Monday, February 1, 2016

दिल्ली में सफाई कर्मियों की हड़ताल

दिल्ली नगर निगम के कर्मचारियों की हड़ताल ने एक ही साथ केन्द्र सरकार और दिल्ली सरकार तथा भाजपा और आम आदमी पार्टी की न केवल मजदूर विरोधी चरित्र को स्पष्टता से उद्घाटित किया है बल्कि स्वच्छता और पर्यावरण को लेकर उनके द्वारा किये जा रहे पाखंड को भी।
दिल्ली नगर निगम के कर्मचारी एक बेहद बुनियादी मांग को लेकर हड़ताल पर हैं: उन्हें तनख्वाह चाहिए। सफाई कर्मचारियों, अध्यापकों से लेकर डाक्टरो तक को तनख्वाह नहीं मिल रही है। जहां नगर निगम इसके लिए कोष न होने की बात करते हुए दिल्ली सरकार को दोषी ठहरा रहा है (नगर निगम में भाजपाई बहुमत में हैं) वहीं दिल्ली सरकार केन्द्र सरकार को और नगर निगम के भ्रष्टाचार को। इस आरोप-प्रत्यारोप में नगर निगम के कर्मचारियों को अपनी तनख्वाह हासिल करने के लिए दूसरे-चैथे महीने हडताल पर जाना पड़ता है।

जब आम आमदी पार्टी ने दिल्ली में हर किसी को सब्ज बाग दिखाए तो उसने दिल्ली के अस्थाई कर्मचारियों को भी आश्वासन दिया कि उन्हें स्थाई कर दिया जायेगा। आज उन्हें स्थाई करना तो दूर केजरीवाल सरकार स्थाई व अस्थाई दोनों को वेतन तक नहीं दे रही है। वेतन देने के बदले वह मोदी सरकार और भाजपा से तू-तू मै-मै में लगी हुई है।
इसके बरक्स हैं नरेन्द्र मोदी और उनकी केन्द्र सरकार। मोदी ने दिल्ली में सत्तानशीन होते ही स्वछता अभियान छेड़ा। लेकिन शुरु से ही यह स्पष्ट था कि इसका वास्तव में स्वछता से कोई संबंध नहीं था। इसका संबंध था मोदी की स्वच्छ छवि चमकाने से। इसी कारण पूरे देश में सफाई कर्मचारियों और सफाई विभागों पर इस स्वच्छता अभियान में कोई चर्चा तक नहीं हुई। अस्थाई कर्मचारियों को स्थाई करने, नये कर्मचारियों को भर्ती करने तथा इससे संबंधित विभागों की हालत सुधारने में इस सरकार को कोई दिलचस्पी नहीं है। 
ऐसे में सफाई कर्मचारियों समेत नगर निगम के अन्य कर्मचारियों के सामने इसके सिवाय और कोई रास्ता नहीं बचता कि हड़ताल पर जायें। पर जरूरत इससे ज्यादा की है। जरूरत है इस बात की है कि सरकारों और पूंजीवादी पार्टियों के जन विरोधी, मजूदर विरोधी चरित्र को पहचाना जाये और उनके खिलाफ संघर्ष छेड़ा जाये। 

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