Tuesday, February 9, 2016

नेट न्यूट्रलिटी पर फौरी जीत

      भारत सरकार की दूर संचार नियामक अथाॅरिटी (ट्राई) ने नेट न्यूट्रलिटी के संबंध में घोषणा कर दी है। एक लम्बे समय से यह मुद्दा ट्राई के पास लंबित था तथा विवाद का विषय बना हुआ था। इस घोषणा के अनुसार इंटरनेट सेवा प्रदान करने वाली सारी कंपनियां हर तरह की वेबसाइट के लिए एक ही दर से पैसा वसूल सकती हैं। यानी वेबसाइट के हिसाब से इंटरनेट की दर अलग-अलग नहीं होगी। 
ट्राई की यह घोषणा इंटरनेट उपभोक्ताओं के लिए फौरी तौर पर राहत की बात है। फौरी इसलिए कि इंटरनेट सेवा प्रदान करने वाली कंपनियां तथा अन्य कंपनियां इतनी आसानी से हार नहीं मान लेंगी और सरकार भी हमेशा जन दबाव में नहीं झुकेगी। 
आज इंटरनेट एक बड़ा व्यवसाय है। यह बढ़ भी रहा है। इसे देखते हुए बड़ी कंपनियां इस पर एकाधिकार कायम करने के लिए तरह-तरह से प्रयास कर रही हैं। कुछ मामलों में तो यह एकाधिकार अपने आप हासिल हो गया है यानि मुक्त प्रतियोगिता के जरिए। जैसे फेसबुक या ट्वीटर का अपने क्षेत्र में लगभग एकाधिकार है। पर ये अन्य क्षेत्रों में भी एकाधिकार के लिए प्रयास कर रही हैं। 
ऐसा ही एक प्रयास है नेट न्यूट्रलिटी को समाप्त करना। दुनिया की सारी वेबसाइटें एक समान दर से नहीं देखी जातीं। कुछ को देखने की दर कम है तो कुछ की ज्यादा। ऐसे में यदि इंटरनेट सेवा प्रदान करने वाली कंपनियां ज्यादा देखी जाने वाली वेबसाइटों से मिलकर उनके लिए ज्यादा पैसा वसूलने लगें तो यह मुनाफे  का बढ़ा स्त्रोत खुल जायेगा। अभी कोई व्यक्ति चाहे किसी हिन्दी साहित्यकार का ब्लाग देखे या फिर स्नैपडील की ‘दिवाली आॅफर’ वाली वेबसाइट, दोनों को देखने के लिए प्रति केबी या एमबी पैसा बराबर कटेगा। यह नेट न्यूट्रलिटी है। पर इसके खत्म हो जाने पर दूसरे की प्रति केबी या एमबी दर ज्यादा होगी जबकि पहले की कम। 
पिछले समय में फेसबुक से लेकर अन्य कई कंपनियों ने नेट न्यूट्रलिटी समाप्त करने के लिए बड़ा अभियान चलाया। फेसबुक ने तो अपने अभियान का नाम ‘फ्री बेसिक्स’ रखा और दावा किया कि वह इसके जरियेे भारत में गांव-गांव तक इंटरनेट का प्रसार करेगा। पर लोगों ने इसकी चालों का तुरंत भंडाफोड़ कर दिया। 
यहां यह ध्यान रखना होगा कि ट्राई ने शुरु में इस संबंध में बहस के लिए जो पर्चा जारी किया था उसका झुकाव नेट न्यूट्रलिटी समाप्त करने की ओर था केवल भारी जनदबाव में ही उसे अपने पांव पीछे खींचने पड़े। 
यह कोई छिपी हुई बात नहीं है कि भाजपा सरकार पूर्णतया एकाधिकारी पूंजी की सेवा में हाजिर है। मोदी तो जहां-तहां पूंजीपतियों के दरबार में हाजिरी लगाते रहते हैं। ऐसे में इस सरकार का स्वाभाविक झुकाव नेट न्यूट्रलिटी समाप्त करने की ओर होगा। यह देखते हुए कि देश में अभी भी इंटरनेट का प्रसार अत्यंत सीमित है, यह बहुत घातक है।
इसीलिए ट्राई की वर्तमान घोषणा के बावजूद चैकस रहने और इस संबंध में किसी भी कदम का तत्काल विरोध करने की जरूरत है। 

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