Thursday, March 12, 2015

मनमोहन नहीं बल्कि सबको जेल जाना होगा

    सी बी आई की एक अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को तलब किया है। मसला 2005 में कुमारमंगलम बिड़ला  की हिन्डालको कंपनी को एक कोयला खदान आवंटित करने का है। यह खदान 1993 से 2009 के कोयला खदान घोटाले में शामिल है जिसमें सरकार को कुल 1.8 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का चूना लगा माना जाता है। 
      मनमोहन सिंह को अदालती समन मिलने के बाद न केवल कांग्रेस पार्टी में खलबली है बल्कि सरकार चला रही भाजपा और उद्योगपतियों में भी खलबली है। भाजपाई मंत्री कह रहे हैं कि इसका नौकरशाही और मंत्रियों पर निर्णय लेने के मामले में असर पड़ेगा यानि वे निर्णय लेने से डरेंगे। उद्योगपतियों के संगठन सी आई आई ने तो बाकायदा बयान जारी कर कहा कि इससे निवेश प्रभावित होगा।
      जहां तक मनमोहन सिंह की बात है उन्होंने कहा कि वे सच्चे हैं और अदालत का सामना करने को तैयार हैं। कांग्रेस पार्टी भी खुद को उनके साथ खड़ा बता रही है। 
     मनमोहन सिंह सच बोल रहे हैं। क्योंकि  यदि उन्हें दोषी माना जाता है तो 1991 के बाद से केन्द्र और प्रदेशों के हर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को जेल जाना पड़ेगा। सबने वही काम किया है जो मनमोहन सिंह ने किया था यानि पूंजीपतियों को हर संभव फायदा पहुंचाने का चाहे इससे उन्होंने खुद फायदा उठाया हो या नहीं। जेल जाने वालों में सबसे ऊपर वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी होंगे क्योंकि अडानी-अंबानी से लेकर समूचा पूंजीपति वर्ग उनसे इतना खुश है कि उन्हें दिल्ली की गद्दी पर बैठाने के लिए पचासों हजार करोड़ रुपये चुनाव में खर्च कर डाले। 
    लेकिन जेल जाने वालों में केवल नेता, नौकरशाह और उद्योगपति ही नहीं होेंगे। इसमें 1991 से सारे माननीय न्यायाधीश भी होंगे क्योंकि इन पच्चीस सालों में उन्होंने सैकड़ों फैसलों में उस निजिकरण-उदारीकरण की नीति को सही ठहराया है जिसके तहत उपरोक्त लूट हो रहीे है। तब मारुति फैक्टरी के मजदूरों को नहीं बल्कि माननीय न्यायधीशों को जेल में बंद होना पड़ेगा जो यह सुनिश्चित नहीं कर सकते कि देश के हर संस्थान में श्रम कानून लागू हों।
    पर ऐसा नहीं होगा। लूटने और लुटाने वाले ऐसे ही छुट्टा घूमते रहेंगे और अपना खेल जारी रखेंगे। हां, बीच-बीच में इस तरह का नाटक रच कर वेे बताते रहेंगे कि पूंजीवादी व्यवस्था नियमों-कानूनों से चलती है और किसी को नियम तोड़ने की इजाजत नहीं दी जा सकती, भले ही वह प्रधानमंत्री ही क्यों न हो। 

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