संघी फासीवदियों ने अपनी गुंडगर्दी का एक और नमूना पेश कर दिया है। रोहित वेमुला की (आत्म) हत्या को अभी एक महीने भी नहीं गुजरे कि अब उन्होंने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय को अपना निशाना बना लिया। इस बार उन्होंने कुछ छात्रों के बदले सीधे-सीधे जे एन यू छात्र संघ के अध्यक्ष को ही निशाना बनाया जिस पर उनके अनुसार राष्ट्रद्रोही वामपंथियों का कब्जा है। राष्ट्रद्रोह के आरोप में जे एन यू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को गिरफ्तार किया जा चुका है और पांच अन्य छात्र भागते फिर रहे हैं।
पिछले कुछ महीनों से भाजपा समर्थक पूंजीवादी प्रचार माध्यम लगातार प्रचार कर रहे थे कि जे एन यू देशद्रोहियों का अड्डा बना हुआ है। उनका निशाना खास तौर पर वामपंथी छात्र संगठन बने हुए थे जिनमें से तीन एस एफ आई, ए आई एस एफ और आइसा क्रमशः माकपा, भाकपा ओर भाकपा (माले) लिबरेशन से जुड़े हुए हैं। इनके अलावा कुछ क्रांतिकारी छात्र संगठन भी हैं। छात्र संघ में एक लम्बे समय से उपरोक्त तीन छात्र संगठनों का ही कब्जा रहा है। हालांकि ये तीनों सरकारी वामपंथी पाट्रियों से जुड़े व्यवस्था परस्त छात्र संगठन हैं तब भी सत्ता के नशे में चूर संघियों को इनका भी वामपंथ बर्दाश्त नहीं हो रहा है। खासकर इनकी साम्प्रदायिकता विरोधी गतिविधियां हिन्दू साम्प्रदायिक संघियों को बहुत परेशान करती हैं।
आज संघी चाहते हैं कि उनका छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद यानी ए बी वी पी हर शिक्षा परिसर में काबिज हो जाये। इसके लिए वे अपनी सरकारी सत्ता का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि वे इसके जरिये नयी पीढ़ी में अपना साम्प्रदायिक जहर फैला सकते हैं। वे अपने हिन्दू राष्ट्र के लक्ष्य की ओर बढ़ सकते हैं। इसके लिए वे गुण्डागर्दी से लेकर सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल करने तक हर चीज करने को तैयार हैं और कर रहे हैं। हैदराबाद में उन्होंने यह किया और दिल्ली में भी।
जे एन यू में अफजल गुरु पर किसी कार्यक्रम का आयोजन इसके लिए बहाना बना था। कम से कम जे एन यू के लिए इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन एक आम बात थी। इस कार्यक्रम में अपने लोगों से ‘पाकिस्तान जिन्दाबाद’ के नारे लगवाना और फिर इसका इस्तेमाल कर विरोधियों का पुलिसिया दमन करना संघियों का पुराना हथकंडा है जो उन्होंने नाजियों से सीखा है। महत्वपूर्ण बात यह है कि दिल्ली में एक अन्य कार्यक्रम में भी ऐसा ही हथकंडा अपना कर वे दिल्ली विश्वविद्यालय के कुछ प्रोफेसरों को प्रताडि़त कर रहे हैं। स्पष्टतः ही संघी पूरी तरह सक्रिय हैं-भारत सरकार की पूरी ताकत के साथ।
समय के साथ संघियों की गुंडागर्दी बढ़ रही है और वे अपना फासीवादी-नाजीवादी चेहरा ज्यादा से ज्यादा बेनकाब कर रहे हैं। ऐसे में एक बार फिर यह रेखांकित करने की जरूरत है कि इन बर्बर संघियों का मुकाबला करने के लिए सभी जनवादी लोगों को एकजुट होकर सड़क पर उतरना होगा।
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