Saturday, October 3, 2015

सीरिया पर रूसी साम्राज्यवादियों का हमला

     एक लम्बे समय तक सीरिया की असद सरकार को पीछे से मदद करने के बाद रूसी साम्राज्यवादियों ने अब उसे बचाने को सीरिया पर हमला बोल दिया है। उनके हमले का निशाना सारे असद विरोधी हैं चाहे वह आईएसआईएस हो, अलकायदा से संबद्ध अल-नूसरा हो या फिर पश्चिमी  साम्राज्यवादियों समर्थित फ्री सीरियन आर्मी।
    रूसी साम्राज्यवदियों द्वारा सीरिया पर इस हमले से सारे असद विरोधियों में बेचैनी पैदा हो गयी है। अमेरिकी साम्राज्यवादी, फ्रांसीसी साम्राज्यवादी,सऊदी अरब,तुर्की इत्यादि सभी इसे सीरिया में अपने हितों के खिलाफ समझ रहे हैं। और यह है भी।
     पश्चिमी साम्राज्यवादी,तुर्की,सऊदी अरब,कतर इत्यादि 2011 से ही सीरिया की असद सरकार को अपदस्थ करने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। इसके लिए उन्होंने 2011 के जन विद्रोहों का बहाना बनाया था। कहा गया था कि असद क्रूरता पूर्वक दमन कर रहे हैं। उस समय सीरिया की सेना में विद्रोह भड़काने का पूरा प्रयास किया गया और थोड़े से विद्रोहियों को लेकर फ्री सीरियन आर्मी का गठन किया गया। 
     कुछ समय बाद स्पष्ट हो गया कि फ्री सीरियन आर्मी असद सरकार की सेना को पराजित करने में समर्थ नहीं है। तब अल-कायदा के सीरियाई मोर्चे अल-नूसरा पर उम्मीद लगायी गयी। पर इसमें भी कामयाबी नहीं मिली। 
     इस बीच सऊदी अरब के शेख इराक में इरान को टक्कर देने के लिए वहां आईएस को खड़ा को खड़ा कर रहे थे। अब उन्होंने इसे विस्तारित करने का फैसला किया। अब यह आईएसआईएस हो गया। इराक और सीरिया में इसकी तेज सफलता ने सबका ध्यान इसकी ओर खींचा। लेकिन इसकी तेज सफलता से पश्चिमी साम्राज्यवादी चिंतित हो गये। उन्हें लगा कि वह सीरिया और इराक में उनके मंसूबों पर पानी फेर देगा। इसीलिए अब वे इसके समर्थन के बदले इसके विरोध में खड़े हो गये। उन्होंने इसके खिलाफ घुमावदार प्रचार किया, खासकर इसकी बर्बरता को लेकर। 
     इस पूरे दौर में रूसी साम्राज्यवादी,इरान और हेजबोल्ला असद सरकार का समर्थन करते रहे हैं। रूसी साम्राज्यवादियों का सीरिया में सैनिक अड्डा है जिसे वे गंवाना नहीं चाहेंगे। साथ ही उन्हें यही भी पता है कि इराक, लीबिया के बाद सीरिया में सत्ता परिवर्तन इस पूरे क्षेत्र को नये सिरे से ढालने की पश्चिमी साम्राज्यवादियों की परियोजना का हिस्सा है। इरान ने इराक में अनायास ही काफी अच्छी स्थिति हासिल कर ली है जिसे वह गंवाना नहीं चाहेगा। सीरिया में असद सरकार का जाना उसे काफी कमजोर कर देगा। हेजबोल्ला भी लेबनान में अपनी ताकत के लिए इन समीकरणों पर निर्भर करता है। 
     इन्हीं सब वजहों से उन्होंने अब तक असद सरकार की मदद की है। हेजबोल्ला के लड़ाके और इरानी सेना के सैनिक सीरिया में लड़ रहे हैं। रूसी साम्राज्यवादी कूटनीतिक तौर पर और सैनिक साजो-सामान से इसकी मदद करते रहे हैं। रूसी साम्राज्यवादियों की वजह से ही अब तक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में असद सत्ता को उखाड़ने के लिए प्रस्ताव नहीं पास हो सका है। 
     अब चार साल के युद्ध के बाद जब सीरिया शरणार्थियों को लेकर सारी दुनिया में सहानुभूति की लहर है तथा आईएसआईएस के खिलाफ एक माहौल, तब इसका इस्तेमाल कर रूसी साम्राज्यवादी सीरिया में सारी स्थिति को पलट  कर अपने अनुकूल बना लेना चाहते हैं। वे सीरिया पर हमले के लिए उसी आईएसआईएस के बहाने का इस्तेमाल कर रहे हैं। आज हालात ये हैं कि सीरिया पर रूसी, अमेरिकी और फ्रांसीसी तीनों बमबारी कर रहे हैं और तीनों यह आईएसआईएस से सीरिया को बचाने की नाम पर कर रहे हैं। इस बात की आशंका व्यक्त की जा रही है कहीं ये साम्राज्यवादी एक-दूसरे पर हमला शुरु न कर दें। 
    इन सारे साम्राज्यवादियों की इन सारी घृणित करतूतों के कारण सीरिया अब पहले से कहीं ज्यादा तबाही झेल रहा है। सीरिया अब दूसरा अफगानिस्तान बन चुका है। 
    पश्चिमी साम्राज्यवादियों के विरोध में होने के कारण रूसी साम्राज्यवादियों द्वारा सीरिया पर हमला कम घृणित नहीं हो जाता। यह भी उन्हीं साम्राज्यवादी हितों की पूर्ति के लिए है। इसीलिए इस हमले के प्रति कोई नरम रुख अपनाने के बदले इसका भी तीखा विरोध किया जाना चािहए। 

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