बिगुल मजदूर दस्ता द्वारा इमके कार्यकर्ताओं पर सुनियोजित हमले का विरोध करें !
27 जून को गरम रोला मजदूरों का प्रबंधन के साथ समझौता होने के बाद जब 27 जून को मालिकों द्वारा समझौते की मनमानी व्याख्या करनी शुरु कर दी तथा मजदूरों से विषम परिस्थितियों में 8 घंटे लगातार काम करने के लिए दबाव डाला गया तो मजदूर काम करने के लिए अन्दर न जाकर गेट के पास ही बैठे रहे।
इमके कार्यकर्ताओं को जब यह बात पता चली तो 29 जून को वे मजदूरों से मिलने वजीरपुर गये। डी-3 फैक्टरी के मजदूरों से उनकी बातचीत हुई और उन्होंने मामले को जानने समझने का प्रयास करते हुए व निराश व मजदूरों को हिम्मत न हारने का दिलासा दिया। इसके बाद वहां से निकल कर उन्होंने एक दुकान पर चाय पी और आंदोलन की स्थिति पर बात विचार करते हुए आगे बढ़ रहे थे कि इंकलाबी मजदूर केन्द्र के साथी हरीश के पास 9540581721 नम्बर से फोन आया, जिसमें अपने को मजदूर बताते हुए किसी शख्स ने उनसे पूछा कि वे इस समय कहां हैं, उनसे कुछ निजी बात करनी है? साथी हरीश द्वारा उस व्यक्ति से नाम पूछने पर वह आनाकानी करने लगा और काम पूछने पर उसने बताया कि मेरी शक्ल देखकर आपको खुद पता चल जायेगा। व्यक्ति की बात पर विश्वास करते हुए और यह मानते हुए कि किसी मजदूर पर मालिकों के किन्हीं गुण्डों द्वारा हमला हुआ है। हरीश ने उसे दिलासा दिलाया कि वे अभी निकट ही हैं और रेलवे पटरी के किनारे से होते हुए वहीं फैक्टरी पर पहुंच रहे हैं। लेकिन इस बीच इमके के कार्यकर्ताओं को संशय हुआ कि कहीं यह बिगुल के लोगों की धोखा देकर हमला करने की साजिश तो नहीं है क्योंकि बिगुल के अभिनव (मोबाइल नम्बर -09999379381) द्वारा 27 जून की रात्रि को 10 बजे के लगभग फोन पर दौड़ाकर मारने व गोरखपुर प्रकरण दोहराने की बात की गयी थी।
गौरतलब है कि इमके के सहयोगी परिवर्तनकामी छात्र संगठन के एक कार्यकर्ता को गोरखपुर में फोन द्वारा मिलने की बात कहकर बिगुल व इनके सहयोगी दिशा के लोगों पर गैंग बनाकर मारपीट की इस घटना की चहुं ओर निन्दा हुई थी।
इसी तरह 27 जून की रात को ही इमके के सहयोगी परिवर्तनकामी छात्र संगठन के एक कार्यकर्ता को बिगुल की शिवानी (मोबाइल नम्बर -09711736435) द्वारा फोन पर गाली-गलौंच के साथ जान से मारने की धमकी दी गई थी। बिगुल के द्वारा किसी सम्भावित हमले की संभावना के बावजूद इमके कार्यकर्ताओं ने मजदूरों के बीच जाकर आंदोलन व मजदूरों के बारे में जानने का निश्चय किया था।
खैर, इस संदिग्ध फोन के बावजूद रेलवे पटरी के किनारे इमके कार्यकर्ता जब फैक्टरी की ओर आगे बढ़ रहे थे तो अचानक नवीन, नितिन व अन्य बिगुल मजदूर दस्ता के नेतृत्व में 15-20 लोगों का समूह “मारो मारो” चिल्लाते हुए अपनी ओर दौड़ते हुए दिखायी दिये। इस उन्मादी भीड़ को अपनी ओर आक्रामक तरीके से बढ़ते देखकर इमके कार्यकर्ताओं ने तात्कालिक तौर पर वहां से निकलना बेहतर समझा। थोड़ी दूर आजादपुर रेलवे स्टेशन के पास पहुंचकर उन्होंने रुक कर इनसे बात करने की भी