में भी खुलेआम दखल दे। इसी तरह उसने पाकिस्तानी शासकों को यह भी अधिकार दे दिया है कि वे बलुचिस्तान सहित सभी राष्ट्रीयता के आंदोलनों या अन्य सरकार विरोधी आंदोलनों का क्रूरता से दमन करें यह घोषित करके कि ये भारत द्वारा प्रेरित हैं। भारत व पाक दोनों शासक यह करते रहे हैं पर अब यह खुली वैधानिकता हासिल कर लेगा। 
संघी सरकार के इस उन्मादी व्यवहार को भले ही आज सभी समर्थन दे रहे हों पर इसके क्रूर परिणाम बहुत जल्दी सामने आयेंगे। तब संघी उन्माद के सामने समपर्ण करने वालों को पता चलेगा कि बहुत देर हो चुकी है। 
संघी राष्ट्रीय उन्माद का द्रढ़ता से विरोध करते हुए आज यह घोषित करने की जरूरत है कि कश्मीर समस्या के लिए बाहरी तत्वों को जिम्मेदार ठहराया बन्द किया जाना चाहिए और साथ ही यह कि भारत सरकार को दूसरे देशों के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप का कोई अधिकार नहीं है। 

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