भारत के पूंजीवादी प्रचारतंत्र के बारे में नेपाल सरकार की नाखुशी अब आम चर्चा का विषय है। जिस तरह से नेपाल भूकम्प आपदा में भारत की सहायता को भारत के पूंजीवादी प्रचारतंत्र ने अपनी सरकार और अपने देश की शेखी बघारने के लिए इस्तेमाल किया उसे देखते हुए नेपाल सरकार का रंज स्वाभाविक है। इस रंज की अभिव्यक्ति केवल इसलिए मायने नहीं रखती कि संकट की इस घड़ी में कोई भी सहायता महत्वपूर्ण है कि नेपाल सरकार वैसे भी कई मायनों में भारत पर निर्भर है।
नेपाल की सरकार का रंज केवल भारत से ही नहीं है। उसे अन्य देशों से भी परेशानी है। यहां तक कि उसने अपील कि अन्य देश अब आगे और राहत व बचाव टीमें न भेंजे।
बड़ी आपदा की स्थिति में यही स्वाभाविक है कि आपदाग्रस्त देश की सरकार हर तरीके की सहायता का स्वागत करे। खासकर गरीब देशों के लिए तो और भी जरूरी होता है। पर पिछले सालों में लगातार यह देखने में आया है कि बड़ी आपदा की घड़ी में सहायता पहंुचाने की आड़ में साम्राज्यवादी और बड़े देश अपने अन्य घृणित मंसूबों को पूरा करने की कोशिश करते हैं।
2004 की सुनामी से लेकर हैती के भयंकर भूकम्प तक और अब नेपाल के भूकम्प की तमाम घटनाएं यह दिखाती हैं कि साम्राज्यवादी और बड़े देश आपदा की आड़ में वह हासिल करने की कोशिश करते हैं जिसकी वे इच्छा तो रखते हैं पर जिसके लिए उन्हें मौका नहीं मिलता। नेपाल के ताजा मामले को ही लें। नेपाल की भारत पर निर्भता तथा नेपाली सेना के साथ भारतीय सेना के संबंध पुराने हैं। पर हाल के सालों में चीन भी नेपाल में अपने पांव पसारने की कोशिश कर रहा है। भारत का पूंजीवादी प्रचारतंत्र इस बात पर लगभग मौन रहा कि इस आपदा में भारतीय सेना की तरह चीन की सेना ने भी बड़े पैमाने पर राहत और बचाव कार्य में भागीदारी की। यहां तक की फ्रांसीसी सेना ने भी अपनी नाक घुसेड़नी चाही। शायद विभिन्न देशों के इन्हीं प्रयासों के मद्देनजर ही नेपाल सरकार ने बाद में कहा कि अब बाहर से और राहत व बचाव दलों की आवश्यक्ता नहीं है।
प्राकृतिक आपदाएं आज भी एक बड़ी त्रासदी बनी हुयी हैं हालांकि इनसे बचने या इनके द्वारा नुकसान से बचने के लिए वैज्ञानिक-तकनीकी ज्ञान उपलब्ध है। इस विज्ञान और तकनीक के बावजूद बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान जहां एक ओर पतित पूंजीवादी व्यवस्था के चरित्र को उदघाटित करता है वहीं दूसरी ओर आपदा की आड़ में अधिपत्य की राजनीति इसके प्रति किसी भी तरह के भ्रम को असंभव बना देती है।
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