Saturday, May 2, 2015

भूकंप पीडि़त नेपाली मेहनतकशों की सहायता के लिए आगे आयें !

25 अप्रैल की दोपहर को नेपाल में आये भूकंप में व्यापक तबाही हुयी। हजारों लोग मारे गये और हजारों घायल हो गये। विस्थापितों की संख्या लाखों में है। संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार ढाई करोड़ की आबादी वाले नेपाल में अस्सी लाख से ज्यादा लोग भूकंप की त्रासदी से प्रभावित हुए हैं। 
नेपाल में आये भूकंप का असर भारत, तिब्बत, भूटान और बांग्लादेश में भी पड़ा और यहां भी सैकड़ों लोग प्रभावित हुये। गौरतलब है कि यह पूरा हिमालयी क्षेत्र भूकंप की दृष्टि से अति संवेदनशील क्षेत्र है और इस पूरे क्षेत्र में कभी भी भूकंप आ सकते हैं। भूकंप को तो नहीं रोका जा सकता परंतु सही बंदोबस्त करके उससे होने वाले नुकसान को काफी कम किया जा सकता है।
नेपाल में हुयी त्रासदी वर्तमान समाज व्यवस्था के कारण और भी भयावह बन गयी। काठमाण्डू आदि शहरों में जिस अवैज्ञानिक ढंग से इमारते बनी हैं, उसने मरने वालों की संख्या को सैकड़ों में पहुंचाया और फिर इसके बाद घायलों को निकालने और उनकों तुरंत चिकित्सा उपलब्ध कराने की व्यवस्था न होने के कारण यह संख्या हजारों में पहुँच गयी। अब वहां महामारी फैलने का खतरा मण्डरा रहा है। 
जैसा नेपाल में हुआ वैसा भारत में भी कभी भी घट सकता है। और असल में अतीत में घट चुका है। 2013 में केदारनाथ और 2014 में जम्मू-कश्मीर में आयी बाढ़ के समय यदि सही व्यवस्था व आपदा प्रबंधन होता तो उतनी जान-माल की हानि नहीं होती जितनी कि हुयी। 
वर्तमान पूंजीवादी व्यवस्था का चरित्र ऐसा है कि इसमें आम मेहनतकश ऐसी आपदाओं के समय सबसे बुरी तरह से प्रभावित होते हैं। उनके साथ सच्चे अर्थोें में खड़े होने वाले बिरले ही होते हैं। 
शासक वर्ग जो कि ऐसी भयावह त्रासदी के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार है ‘आंसू पोछने’ के नाम पर महज कुछ तात्कालिक औपचारिकता पूरी करता है। और फिर अगली आपदा तक के लिए चुपचाप बैठ जाता है। होता बस इतना है कि उसकी आम मेहनतकशों के प्रति हर समय बरती जाने वाली क्रूरता कुछ समय के लिए तथाकथित दयालुता में बदल जाती है। लूटने-खसोटने वाले ऐसे मौकों पर चैरिटी करने लगते हैं।
नेपाल सहित आम मेहनतकशों कोे चैरिटी की आवश्यकता नहीं है। उन्हें ऐसी समाज व्यवस्था नहीं चाहिए जहां पहले किसी की आंख से खून के आंसू निकाले जायें और फिर कोई उनके आंसू पोछने का नाटक करे। न ऐसे लोग हों  जो एक तरफ जख्म देते हों और दूसरी तरफ चैरिटी करते हों।
हम मेेहनतकशों के लिए यह समय चैरिटी(दया दिखाने) का नहीं भाईचारा(सालिडिरिटी) व्यक्त करने का है। यह वक्त हम मेहनतकशों के अपने नेपाली मेहनतकश भाईयों के साथ खड़े होने का है। आज उन्हें हमारे साथ की सख्त जरूरत हैै, कल उनके साथ की हमें जरूरत पड़ सकती है। भाई ही भाई के साथ खड़ा होता है। आइये हम उनके साथ खड़े हों और हर संभव तरीके से अपने भाइयों को इस संकट की घड़ी से बाहर आने में योगदान करें। 
नेपाल भूकंप पीड़ित एकजुटता मंच जिसका निर्माण ‘नागरिक’ पाक्षिक अखबार और विभिन्न जनसंगठनों (प्रोगेसिव मेडिकोज फोरम, इंकलाबी मजदूर केन्द्र, परिवर्तनकामी छात्र संगठन, प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र,क्रांतिकारी लोकअधिकार संगठन................... ) ने मिलकर किया है, आपसे हरसंभव मदद की अपील करता है।
हम अपनी क्षमताभर योगदान के लिए कृतसंकल्प हैं। नेपाल के भूकंप पीडि़तों की सहायता के लिए एक मेडिकल टीम वहां के हमख्याल जनपक्षधर लोगों के सहयोग से भेज रहे हैं। इस वास्ते धन और दवाइयों से योगदान करने की आपसे अपील करते हैं। 

सम्पर्क सूत्र-
nagriksamachar.blogspot.com
Mo. O7500714375
(05947) 252240
नेपाल भूकंप पीड़ित एकजुटता मंच

नागरिक सम्पादक मुनीष कुमार रामनगर(उत्तराखंड), मो. 09837474340 द्वारा जनहित में प्रसारित व प्रचारित 

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