गाजा पट्टी पर दस दिन तक हवाई हमला करने के बाद अब इस्राइल के जियनवादी शासकों ने जमीनी हमला शुरु कर दिया है। सैकड़ों की संख्या में टैंक गाजा पट्टी में प्रवेश कर गए हैं।
एक बार फिर इस्राइल शासकों का इरादा फिलीस्तीनी प्रतिरध को कुचलना तथा नए क्षेत्रों में अपनी बस्तियों के प्रसार का है। लगे हाथों वह हमास को भी समाप्त कर देना चाहते हैं।
जियनवादी शासकों ने इस हमले का बहाना हमास द्वारा उकसावे की कार्रवाई को बनाया है। पर एक कब्जा किए हुए देश के लोग यदि अपनी स्वतंत्रता के लिए न लड़ें तो क्या करें। उपनिवेशवादी शासकों ने हमेशा ही इस तरह की आजादी की लड़ाइयों को ‘‘आतंकवाद’’, ‘‘उकसावा’’ इत्यादि से नवाजा है।
इस्राइल के जियनवादी शासक पिछले 66 सालों से अपनी कब्जे की कारवाइयां करते हुए वहां पहुंच गए हैं जहां अब फिलस्तीन गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक तक सीमित हो गया है। इन पर भी वस्तुतः इस्राइली शासकों का ही कब्जा है क्योंकि उन्होंने इनकी भी घेरेबंदी कर रखी है। वेस्ट बैंक स्थित फिलिस्तीनी अथारिटी बस नाम भर की है।
एक अ¨र इस्राइली जियनवादी शासकों के विरुद्ध फिलीस्तीनी जनता अपना बहादुराना संघर्ष चला रही है, दूसरी अ¨र अमेरिका, मिश्र और भारत इत्यादि के शासक हैं ज¨ इसमें बेहद घृणित भूमिका निभा रहे हैं।
अमेरिकी साम्राज्यवादियों के वर्तमान नेता बराक ओबामा ने 2008 में अपने राष्ट्रपति के चुनाव के समय कहा था कि वे फिलीस्तीनी समस्या को हल करेंगे पर राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने वही किया जो उनके पहले के राष्ट्रपतियों ने किया था यानी इस्राइली शासकों को शह देना। इस समय भी वे इस्राइली शासकों को उकसा रहे हैं और कह रहे हैं कि इस्राइली शासक आतंकवादियों से आत्म रक्षा की कार्रवाई कर रहे हैं। ‘‘आप के घर में राकेट गिरे तो आप क्या करेंगे?’’ वे कहते हैं इस सत्य को झुठलाते हुए कि पिछले दस दिनों में इस्राइल में एक मौत हुई है तो फिलिस्तीन में 230। मौतों का अनुपात एक के बदले सौ से भी ज्यादा है।
मिश्र के शासकों ने इस लड़ाई में संघर्ष विराम कराने का प्रयास किया है पर वे पूरी धूर्ततापूर्वक चालें चलते हुए गाजा पट्टी की नाकेबंदी को जारी रखे हुए हैं। यदि वे मिश्र के रास्ते को खोल दें तो गाजापट्टी की जनता को बहुत राहत मिल जाएगी। पर वे ऐसा नहीं करेंगे। अमेरिकी व इस्राइली शासक उन्हें ऐसा नहीं करने देंगे।
भारत की वर्तमान सरकार का रुख भी इसमें कम घृणित नहीं है। चारों ओर से दबाव के बावजूद भारत की संघी सरकार इस्राइली हमले के विरोध में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। भारत सरकार का रुख पिछले पच्चीस सालोन से ही इस्राइल के पक्ष में झुका रहा है पर इस संघी सरकार ने चार कदम आगे बढ़कर इस्राइली जियनवादी शासकों की मदद की है।
इन घृणित शासकों से अलग दुनिया भर की मजदूर-मेहनतकश जनता इस्राइल के जियनवादी शासकों के इस हमले के विरुद्ध है और फिलीस्तीनी जनता के मुक्ति संग्राम का पूरे दिल से समर्थन करती है और उसके साथ खड़ी है।
एक पोस्ट ISIS पर भी कभी, अगर जमीर इजाजत डे तो
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