Wednesday, March 23, 2016

शहीद भगत सिंह को हड़पने की संघी कोशिश नाकाम करो !

      देशभक्ति के अपने हिन्दू एजेन्डे को आगे बढ़ाते हुए अब संघियों ने तय किया है कि वे शहीद भगत सिंह को भी अपना स्वयं सेवक साबित कर देगें। उन्होंने इस शहादत दिवस पर तीन दिवसीय कार्यक्रम की घोषणा की है जिसमें उनके संघी प्रचारक यह बतायेंगे कि कैसे भगत सिंह और उनके साथी इन्हीं की तरह हिन्दू फासीवादी थे।
1970 के दशक के पहले तक एक समय था जब संघी शहीद भगत सिंह और उनके साथियों की देशभक्ति को भुनाते थे हालांकि आजादी की लड़ाई के दौरान संघियों की देशभ्क्ति का कोई इतिहास नहीं था। भारत कुमार की यानी मनोज कुमार की ‘शहीद’ जैसी फिल्में इसमें संघियों की मदद करती थीं। तब तक भगत सिंह के विचारों का कोई व्यापक प्रचार नहीं था। 
लेकिन 1970 के दशक से भगत सिंह के लेख प्रचारित-प्रसारित होने शुरु हुए तो संघियों के लिए मुश्किल हो गई। भगत सिंह के स्पष्ट माक्र्सवादी और कम्युनिष्ट विचार संघियों के लिए कोई गुंजाइश नहीं छोड़ते थे। इसलिए भगत सिंह पर संघी मौन साधने लगे। 
लेकिन अब सत्ता की ताकत से संघी एक बार फिर भगत सिंह को अपना घोषित करने के लिए सक्रिय हो गये हैं। उन्हें भरोसा है कि सरकारी मशीनरी और संघ समर्थक पूंजीवादी प्रचारतंत्र के सहारे वे भगत सिंह केा उनके विचारों से वंचित कर देंगे और उन्हें ‘वन्दे मातरम’ और ‘भारत माता की जय’ बोलने वाला संघी स्वयं सेवक बना देंगे। संभव हुआ तो वे यह भी साबित कर देंगे कि भगत सिंह संघ की शाखाओं में जाते थे, कि देशभक्ति की प्रेरणा हेडगेवार से मिली थी।
झूठ और धोखाधड़ी में हर किसी को मात देने वाले संघियों से किसी भी चीज की उम्मीद की जा सकती है। माक्र्सवादी, कम्युनिष्ट और नास्तिक शहीद भगत सिंह को भगवाधारी स्वयं सेवक घोषित कर देने की भी।
एक लम्बे समय से शहीद भगत सिंह देश के नवयुवकों के आदर्श और प्रेरणा स्त्रोत बने हुए हैं। यह बिना सरकारी प्रचार के। भगत सिंह की लोकप्रियता आज भी किसी अन्य नेता से बढ़कर है। ऐसे में भगत सिंह को अपना बना लेने की संघी छटपटाहट समझ में आने वाली बात है। 
हिन्दू फासीवादी संघियों के इन घृणित मंसूबों को नाकाम करने की लिए जरूरी है कि भगत सिंह के विचारों का व्यापक प्रचार किया जाये। हर आमो-खास को दिखाया जाय कि भगत सिंह प्रत्येक मामले में संघ की विरोधी जमीन पर थे-विचार और कर्म दोनों में। यह इस हद तक किया जाय कि संघी भगत सिंह से आग के शोलों की तरह डरने लगें और उनसे दूर रहें। संघियों द्वारा फंेकी चुनौती का इस्तेमाल करते हुए भगत सिंह के विचारों पर लाखों-करोड़ो युवाओं का खड़ा किया जाय।  
इस शहादत दिवस को हम इसी तरह मनायें। 

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