Saturday, June 14, 2014

कौन ज्यादा देशद्रोही- एन जी ओ या सरकार ?

        भारत सरकार की खूफिया एजेन्सी आई बी (इन्टेलीजेन्स ब्यूरो) ने देश में कार्यरत  गैर सरकारी संगठनों (एन जी ओ) पर एक रिपोर्ट तैयार की है। इसके अनुसार कुछ एन जी ओ विदेशों से पैसा लेकर देश में चल रही विकास परियोजनाओं का विरोध कर रहे हैं। इससे देश का विकास बाधित हो रहा है। देश के सालाना सकल घरेलू उत्पाद में दो-तीन प्रतिशत का नुकसान हो रहा है।

रिपोर्ट का मन्तव्य यह बताना है कि ऐसे एन जी ओ वस्तुतः विदेशी शुत्रुओं के हाथों में खेल रहे हैं जो नहीं चाहते कि देश का विकास हो। इस तरह से एन जी ओ देशद्रोही हैं।
महत्वपूर्ण बात यह है कि इस रिपोर्ट में ऐसे एन जी ओ का भी जिक्र है जो विदेशों से पैसा नहीं लेते और निर्माण मजदूरों इत्यादि में काम करते हैं।
सरकार की इस खुफिया एजेन्सी, सरकार और पूंजीवादी पार्टियों मसलन भाजपा-कांग्रेस का यह कहना घृणास्पद व्यवहार की सारी हदें पार कर जाता है। यह देश के पूंजीपति, उनकी सरकार और उनकी पार्टियों ही हैं जिन्होंने पिछले दो-तीन दशकों में विदेशी पूंजी की घुसपैठ कराकर वास्तव में देशद्रोह का काम किया है। जिन परियोजनाओं के विरोध की बात है उनमें से भी ज्यादातर में विदेशी पूंजी निवेश हो रहा है। परमाणु समझौते में तो भाजपा और कांग्रेस दोनों सरकारों ने ही देशद्रोह की सारी हदें पार कर दीं। और ये लोग देश भक्ति की बात करते हैं।
इससे भी आगे भारत में भारी मात्रा में  विदेश एन जी ओ और एन जी ओ की फंडिंग को किसने छूट दी ? गली-गली तक एन जी ओ का जाल किसने फैलाया ? खुद इन्हीं सरकारों ने ही। निजीकरण-उदारीकरण-वैश्वीकरण के दौर में देश की अर्थव्यवस्था में विदेशी पूंजी की घुसपैठ और देशी-विदेशी एन जी ओ का जाल एक ही परिघटना के दो पहलू हैं।
असल में इस रिपोर्ट के पीछे मंशा कुछ और है। निशाना विदेशी वित्त पोषित एन जी ओ नहीं हैं। इनका वित्त पोषण बंद करना सरकार के लिए चुटकियों का काम है। असल निशाना जन संघर्ष हैं। देश में विकास के नाम पर देशी-विदेशी पूंजी द्वारा जो लूट-पाट चल रही है (गुजरात माडल) उसका मजदूर-मेहनतकश जनता द्वारा बड़े पैमाने पर विरोध हो रहा है और मोदी सरकार द्वारा देश के पैमाने पर गुजरात माडल लागू करने पर यह प्रतिरोध बढ़ेगा। सरकार पूंजीपतियों के हित में इस प्रतिरोध को कुचलना चाहती है।
इसके लिए इन्हें विदेशों से प्रेरित देशद्रोही आंदोलन घोषित करना मामले को आसान बना देगा। यह इंदिरा गांधी का वही चिर-परिचित विदेशी हाथ है जिसके जरिये इंदिरा गांधी दमन करती थीं। मोदी सरकार भी आगे यही करेगी। आई बी की रिपोर्ट इसके लिए पृष्ठभूमि की तैयारी कर रही है।
वास्तव में आज पूंजीपति वर्ग, उसकी पार्टियां और उसकी सरकार ही असल देशद्रोही हैं। इस सत्य को हर तरह से स्थापित किया जाना चाहिए। 

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