Saturday, January 24, 2015

होशियार : महाराजाधिराज पधार रहे हैं

         नरेन्द्र मोदी की संघी सरकार ने अमेरिकी साम्राज्यवादियों की जी-हुजूरी में अपनी सारी हदें पार कर दी हैं। देशभक्ति के इन स्वयंभू ठेकेदारों ने देश की ऐसी-तैसी करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है। 
       खबरों के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा के भारत पहुंचने के तीन दिन पहले से लेकर उनके यहां से जाने तक राजधानी दिल्ली की सुरक्षा व्यवस्था अमरीकियों के हाथों में रहेगी। अमेरिकी खुफिया एजेन्सियां हर चीज पर नजर रखेंगी। दिल्ली के कई बड़े होटल अमेरिकी अधिकारियों ने अपने कब्जे में ले लिये हैं। यहां तक कि इस काल में दिल्ली का वायु क्षेत्र भी अमरीकियों के कब्जे में रहेगा। भारतीय नागरिक और सैनिक विमान अपने ही वायु क्षेत्र में नहीं उड़ पायेंगे। 
        किसी भी गैरत वाले देश के लिए यह अपमानजनक है। अमेरिकी साम्राज्यवादी ऐसी हरकत रूस या चीन के साथ नहीं कर सकते। वे फ्रांस और जर्मनी के साथ भी ऐसा नहीं कर सकते। सबसे घृणित बात तो यह है कि भारत के चाटुकार पूंजीवादी प्रचार माध्यम इस सब पर सवाल उठाने के बदले इस पर बगलें बजा रहे हैं। 
        अमेरिकी साम्राज्यवादी अपनी बारी में भारत के इन बेगैरत छुटभैयों के साथ क्या करते हैं? वे यहां के रक्षा मंत्री की एक नहीं दो बार कपड़े उतरवाकर तलाशी लेते हैं मानों वह अमेरिका में किसी को मारने आया हो। वे नरेन्द्र मोदी सरीखे बड़बोले प्रधानमंत्री की अगवानी के लिए कोई छोटा-मोटा अफसर भी हवाई अड्डे पर नहीं भेजते। इतनी बेइज्जती के बाद जब ओबामा कुछ देर के लिए नरेन्द्र मोदी को व्हाइट हाउस बुला लेते हैं तो मोदी फूले नहीं समाते और भारत में उनके चमचे लहालोट हो जाते हैं। 
        इस बेशर्म चाटुकारिता और साष्टांग दण्डवत के पीछे भारत के पूंजीपति वर्ग व मध्यम वर्ग के भीतर साम्राज्यवादियों से रिश्तों को लेकर एक गहरी कुण्ठा तो है ही साथ ही आज अमेरिकी साम्राज्यवादियों की ओर से कुछ जूठन की उम्मीद भी है। अमेरिकी साम्राज्यवादी इस समय सारी दुनिया में भीषण खूनी लूट-पाट कर रहे हैं। वे हर जगह बम गिराते और तबाही ढाते घूम रहे हैं। भारत के पूंजीपति चाहते हैं कि उन्हेें भी इस लूट का थोड़ा सा हिस्सा मिल जाये। अपने अकेले के दम पर तो वे पाकिस्तान-बांग्लादेश से भी नहीं निपट सकते। हां, अमरीकियों का पिछवाड़ा पकड़कर वे जरूर कुछ पा सकते हैं। इसके लिए यदि रेंगना पड़े, अपने देश का आत्म सम्मान धूल में मिलाना पड़े तो भी कोई बात नहीं। 
         भारत के पूंजीपति अपनी इस बेहयाई भरी चाटुकारिकता में इस हद तक बढ़ गये हैं कि उनके छोटे पुलिसिया अफसर इस घृणित हरकत का जरा भी विरोध नहीं बर्दाश्त कर रहे हैं। वे अपने ही कानून को लात मारकर विरोध करने वालों को गिरफ्तार कर रहे हैं और हताशा में सीधे मुकदमें लाद रहे हैं। 
         भारत के पूंजीपति वर्ग की यह हताशा भरी कार्रवाई ही यह दिखाती है कि उन्हें इस बात का एहसास है कि वे बारूद के ढेर पर बैठे हुए हैं। इसीलिए वे हर चिंगारी से अपना बचाव करने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं। पर वे आखिर कब तक बचेंगे।  

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