Saturday, September 5, 2015

संघ के दरबार में मोदी

       मोदी सरकार के मंत्रियों ने संघ के दरबार में हाजिरी दी या हो सकता है कि संघ ने मोदी सरकार को जवाब तलब किया हो। जो भी हो, यह यथार्थ है कि मोदी के मंत्रियों ने संघ के सामने अपने कामों का लेखा-जोखा पेश किया। 
       जब मोदी ने करीब साल भर पहले लोकसभा में पूर्ण बहुमत के साथ प्रधानमंत्री का ताज पहना तो उनकी इच्छा यही थी कि वे संघ के प्रभाव से भी उसी तरह मुक्ति पा लेें जिस तरह उन्होंने भाजपा के अन्य बड़े नेताओं से मुक्ति पायी थी और गुजरात में मुख्यमंत्री रहते हुए वहां संघ से मुक्ति पाई थी। लेकिन मोदी जैसा व्यवहारिक आदमी जानता था कि संघ की जरूरत पड़ सकती है इसीलिए उसे ‘गुड ह्यूमर’ में रखना जरूरी था। जिसे पूंजीवादी प्रचारतंत्र संघ के ‘फ्रिंज एलीमेंट’ की कार्रवाइयां कहता है यानी हिन्दू साम्प्रदायिक गतिविधियां, उनके अस्तित्व की एक वजह यह भी है।
      अब मोदी को संघ की जरूरत पड़ रही है क्योंकि हर मोर्चे पर उनके प्रचार की हवा निकल जाने के बाद उन्हें अपनी गिरती साख को बचाने की जरूरत है। अन्यथा तो जो मोदी अपने सारे मंत्रियों को सरकारी बाबुओं से भी नीचे ढकेल चुका है वह उन्हें संघ के दरबार में हाजिरी लगाने की अनुमति क्यों देता ? 
      भारत के एकाधिकारी पूंजीपति वर्ग के साथ यह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ही था जिसने भाजपा के अन्य वरिष्ठ केन्द्रीय नेताओं को पीछे धकेलकर प्रादेशिक नेता को सीधे प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठाया। लेकिन मोदी तो अपनी एहसानफरामोशी और अपने पहले के संरक्षक की कीमत पर खुद को आगे बढ़ाने के लिए मशहूर रहे हैं। वे संघ के साथ यही करने का इरादा रखते हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है। पर वे वह स्थिति हासिल नहीं कर पा रहे हैं जिससे इसे अंजाम दे सकें। इसीलिए संघ को ‘गुड ह्यूमर’ में रखना उनकी मजबूरी है। उन्हीं की तरह अवसरवादी और फासीवादी संघ भी मोदी सरकार को अपनी मुटठी में करने का मौका हाथ से क्यों जाने देगा ? ‘संघ और भाजपा के बीच सालाना अंतर्क्रिया’ के इस चरण का यही वास्तविक मतलब है।
      संघ और मोदी के बीच यह खींच-तान अभी नहीं थमने वाली। यह आगे जारी रहेगी ओर इसका विकास इस पर निर्भर करता है कि आने वाले समय में मोदी सरकार की क्या गति या दुर्गति होती है। अभी के संकेत यही हैं कि वातावरण मोदी के अनुकूल नहीं है।   

1 comment:

  1. तो आपका मनना है कि मोदी और संघ के बीच मतभेद है! क्‍या आप यह स्‍पष्‍ट करेंगे कि यह मतभेद क्‍या हैं?

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