Tuesday, July 21, 2015

क्यूबा व सं. रा. अमेरिका के राजनयिक संबंध बहाल

      क्यूबा और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच राजनयिक संबंध चौवन साल बाद कल 20 जुलाई के दिन बहाल हो गये। दोनों ने एक दूसरे के यहां अपने दूतावास खोले। 
चौवन साल पहले अमेरिका ने क्यूबा से तब अपने राजनयिक संबंध तोड़ लिये थे जब क्यूबा की क्रांति वाम की ओर मुड़ी और क्यूबा सोवियत खेमे का हिस्सा बन गया। तब से लेकर अभी तक अमेरिकी सरकार क्यूबा के वर्तमान निजाम को बदलने के लिए हर प्रयास करती रही है। इसी प्रक्रिया में उसने क्यूबा को एक आतंकवादी देश घोषित कर रखा था। 
क्यूबा की क्रांति 1959 में अमेरिका परस्त बेहद भ्रष्ट तानाशाह के खिलाफ हुई थी। फिडेल कैस्ट्रो उस क्रांति के राजनीतिक और सैनिक नेता थे। उसके अन्य नेताओं में फिडेल कैस्ट्रो के छोटे भाई राउल कैस्ट्रो और जगप्रसिद्ध चे ग्वेरा थे। 
शुरुआत में यह क्रांति राष्ट्रवादी थी - भ्रष्ट अमेरिका परस्त तानाशाही और अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की लूट के खिलाफ। यह इस हद तक था कि जब सशस्त्र संघर्ष के दौरान राउल कैस्ट्रो और चे ग्वेवारा ने एक अपेक्षाकृत मार्क्सवादी बयान जारी किया तो फिडेल कैस्ट्रो ने उन्हें डाँट पिलाई। अमेरिकी साम्राज्यवादियों को भी शुरु में फिडेल के निजाम के साथ कोई तालमेल होने की उम्मीद की थी। वैसे भी बतिस्ता शासन इतना बदनाम हो चुका था कि उसे बचाना अमेरिकी साम्राज्यवादियों के हित में नहीं रह गया था। 
लेकिन जब क्रांतिकारी शासन ने भूमि सुधार और अमेरिकी कंपनियों की सम्पत्ति की जब्ती शुरु की तो अमेरिकी साम्राज्यवादी इसके सख्त खिलाफ हो गये। दूसरी ओर नये क्रांतिकारी निजाम ने सोवियत खेमे से रिश्ते बढ़ाये और क्यूबाई क्रांति राष्ट्रवाद से ‘समाजवाद’ की ओर मुड़ गई। 
क्यूबाई ‘समाजवाद’ को इस रूप में रखने का कारण यह है कि यह कभी भी वास्तविक समाजवाद नहीं था। इसने तब सोवियत माॅडल को अपनाया और सोवियत खेमे का हिस्सा बना जब खु्रश्चेव के नेतृत्व में स्वयं सोवियत संघ पूंजीवादी रास्ते पर चल पड़ा था। 
लेकिन तब भी इसने जो राज्य के स्वामित्व वाली अर्थव्यवस्था अपनाई और अमेरिकी साम्राज्यवादियों  (अन्य पश्चिमी साम्राज्यवादियों सहित) के खिलाफ रुख अपनाया वह अमेरिकी साम्राज्यवादियों को गंवारा नहीं था। तब पूरे मध्य और दक्षिण अमेरिका में अमेरिकी साम्राज्यवादियों की दादागिरी चलती थी। वे अपने इस पिछवाड़े में एक विरोधी सरकार को स्वीकार करने को तैयार नहीं थे। 
इसीलिए उन्होंने इस निजाम को उखाड़ फेंकने के लिए हर संभव प्रयास किया। फिडेल कैस्ट्रो की हत्या के लिये न जाने कितने षड़यंत्र किये। यहां तक कि क्यूबा पर हमले का भी प्रयास किया। लेकिन क्यूबाई जनता की एकता और सोवियत खेमे की मदद से अमेरिकी साम्राज्यवादी सफल नहीं हो सके। 
