Wednesday, February 11, 2015

दिल्ली में आम आदमी पार्टी की जीत के मायने

  दिल्ली प्रदेश चुनावों में आम आदमी पार्टी की बड़ी जीत से केजरीवाल एण्ड कंपनी तो खुश है ही, कांग्रेसी भी मन ही मन खुश हैं, हालांकि दिल्ली में उनकी लुटिया डूब गयी है। इस खुशी का कारण हेकड़ीबाज नरेन्द्र मोदी की पराजय है। हालांकि भाजपायी इस हेकड़ीबाज की स्पष्ट पराजय को दायें-बायें कर झुठलाने का प्रयास कर रहे हैं पर हार इतनी बड़ी और स्पष्ट है कि वे सफल नहीं हो सकते। 
केजरीवाल ने यदि अपने हमजाद मोदी को दिल्ली में मात दे दी तो इस कारण नहीं कि वे कम हेकड़ीबाज, कम अवसरवादी, कम धूर्त या कम भ्रष्ट हैं। केजरीवाल का पिछले चार सालों का रिकार्ड ही यह दिखाता है कि इन सभी श्रेष्ठ गुणों में पल्टू और फेंकू एक दूसरे को मात देते हैं। 
तब फिर केजरीवाल एण्ड कंपनी की इस बड़ी जीत का कारण क्या है ? इसका पहला कारण तो जनता की बदलाव की आंकाक्षा है। कांग्रेस और भाजपा द्वारा छली गयी और उनसे बेजार जनता की बदलाव की इस आकांक्षा को इन नये मजमेबाजों ने भुनाया है जो पूंजीपति वर्ग द्वारा मैदान में लाये गये हैं। दिल्ली का वर्तमान चुनाव इन मजमेबाजों के अस्तित्व का सवाल था और इसमें इनकी बड़ी जीत से यह सुनिश्चित हो गया कि वे भारतीय पूंजीवादी राजनीति में बने रहेंगे और देश के पैमाने पर जरूरत पड़ने पर पूंजीपति वर्ग द्वारा कांग्रेस और भाजपा के विकल्प के तौर पर पेश किये जायेंगे। जो दिल्ली में हुआ वह पेरे देश में दोहराया जा सकता है पर इसकी बहुत सीमाएं और जटिलताएं हैं।
बदलाव की इस आकांक्षा के अलावा दिल्ली की गरीब जनता की निहायत बुनियादी जरूरतों पर हवाई वायदे कर इन सभी मजमेबाजों ने उसका वोट हासिल किया है। गरीब आबादी ने इन्हें बिजली, पानी और बस्ती के अधिकृतीकरण क लिए वोट दिया है। ये वे वायदे हैं जिसके आधार पर शीला दीक्षित ने लगातार तीन बार जीत हासिल की थी। 
मोदी की ही तरह खुले पूंजीवाद में यकीन करने वाले ये मजमेबाज जिनका नारा है - व्यवसाय करना सरकार का काम नहीं है, क्या ये वायदे पूरे करेंगे ? हरगिज नहीं। पिछले 49 दिनों का शासन इसका गवाह है भले वे इसके बारे में कितनी बातें बनायें। झूठ बोलकर और वायदे कर मोदी ने बहुमत हासिल किया था। नौ महीने बाद उन्हें दिल्ली में मुंह की खानी पड़ी। इसके पहले शीला दीक्षित 47 प्रतिशत वोट और 52 सीटें हासिल कर चुकी हैं। राजीव गांधी ने 1984 में अप्रत्याशित जीत हासिल की थी पर दो साल बाद हर कोई उन्हें गाली दे रहा था। 
केजरीवाल एण्ड कंपनी का भी यह भविष्य है। पर मोदी की तरह वे भी जनता को भ्रमित करने के लिए हर संभव छल-छदम करेंगे। अभी तक का उनका इतिहास बताता है कि वे इसमें मोदी की तरह ही किसी मर्यादा का पालन नहीं करेंगे। 
क्रांतिकारी शक्तियों को अभी से इनका भंडाफोड़ करने में जुट जाना होगा जिससे जनता को बदलाव की आकांक्षा को सही दिशा में मोड़ा जा सके। 

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