Wednesday, December 24, 2014

ओबामा को तोहफा

       नरेन्द्र मोदी की संघी सरकार अतिथि देवो भव का जाप करते हुए बराक ओबामा की हर तरह से मिजाजपुर्सी करने के लिए दृढ़ संकल्प है। इसी कड़ी में इसने बीमा क्षेत्र में 26 प्रतिशत की विदेशी पूंजी निवेश की सीमा को एक अध्यादेश के जरिये 49 प्रतिशत कर दिया है। 
बीमा क्षेत्र में विदेशी पूंजी निवेश की सीमा बढ़ाने वाला यह विधेयक इस सत्र में संसद में पास नहीं सका। इसकी मूल वजह कई पार्टियों द्वारा इसका विरोध तथा राज्य सभा में सरकार का बहुमत न होना है। लेकिन कभी स्वदेशी का बात करने वाले संघी अब हर कीमत पर विदेशी पूंजी को भारत लाना चाहते हैं चाहे इसके लिए उन्हें संसदीय प्रक्रियाओं की ऐसी-तैसी ही क्यों न करनी पड़े। संसद में कानून पास न करा पाने पर उसे अध्यादेश के जरिये लागू करना ऐसा ही कदम है।
संघियों का दावा है कि बीमा क्षेत्र में इस छूट के जरिये विदेशी पूंजी का आगमन होगा और इस तरह देश की अर्थव्यवस्था में बेहतरी होगी। प्रकारान्तर से वे यह बताना चाहते हैं कि बीमा क्षेत्र में लगाने के लिए देश में पूंजी है ही नहीं। 
पर असल बात यह है कि इसके जरिये बीमा क्षेत्र में उसी तरह विदेशी सट्टेबाज पूंजी को और छूट मिलेगी जिस तरह शेयर बाजार में उन्हें छूट मिली हुई है। ध्यान देने की बात है कि वैश्विक वित्तीय संकट में बीमा क्षेत्र की पूंजी की अच्छी-खासी भूमिका थी क्योंकि यूरोप-अमेरिका में बीमा क्षेत्र पूरी तरह से सट्टेबाज पूंजी के साथ नत्थी हो चुका है। 
नरेन्द्र मोदी ने अमेरिका की अपनी हालिया यात्रा के दौरान नाचते-गाते हुए अमेरिका के पूंजीपतियों को यह भरोसा दिलाया था कि उनकी सट्टेबाज पूंजी के लिए भारत के द्वार और चैड़े होंगे। अब जब उनके प्रतिनिधि बराक ओबामा भारत आ रहे हैं तो अपना वायदा पूरा करना ही होगा और ओबामा को सौगात देनी ही होगी।  
इसलिए संसदीय बिल के जरिये नहीं तो अध्यादेश के जरिये यह तोहफा तैयार कर लिया गया और रवाना कर दिया गया। क्विक डिलवरी के इस जमाने में ओबामा गणतंत्र दिवस पर आते रहेंगे। 

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