ठीक उसी समय जब देश के सर्वोच्च न्यायालय ने मणिपुर में 1528 लोगों की फर्जी मुठभेड़ में हत्या के मामले में सरकार और सुरक्षा बलों को कठघरे में खड़ा करते हुए अपना फैसला सुनाया, कश्मीर में सुरक्षा बलों ने एक ऐसा ही कारनामा कर दिखाया। बुरहान वानी और उसके दो साथियों की हत्या के बाद सारा कश्मीर उबाल पर है और तीन दिनों में ही तीस से ज्यादा लोग मारे गये हैं। कश्मीर के प्रति फर्जी संवेदना दिखाने वाली पीडीपी संघी भाजपा के साथ मिलकर इस हत्याकाण्ड को अंजाम दे रही है। हर समय सोनिया और राहुल को गाली देने वाले भाजपाइयों के गृहमंत्री ने सोनिया गांधी को फोन मिलाया है और उन्होंने संघी सरकार के सुर में सुर मिला दिया है। यही होना भी चाहिए क्योंकि 2006 और 2010 में ऐसी ही कत्लेआम की कार्रवाई सोनिया गांधी की सरकार ने ही की थी। तब संघियों ने उसका समर्थन किया था।
एक ओर जाकिर नाइक के मामले में संघी उन्माद और दूसरी ओर कश्मीर में यह कत्लेआम ! ऊपर से तुर्रा यह कि संघी प्रधानमंत्री मोदी अफ्रीका में हर देश में जाकर आतंकवाद को सबसे बड़ा खतरा बता रहे हैं। संघियों के लिए यह सबसे अच्छा समय है और कश्मीर समेत देश की सारी जनता के लिए सबसे बुरा समय।
अभी बहुत समय नहीं हुआ जब भारत सरकार ने दावा किया था कश्मीर में हालात बदल गये हैं। उसने पिछले चुनावों में भारी मतदान को इसका प्रमाण बताया था। संघियों ने पीडीपी के साथ सरकार बनाकर कहा था कि वे इस आतंकवाद समर्थक पार्टी को पालतू बना रहे हैं।
पीडीपी और नेशनल कान्फ्रेंस जैसी पार्टियों पहले से ही भारत सरकार की पालतू पार्टियां हैं। उन्हें नये सिरे से पालतू बनाने की जरूरत नहीं। 2010 में जब ऐसे ही कश्मीर का समूचा युवा सड़कों पर आया था तब केन्द्र में कांग्रेस और प्रदेश में नेशनल कान्फ्रेंस की सरकार थी। अब उमर अब्दुल्ला घड़ियालू आंसू बहा रहे हैं।
संघियों और उनके प्रधानमंत्री के अनुसार आतंकवाद देश के लिए सबसे बड़ा खतरा है और इससे सख्ती से निपटना चाहिए। इसलिए हर घोषित आतंकवादी की फर्जी मुठभेड़ में हत्या कर देनी चाहिए भले ही इस बारे में सर्वोच्च न्यायालय कुछ भी कहता रहे। मोदी और अमित शाह को वैसे भी गुजरात में इसका काफी अनुभव है।
संघियों के अनुसार आतंकवादियों का समर्थन करने वाले सारे आतंकवादी हैं और उनके साथ भी वही सलूक होना चाहिए। इसीलिए कश्मीर की सारी जनता को सबक सिखाया जाना चाहिए। और वह सिखाया जा रहा है। तीस से ज्यादा लोग मारे गये हैं और घायलों की संख्या सैकड़ों में है। भारत सरकार इस्राइली जियनवादियों से बंदूकें मंगवाकर उन्हीं की तरह निहत्थे लोगों पर उसका इस्तेमाल कर रही है।
भारत सरकार ने किसी भी तरह कश्मीर को भारत में बनाये रखने के लिए पिछले पच्चीस सालों में करीब एक लाख लोगों की हत्याएं की हैं। कश्मीर के चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा बल तैनात हैं। सारा कश्मीर सबक सिखाया जाना चाहिए। और व सिखाया जा रहा है। तीस से ज्यादा लोग मारे गये हैं और घायलों की संख्या सैकड़ों में है। भारत सरकार इस्राइली जियनवादियों से बंदूकें मंगवाकर उन्हीं की तरह निहत्थे लोगों पर उसका इस्तेमाल कर रही है।
भारत सरकार ने किसी भी तरह कश्मीर को भारत में बनाये रखने के लिए पिछले पच्चीस सालों में करीब एक लाख लोगों की हत्याएं की हैं। कश्मीर के चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा बल तैनात हैं। सारा कश्मीर जेल खाना है। यह सब हो रहा है देश की एकता और अखण्डता के नाम पर।
बंदूकों के बल कायम रखी जा रही देश की यह एकता और अखण्डता देश के शासकों के हित में है मजदूरों-मेहनतकशों के हित में नहीं। मजदूर वर्ग इस बात को जानता है कि दूसरों को गुलाम बनाकर खुद आजाद नहीं रहा जा सकता इसीलिए वह कश्मीरी जनता के साथ खड़ा है, भारतीय शासको के साथ नहीं।
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