जब 1980 के दशक में सोवियत खेमा बिखर गया और 1991 में स्वयं सोवियत संघ बिखर गया तथा वहां खुले पूंजीवाद की स्थापना हो गई तो क्यूबा के लिए बहुत मुश्किल दिन आ गये। सोवियत सहायता के अभाव में क्यूबाई अर्थव्यवस्था गंभीर संकट में पड़ गई। 
हालांकि इसके बाद भी फिडेल निजाम ने खु्रश्चेवी-ब्रेझनेवी सोवियत माडल अपनाये रखा पर अब इसमें और भी बड़े पैमाने पर निजी सम्पत्ति की छूट दी जाने लगी। और जब फिडेल के बाद राउल ने सत्ता संभाली तो इसमें और तेज गति आ गई। 
एक लम्बे समय से दुनिया भर के लोग और देशों की सरकारें अमेरिकी सरकार द्वारा क्यूबा पर लगे प्रतिबंधों की हटाने की मांग करती रही हैं। इसमें यूरोपीय साम्राज्यवादी सरकारें भी हैं जिन्होंने बाद में फिडेल निजाम के प्रति नरम रुख अपना लिया था। संयुक्त राष्ट्र संघ की आम सभा में जितने प्रस्ताव इस्राइल के खिलाफ पास हुए हैं उतने ही क्यूबा के पक्ष में। विश्व जनमत की बात करने वाला अमेरिका इन दोनों मामलों में हमेशा ही बेहद अल्पमत में रहा है। 
राउल कैस्ट्रो के सत्ता संभालने के बाद ही बराक ओबामा ने दोनों देशों के संबंध बहाल करने की दिशा में कदम बढ़ाये। जहां राउल कैस्ट्रो प्रशासन खुले पूंजीवाद को और छूट देने की ओर बढ़ा वहीं अमेरिकी साम्राज्यवादी भी क्यूबा में व्यवसाय के लिए लालायित हुये। उन्हें यह बात साल रही है कि क्यूबा का सारा व्यवसाय यूरोपीय साम्राज्यवादी हड़पे हुए हैं। 
बोलिविया, वेनेज्यूएला इत्यादि की तथाकथित साम्राज्यवाद विरोधी सरकारों के साथ नजदीकी संबंधों के बावजूद राउल कैस्ट्रो पुराने जमाने का अमेरिका विरोधी क्रांतिकारी क्यूबा नहीं रह गया है। इससे अब  साम्राज्यवादियों को जरा भी खतरा नहीं है। इसलिए उससे संबंध बहाल करने में अमेरिकी साम्राज्यवादियों को कोई परेशानी नहीं थी बल्कि फायदा ही था। 
क्यूबा व अमेरिका की इस संबंध बहाली से क्यूबाई मजदूर वर्ग को कोई लाभ नहीं होगा। उल्टे वह अब अमेरिकी वित्तीय पूंजी की लूट का भी शिकार होगा। यह पूंजी उम्मीद पाले हुए है कि वह जल्दी ही क्यूबा में ‘सामान्य स्थिति’ बहाल कर देगी यानी या तो खुले पूंजीवाद की स्थापना हो जायेगी या फिर चीनी माडल अपना लिया जायेगा। 
1959 की क्यूबाई क्रांति वास्तव में आगे की चीज थी लेकिन आज का क्यूबाई ‘समाजवाद’ नहीं। दुनिया के बाकी देशों की तरह वहां भी वास्तविक समाजवाद की स्थापना के लिए एक नयी समाजवादी क्रांति की जरूरत होगी। वक्त आने पर इसे कोई राउल कैस्ट्रो या बराक ओबामा रोक नहीं पायेगा। 

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