Thursday, September 3, 2015

व्यवस्था परस्त मजदूर संगठनों का भण्डाफोड़ करो !

       2 सितम्बर को देश व्यापी हड़ताल और भारत बंद पर केन्द्रीय ट्रेड यूनियन फेडरेशनों और सरकार द्वारा अलग-अलग दावे किये जा रहे हैं। जहां फेडरेशनों का दावा है कि इसमें 15 करोड़ लोग शामिल हुए वहीं सरकार ने कहा कि इसका मामूली असर था। वस्तुस्थिति चाहे जो हो, इतना तो स्पष्ट है कि सरकार और पूंजीपति वर्ग इसे लेकर परेशान हैं। यह परेशानी तब और गंभीर रूप धारण कर लेती है जब इसे याद रखा जाये कि भूमि अधिग्रहण कानून के मामले में सरकार को कदम वापस खींचने पड़े हैं। अब श्रम कानूनों में परिवर्तन के मामले में उसके सामने चुनौती और बढ़ गयी है।
       दूसरी ओर यह सच्चाई है कि हड़ताल और बंद को लेकर फेडरेशनों का रुख बेहद घटिया रहा है और हड़ताल का ज्यादातर असर सरकारी विभागों, सार्वजनिक उद्यमों और अभिजात मजदूरों के कुछ हिस्सों तक सीमित रहा है। मजदूर वर्ग की ज्यादातर आबादी इससे बाहर या अन्य मनस्क रही है। खेत-मजदूरों को इसमें शामिल करने की तो इन्होंने सोची भी नहीं।
      वास्तविकता यह है कि ज्यादातर मजदूर आबादी किसी भी तरह के लड़ाकू संघर्ष के लिए तैयार है। जरूरत उसे बस संघर्ष के मैदान में उतारने की है। और ठीक इसी कारण ये फेडरेशन इस आबादी को संघर्ष में नहीं उतारना चाहते। वे बस किसी निम्न स्तर की सौदेबाजी हेतु इस तरह की अनुष्ठानिक कार्रवाइयों तक रहना चाहते हैं।
      कांग्रेस जैसी उदारीकरण की पूंजीवादी पार्टी या सुधारवादी कम्युनिष्टों के, जिन्होंने केरल और पश्चिमी बंगाल इत्यादि में मजदूर आंदोलन का बेड़ा गर्क किया, नेतृत्व वाले इन संगठनों से मजदूरों को किसी लड़ाकू संघर्ष में उतरने की बात सोचना स्वयं को धोखा देना है। वे वही कर सकते हैं और वही करेंगे जो उन्होंने 2 सितम्बर को किया या इसके पहले भी ऐसे अनुष्ठानिक आयोजनों में करते रहे हैं।
      ऐसे में इन अनुष्ठानिक आयोजनों के अवसरों पर और उनके बाद इनका मजदूर वर्ग के बीच भण्डाफोड़ करना ही प्रमुख कार्यभार बनता है। यह इनमें शामिल होकर इनकी कायरता और व्यवस्थापरस्ती को सबके सामने उजागार करने के साथ-साथ मजदूरों के बीच इनके चरित्र के बारे में व्यापक बातचीत के द्वारा किया जाना चाहिए। स्वयं इन आयोजनों को ही इनका भंडाफोड़ करने के लिए इस्तेमाल करना चाहिए।
      अब जबकि 2 सितम्बर का अनुष्ठान सम्पन्न हो चुका है तब इसे और बड़े पैमाने पर किया जाना चाहिए। 

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