सोची कि वे आखिर क्यों और किसके उकसावे पर ऐसा कर रहे हैं। लेकिन भीड़ पत्थर फेंकते हुए लगातार आगे बढ़ रही थी। उसमें रास्ते के तमाम लम्पट तत्व भी शामिल हो गये थे और यह भीड़ 50-60 लोगों तक पहुंच गयी जो “पकड़ो-मारो” चिल्लाते हुए पत्थर फेंकते हुए इमके कार्यकर्ताओं की ओर बढ़ रहे थे। ऐसे में इमके कार्यकर्ताओं ने किसी तरह मुख्य सड़क पर पहुंच कर पुलिस से सम्पर्क करने की कोशिश की। लेकिन तभी बिगुल के कार्यकर्ताओं के साथ उन्मादी भीड़ वहां पहुंच गयी। संयोग से इमके के एक कार्यकर्ता को पास ही पुलिस के दो कान्सटेबल दिखायी दिये। जिन्होंने हंगामे को देखकर तुरन्त हस्तक्षेप किया। इस बीच हरीश कुमार द्वारा 100 नम्बर पर फोन करने पर पुलिस जिप्सी भी आ गयी। पुलिस के सामने बिगुल के लोगों द्वारा उल्टे इमके के लोगों पर मारपीट करने का अरोप और अन्य अनर्गल आरोप लगाये गये लेकिन पुलिस को बात बहुत कुछ समझ में आ गयी और वह बिगुल व इमके कार्यकर्ताओं को जीप में बैठाकर माडल टाउन थाने ले आयी। इस बीच पी. यू. डी. आर. सहित अन्य कई जनवादी संगठनों के लोग थाने पहुंचे, जिन्होंने मामला पुलिस में न देकर सभी जनवादी संगठनों की बैठक बुलाकर हल करने की बात की। गौरतलब है कि इमके की स्वीकृति देने के बावजूद बिगुल की शिवानी ने अन्य लोगों के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया।
गौरतलब है कि डी-3 के जिन मजदूरों से इंकलाबी मजदूर केन्द्र के कार्यकर्ताओं ने मुलाकात की थी, उनमें से कोई भी उस भीड़ में शामिल नहीं था, न ही इमके कार्यकर्ताओं की पहचान को कोई मजदूर उस भीड़ में था। जाहिर है कि इस भीड़ को घटिया दर्जे के कुत्सा प्रचार द्वारा इमके कार्यकर्ताओं पर हमला करने के लिये भड़का व उकसा कर लाया गया था। बिगुल मजदूर दस्ता की यह कार्यवाही फासिस्ट गिरोहों व सड़क छाप गुंडों की श्रेणी की कार्यवाही है जिसकी मिसाल पूरे मजदूर आंदोलन में बेहद दुर्लभ होगी। यह बिगुल की सुनियोजित कार्यवाही थी।
बिगुल की शिवानी ने इन जनवादी संगठनों के प्रयासों को यह कह कर ठुकरा दिया कि हम किसी को पंचायती करने के लिए शामिल नहीं करेंगे। अंततः पी यू डी आर व अन्य संगठनों के लोगों द्वारा समझौते के सभी प्रयास बिगुल के लोगों द्वारा एकतरफा तौर पर ठुकरा दिये गये। तब शाम 5.30 बजे एस. एच. ओ. ने दोनों पक्षों से तहरीर ले ली। इमके द्वारा की गई तहरीर में किसी मजदूर का नाम न देते हुए केवल हमले का नेतृत्व कर रहे लोगों को ही नामजद किया गया।
इंकलाबी मजदूर केन्द्र, बिगुल मजदूर दस्ता की इस घृणित व पतित कार्यवाही को बिगुल मजदूर दस्ता के पतित चरित्र की अभिव्यक्ति मानता है व सभी मजदूर वर्ग के मित्र संगठनों, जनवादी व प्रगतिशील शक्तियों से अपील करता है कि ‘बिगुल मजदूर दस्ता’ की इस नीचता पूर्ण कृत्य की भत्र्सना करते हुए इस संगठन का सार्वजनिक बहिष्कार करें।
बिगुल मजदूर दस्ता द्वारा झूठ और कूड़ा- करकट - Deleted.
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