Sunday, March 20, 2016

आधार का विरोध हिन्दू फासीवाद विरोध का हिस्सा हैै

आधार कार्ड को कानूनी जामा पहनाने वाला आधार बिल संसद द्वारा पास कर दिया गया है। भाजपा सरकार ने इसे पास करवाने के लिए इसे मनी बिल के तौर पर पेश किया जिससे इसे राज्य सभा में पास करवाने की जरूरत न पड़े। तब भी राज्य सभा द्वारा प्रस्तावित चार संशोधनों को लोकसभा में नकार दिया गया।
संघी भाजपा सरकार इस बिल को पास करवाने के लिए बेताब थी इसे इसके इस कपट चाल से ही समझा जा सकता है। इस बिल का सरकारी खर्चे से लेना देना नहीं था तब भी इसे मनी बिल का रूप दिया गया। मनी बिल को राज्य सभा में पास करवाने की जरूरत नहीं होती। 
असल में संघी भाजपा सरकार की बेताबी उसकी अपनी हिन्दू फासीवादी परियोजना के मद्देनजर है। आधार के जरिये संघी सरकार देश में हर किसी को निगरानी के दायरे में लाना चाहती है। चूंकि इस रूप में इसका बड़े पैमाने पर विरोध हो रहा है इसलिए इसे सरकारी राहत योजनाओं के नाम पर आगे बढ़ाया गया है। अब से सरकारी राहत पाने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य होगा।
  जैसा कि बहुत सारे लोग इंगित कर चुके हैं, आधार कार्ड के कारण सरकारी राहत योजनाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार जरा भी कम नहीं होगा। उल्टे होगा यह कि बहुत सारे लोग इस राहत से वंचित हो जायेंगे जैसा कि अभी ही बहुत जगह हो रहा है। तकनीकी खामियों व कमियों के चलते ऐसी एक योजना को इंग्लैंड में रद्द कर दिया गया था। भारत जैसे देश में यह समस्या और विकराल होगी।
पर सरकार को इसकी चिन्ता नहीं है क्योंकि असल में यह इसका उद्देश्य भी नहीं है। जन राहत कार्यों में लगातार कटौती करने वाली सकार का यह उद्देश्य हो भी नहीं सकता। इसका असल उद्देश्य तो सार्विक निगरानी ही है। 
गौरतलब है कि इस योजना की शुरुआत कांग्रेस सरकार ने की थी। तब भाजपा ने इसका विरोध किया था क्योंकि वह स्वयं अपनी नेशनल पापूलेशन रजिस्टर योजना के पक्ष में थी। अब जब भाजपा सरकार ने आधार योजना को आगे बढ़ा दिया तो कांग्रेस के पास इसका विरोध करने का कोई कारण नहीं था। इसीलिए उसने बस ना-नुकुर किया। बाकी पूंजीवादी पार्टियां भी असल में इसके पक्ष में हैं क्योंकि उन्हें भी विद्रोही जनता से परेशानी है। वे भी जनता को निगरानी और नियन्त्रण में रखना चाहती हैं।
अभी सर्वोच्च न्यायलय की एक पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ आधार की संवैधानिकता पर विचार कर रही है। पर इस न्यायालय का फैसला चाहे जो हो, आधारन नामक फासीवादी परियोजना को निरस्त करने के लिए अभियान जारी रहना चाहिए। वस्तुतः यह हिन्दू फासीवाद विरोधी आंदोलन का एक हिस्सा होना चाहिए। 

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