नरेन्द्र मोदी सरकार ने 2016 के गणतंत्र दिवस समारोह कि लिए फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसुआ ओलान्द को मुख्य अतिथि के बतौर निमंत्रित किया है। बीते साल उसने दुनिया की सबसे बड़ी हत्यारी ताकत अमेरिकी साम्राज्यवाद के मुखिया बराक ओबामा को इस समारोह का मुख्य अतिथि बनाया था। लगता है कि नरेन्द्र मोदी ने ठान लिया है कि गणतंत्र दिवस के समारोह में बारी-बारी से खूनी साम्राज्यवादी सरगनाओं को ही मुख्य अतिथि बनायेंगे।
फ्रांसीसी साम्राज्यवादियों के ऊपर अतीत में किए गए लाखों कत्ल के दाग हैं। ये प्रथम एवं द्वितीय विश्व युद्धों में हुई हत्याओं और तबाहियों के लिए जिम्मेदार तो हैं ही, इन्होंने वियतनाम और अल्जीरिया की आजादी के लिए लड़ने वाली बहादुर जनता का भी कत्लेआम किया। हाल के समय में भी फ्रांस की युद्ध मशीनरी अपना खूनी खेल खेलती रही है। इराक और अफगानिस्तान की तबाही में इन्होंने अमरीकी साम्राज्यवादियों का साथ दिया। लीबिया और सीरिया में इस्लामिक आतंकवादियों द्वारा मचाई गयी मारकाट के लिए ये सीधे जिम्मेदार रहे हैं। अफ्रीका के कई देशों में तो इन्होंने स्वतंत्र तौर पर हस्तक्षेप किया। माली को इस्लामिक आतंकवादियों से मुक्त कराने के नाम पर ये घुसे और उसके बाद वहां से निकलने का नाम नहीं ले रहे हैं। माली के साथ-साथ मॉरीतानिया, बुरकिना फासा, नाइजर और चाड में फ्रांसीसी फौज अड्डा जमाए हुए है। फ्रांसुआ ओलान्द भले ही अपने को समाजवादी कहते हैं, लेकिन जिस तरह से वे फा्रंसीसी साम्राज्यवादियों के हितों को आगे बढ़ाने का प्रयत्न करते हैं, इससे वे इन सभी मार-काट के लिए जिम्मेदार बनते हैं।
फ्रांसुआ ओलांद दुनिया की मुक्तिकामी जनता के लिए नफरत के पात्र तो हैं ही, खुद अपने देश में आलोकप्रियता ऊंचे स्तर पर है। यूरोपीय यूनियन के तहत चलाये जा रहे सुधार कार्यक्रम का फ्रांस के मजदूरों ने तीखा विरोध किया है। इसके बावजूद ओलान्द इस सुधार कार्यक्रम को जारी रखे हुए हैं। फ्रांस में विकास शून्य के करीब और बेरोजागारी दस प्रतिशत के आस-पास बनी हुई है। पेरिस में हुए आतंकवादी हमले का इस्तेमाल ओलान्द जनता के अंसतोष को भटकाने के लिए कर रहे हैं और पूरे फ्रांस में आपातकाल लगा दिया है। आपातकाल के प्रावधानों के अनुसार जनता को किसी भी तरह के विरोध प्रदर्शन कर की इजाजत नहीं हैं
ऐसे घृणित शख्सियत को नरेन्द्र मोदी गणतंत्र दिवस का मुख्य अतिथि क्यों बना रहे हैं ? लेकिन खुद नरेन्द्र मोदी ने हत्या और खून खराबे से कब गुरेज किया है। वे खुद भारत के पूंजीपति वर्ग की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए तरह-तरह से हाथ पैर मार रहे हैं। मजदूर-मेहनतकश जनता के हकों पर डाकेबाजी करने के बावजूद वे पूंजीपति वर्ग के मुनाफे को नहीं बढ़ा पा रहे हैं। वे पूरी दुनिया में घूम-घूम कर लुटेरी ताकतों को भारत की लूट का न्योता दे रहे हैं, लेकिन दुनिया पर छाए आर्थिक संकट की वजह से ये प्रयास निष्फल ही साबित हो रहे हैं इसके बावजूद नरेन्द्र मोदी के प्रयास जारी हैं। अपने ‘मेड इन इंडिया’ और स्मार्ट सिटी परियोजना के लिए फ्रांस द्वारा दिखाई गयी दिलचस्पी उन्हें आशान्वित कर रही है। फ्रांसीसी साम्राज्यावादी भी इसके एवज में अपन लड़ाकू जहाज और नाभकीय रिएक्टरों की सौदेबाजी करना चाह रहे हैं।
अगर फ्रांसुआ ओलान्द गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि के बतौर भारत आते हैं तो क्या वे भारत की मजदूर मेहनतकश उन्हें अपना मुख्य अतिथि मानेगी। भारत की जनता ने साम्राज्यवाद के खिलाफ लड़ते हुए अपने जिन सपूतो की कुबानियां दी हैं, जब तक उनकी याद भारतीय जनता के दिलों में है तब तक ऐसे खूनी हत्यारों को कभी भी वह अपन सम्मानित अतिथि नहीं मान सकती है। नरेन्द्र मोदी ऐसे हत्यारों को जितना ज्यादा अपना बगलगीर बनाएंगे, उतना ही ज्यादा अपने खिलाफ नफरत को बढ़ाएंगे।
पिछली बार के बराक ओबामा की तरह ही इस बार फ्रांसीसी साम्राज्यवादी फ्रांसुआ ओलांद को गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि बनाये जाने का विरोध किया जाना चाहिए।
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