पिछले करीब दो सप्ताह से विपक्षी पार्टियां भाजपा और नरेंद्र मोदी को सांप्रदायिकता के मामले पर संसद में घेरने में लगी हुई हैं। मोदी के सांसद और संघी कारकून इसके लिए उन्हें मसाला भी प्रदान कर रहे हैं। पर मोदी हैं कि सांप की तरह इधर से उधर निकल रहे हैं।
मोदी वंदना और मोदी प्रचार में तल्लीन पूंजीवादी प्रचारतंत्र सारे देश को विश्वास दिलाना चाहता है कि भाजपा के सांसद तथा संघी कारकून जो घृणित हरकतें करते घूम रहे हैं उनसे मोदी की कोई सहमति नहीं हैं, उनमें मोदी की भूमिका की तो बात ही क्या की जाए। उनके अनुसार मोदी तो विकास के मुद्दे पर केंद्रित करना चाहते हैं पर उनके सहयोगी बिगड़ैल बच्चों की तरह अन्याय शन्याय बक दे रहे हैं या नागवार हरकत कर दे रहे हैं।
मोदी के ये मुरीद और बेशर्म प्रवक्ता बड़ी सफाई से इस तथ्य को गोल कर जाते हैं कि इस समय सरकार और भाजपा में एक पत्ता भी मोदी की मर्जी के बिना नहीं हिलता। सोनिया गांधी भी उनसे इस बात पर रश्क करती होंगी कि कांग्रेस में उनकी स्थिति मोदी जैसी क्यों नहीं है।
सच यही है कि सरकार और भाजपा में इस समय सब कुछ मोदी की मर्जी से ही चल रहा है। मोदी के सर्किट की भूमिका निभा रहे हैं अमित शाह। भारतीय पूंजीवादी राजनीति की मुन्नाभाई और सरकिट की यह जोड़ी पतित भारतीय पूंजीवाद में एक से एक गुल खिला रही है जो राजकुमार हिरानी की फिल्मों की तरह मजेदार तो बिल्कुल भी नहीं है।
यदि लोकसभा में सांप्रदायिकता पर बहस में योगी आदित्यनाथ भाजपा के प्रमुख वक्ता थे तो यह मोदी-अमित शाह का ही निर्णय था। यदि उत्तर प्रदेश के उपचुनावों में इस कदर भाजपा द्वारा सांप्रदायिक विष वमन किया गया तो यह मोदी-शह का ही निर्णय था।
यदि भाजपाई सांसद सांप्रदायिक गाली-गलौच करते घूम रहे हैं तो यह मोदी-शाह की नीति के तहत हो रहा है। यदि संघी कारकून खुलेआम घर वापसी के नाम पर धर्मांतरण करा रहे हैं तो यह मोदी-शाह की अनुमति से हो रहा है।
आज हर भाजपाई और संघी हेकड़ी से भर चुका है। उसे लगता है कि उसके पास सत्ता है और वह खुलकर अपना सांप्रदायिक खेल-खेल सकता है। वह आश्वस्त है कि मोदी-शाह उसके पीछे खड़े हैं।
अंबानी-अडाणी, टाटा-बिड़ला इत्यादि की सेवा में अथक परिश्रम करने वाले नरेंद्र मोदी की आम नीति ही यह है कि विकास के नाम पर पूंजीपति वर्ग को लूट की पूरी छूट दी जाए तथा उस पर सब कुछ लुटाया जाए। इससे त्रस्त जनता को हिंदू सांप्रदायिकता के नरक कुण्ड में धकेला जाए- हिंदुओं को हिंदु सांप्रदायिकता से सरोबार किया जाए और मुसलमानों-इसाईयों को दंगों और सरकारी दमन की चपेट में लिया जाए। व्यवहार में जो हो रहा है वह इसी आम नीति की ही अभिव्यकित है।
इस घृणित आम नीति का हर तरीके से, हर घटना के संदर्भ में भण्डाफोड़ करना जरूरी है। इसी के जरिए मोदी-शाह और उनके संघियों ते असली इरादों को उजागर किया जा सकता है।
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