Friday, September 26, 2014

‘मेक इन इंडिया’ यानी आओ लूटो

25 सितम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूंजीपतियों की एक भारी-भरकम महफिल में ‘मेक इन इंडिया’ का नारा बुलन्द किया। यह नारा मूलतः विदेशी पूंजीपतियों को सम्बोधित था जिसका मतलब था कि वे भारत में पूंजी लगाने आयें। उन्हें हर तरह की सुविधा और छूट मिलेगी। मोदी ने संयुक्त राज्य अमेरिका की अपनी यात्रा के ठीक पहले यह नारा बुलन्द कर अमेरिकी साम्राज्यवादियों को खास संदेश देने की कोशिश की। 
एक समय था जब संघी स्वदेशी की बात करते थे। अब वे स्वदेशी की बातों को बहुत गहरे दफना चुके हैं। वैसे संघियों के लिए स्वदेशी बातें हमेशा ही निम्न मध्यमवर्गीय कूपमंडूकों को धोखा देने की साजिश थी क्योंकि वे हमेशा से ही (कम से कम जनसंघ के जमाने से) विदेशी पूंजी के एकीकरण के समर्थक रहे हैं। जनसंघ नेहरू के जमाने की सरकार नियंत्रित अर्थव्यवस्था व संरक्षणवादी नीतियों का विरोधी था। उसमें और स्वतंत्र पार्टी में फर्क बहुत कम था। 

अब नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में संघी सरकार ने अपना आखिरी नकाब भी नोंच फेंका है। अब तो  वाजपेयी के जमाने की ‘कम्यूटर चिप्स यस, पोटैटो चिप्स नो’ वाली बात नहीं है। अब तो कुछ भी बनाने के लिए, ‘मेक इन इंडिया’ के लिए पूंजीपति आमंत्रित हैं। 
संघी सरकार सोचती है कि वह ‘मेक इन इंडिया’ के नारे से मैनुफैक्चरिंग क्षेत्र में विदेशी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को आमंत्रित कर चीन से प्रतियोगिता कर सकती है और लगे हाथों भारतीय अर्थव्यवस्था की खस्ता होती हालत को भी संभाल सकती है। गौरतलब है कि चीन के निर्यात का आधे से ज्यादा विदेशी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा उत्पादित किया जाता है। 
चीन में इतनी बड़ी मात्रा में बहुराष्ट्रीय कम्पनियां वहां के सस्ते श्रम का दोहन करने के लिए पहुंची हुई हैं। साथ ही आस-पास के देशों के सस्ते श्रम का भी क्योंकि इन देशों से कल-पुर्जों की आउट सोर्सिंग की जाती है। 
भारत में यदि बहुराष्ट्रीय कम्पनियां आती हैं तो केवल इसलिए कि वे यहां के प्राकृतिक संसाधनों तथा सस्ते श्रम का दोहन कर सकें। इसी के साथ वे उम्मीद करेंगी कि भारत सरकार प्रोत्साहन के नाम पर उनके ऊपर नेमतों की बौछार करेगी। मोदी और उनकी सरकार इसके लिए प्रतिबद्ध हैं। 
नरेन्द्र मोदी के लगुए-भगुए चाहें जितना प्रचार करें पर मजदूर वर्ग के लिए यह स्पष्ट है कि ‘मेक इन इंडिया’ का मतलब है भुखमरी की रेखा के नीचे की तनख्वाह पर हाड़-तोड़ मेहनत करना और किसी तरह जिन्दा रहने के लिए संघर्ष करना। वह इसके झांसे में नहीं आने वाला। 

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