संघी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने इस साल के गणतंत्र दिवस समारोह में सं. रा. अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया है। बराक ओबामा ने इसे स्वीकार भी कर लिया है यानी वे गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि होंगे।
बराक ओबामा में ऐसी क्या खासियत है कि वे स्वघोषित ‘दुनिया के के सबसे बड़े लोकतंत्र’ के लोकतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि होंगे? उनकी कई खासियतें हैं।
वे दुनिया के सबसे ताकतवर और साम्राज्यवादी देश के राष्ट्रपति हैं। उनकी जी हुजूरी करना संघी प्रधानमंत्री और उनकी सरकार को लाभदायक लगता है।
बराक ओबामा अमेरिका के एक से बढ़कर एक आतताइयों में भी सबसे आगे निकले हैं। उन्होंने दूसरे देशों के खिलाफ जितने हमले किये हैं उतना किसी राष्ट्रपति ने नहीं किये। लीबिया, सीरिया से लेकर तमाम अफ्रीकी देशों तक इनकी लम्बी कतार है।
बराक ओबामा ही वे अमेरिकी राष्ट्रपति हैं जिन्होंने हमला किये गये देश में ड्रोन से निर्दोष नागरिकों की हत्या करना अपनाएक नियमित पेशा बना लिया है। केवल अफगानिस्तान और पाकिस्तान में ही ऐसे नागरिकों की संख्या हजारों में है, जिसमें भारी मात्रा में महिलायें और बच्चे भी हैं।
बराक ओबामा ही वे अमेरिकी राष्ट्रपति हैं जो स्वयं अपने को देश के नागरिकों की बिना किसी अदालती प्रक्रिया के हत्या के आदेश देते हैं। विदेशों में ऐसे कई अमेरिकी नागरिकों की हत्या की जा चुकी है। बराक ओबामा ने अपनी करतूतों से साबित किया है कि कोई देश दूसरे देशों को गुलाम बनाकर स्वयं अपने नागरिकों को स्वतंत्र नहीं रहने दे सकता।
बराक ओबामा ही वे राष्ट्रपति हैं तो शांति का नोबल मेडल गले में लटकाये हुए सारी दुनिया में हिंसा को बढ़ावा दे रहे हैं, चाहे वह फिलीस्तीन पर इस्राइल का हमला हो या फिर घोर प्रतिक्रियावादी उक्रेनी शासकों का अपने नागरिकों का हिंसक दमन।
बराक ओबामा वे राष्ट्रपति हैं जो हर तरीके का वायदा कर 2009 में अमेरिका के राष्ट्रपति बने और उसके बाद हर वादे से वादाखिलाफी की। मसला चाहे इराक-अफगानिस्तान से अमेरिकी सेनाओं की वापसी का हो या फिर ग्वान्तेनामो बे के बंदी गृह को बंद करने का, वे हर वादे से मुकरे।
बराक ओबामा आज दुनियाभर के सारे आतताई और प्रतिक्रियावादी शासकों के सिरमौर हैं। बात यह नहीं है कि वे सबसे ज्यादा प्रतिक्रियावादी शासक हैं। बात यह है कि वे सारे कम या ज्यादा खूंखार प्रतिक्रियावादी शासकों के सरगना हैं। ऐसा इसलिए है कि अमेरिकी साम्राज्यवाद की आज सारी दुनिया में तूती बोलती है।
ठीक इसी कारण मोदी जैसे प्रतिक्रियावादी शासक बराक ओबामा से बहुत नजदीकी महसूस करते हैं। वे उन्हें हमारे दोस्त कहते हैं हालांकि ये दोस्ती एकतरफा है। कोई माफिया डाॅन अपने छोटे-मेाटे गुण्डों को अपना दोस्त नहीं मानता।
मोदी सरकार ने अमेरिकी साम्राज्यावादियों को कई तोहफे दिये हैं। अभी खाद्य सुरक्षा पर भी उसने अमेरिकी साम्राज्यवादियों से कोई गुप्त समझौता किया है जिसकी शर्तों का वह खुलासा नहीं कर रही है।
मोदी सरकार के इन तोहफों के कारण ही बराक ओबामा ने उस पर यह कृपा की कि वे गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि बनने को तैयार हो गये। छुटभैयों की मिजाज पुर्सी करते रहना चाहिए।
बराक ओबामा सारी दुनिया सहित भारत की मजदूर-मेहनतकश जनता के भी दुश्मन हैं। इसीलिए उनके इस भारत आगमन का पुरजोर तरीके से विरोध किया जाना चाहिए। उन्हें और उनके मुरीद भारतीय प्रतिक्रियावादी शासकों को यह संदेश दिया जाना चाहिए कि उनके नापाक गठजोड़ और उनकी नापाक हरकतों को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।
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