Sunday, July 3, 2016

सरकारी कर्मचारियों अच्छे दिनों पर तुषारापात

मोदी सरकार ने सरकारी कर्मचारियों की बड़ी वेतन वृद्धि की उम्मीदों पर पानी फेरते हुऐ सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की घोषणा कर दी। इससे कर्मचारियों की तनख्वाहों में 15-20 प्रतिशत की वृद्धि होगी जबकि पहले यह वृद्धि 30-40 प्रतिशत होती रही है।
सरकारी कर्मचारियों की निराशा और आक्रोश को इससे समझा जा सकता है कि भाजपा से संबद्ध मजदूर संघ (बी एम एस) ने भी इसके खिलाफ 8 जुलाई को हड़ताल पर जाने का फैसला किया है। देश भर के सारे सरकारी कर्मचारी 11 जुलाई को हड़ताल करेंगे। 
सरकार द्वारा फैसले के ठीक पहले इस तरह की अफवाहें उठी थीं कि  सरकार सातवें वेतन आयोग द्वारा प्रस्तावित वेतन वृद्धि में कुछ और वृद्धि करेगी। मसलन न्यूनतम वेतन 18000 रुपये के बदले 23000 होगा। पर ये अफवाहें ही रह गई।
मोदी सरकार का यह फैसला उसके चरित्र के अनुरूप है। इस सरकार के अच्छे दिनों का मतलब केवल पूंजीपति वर्ग के अच्छे दिन हैं। अभी तक सरकारी कर्मचारियों का मध्यम वर्ग मोदी सरकार के अच्छे दिनों का मुरीद था। अब इस निर्णय के बाद इसके लिए भी साफ हो गया कि मोदी सरकार किनके अच्छे दिन ला रही है। इसलिए यह भी अब हड़ताल पर जाने को  मजबूर हो रहा है।
सरकारी कर्मचारी नौकरी पेशा लोगों में अपेक्षाकृत अभिजात हैं। खासकर निजी क्षेत्र के मुकाबले सरकारी कर्मचारी की तीसरी श्रेणी तक की स्थिति बहुत अच्छी है। न्यूनतम मजदूरी ही तीन-चार गुना है। नौकरी की सुरक्षा और अन्य सुविधाएं अलग से। पिछले दशकों में इनकी तनख्वाहें मंहगाई की दर से काफी ज्यादा तेजी से बढती रही हैं। इसीलिए सरकारी नौकरी की इतनी मांग है। केवल अफसरों के ऊंचे स्तरों पर ही निजि क्षेत्र सरकारी क्षेत्र से बेहतर है। 
अब मोदी सरकार ने तय कर लिया है कि सरकारी कर्मचारियों को भी नीचे लाया जाये जैसे उसने तय कर रखा है कि निजि क्षेत्र के सारे मजदूरों को असंगठित मजदूरों के स्तर पर नीचे लाया जाये। इससे पूंजीपति वर्ग को और ज्यादा मुनाफा होगा। सरकार सरकारी कर्मचारियों से धन की बचत कर पूंजीपति वर्ग पर लुटायेगी। अंबानी-अडानी के अच्छे दिन और अच्छे होंगे।
सरकारी कर्मचारियों का हड़ताल का पर जाने का फैसला अच्छा है। पर जब तक ये कर्मचारी अपनी अभिजात मजदूरों की सुरक्षित खोल में कैद रहेंगे और बाकी मजदूर वर्ग से कोई एकता कायम नहीं करेेंगे तब तक इन पर सरकार का हमला जारी रहेगा और सफल होता रहेगा। सरकारी नौकरियों का संविदाकरण और अब वेतन वृद्धि में कमी जारी रहेगी। 

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