Monday, April 7, 2014

16वीं लोकसभा के चुनाव

        आज से देश में लोकसभा के चुनाव शुरु हो गये हैं जो 12 मई तक चलेंगे। चुनाव परिणाम 16 मई को आयेगा।
        सभी पूंजीवादी राजनीतिक पार्टियां इन चुनावों की तैयारी पिछले एक-दो महीने से नहीं बल्कि करीब साल भर से ही कर रहीं थीं। पिछले नवंबर-दिसंबर में हुए पांच विधान सभा चुनावों के समय से तो यह और भी जोर-शोर से होने लगा।
        इस दौरान सभी पूंजीवादी पार्टियों ने एक-दूसरे की छीछालेदर करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। इनमें से किसी के पास दिखाने के लिए सकारात्मक कुछ भी नहीं है। यहां तक कि भाजपा के पास भी केवल फर्जी गुजरात माडल ही है। हां इनके दामन में भांति-भांति के दाग जरूर हैं। ऐसे में ये केवल यही जताने का प्रयास करती रही है कि दूसरी पार्टी उनसे ज्यादा बुरी है। 
        एक-दूसरे पर कीचड़ उछालने के इस खेल को चैबीसो घंटे चलने वाले टीवी चैनलों ने और रोचक या वीभत्स बना दिया। इससे उनका व्यवसाय खूब चमका। उन्हें बिना मेहनत किये सनसनी पैदा करने का खूब मसाला मिला और इसका उन्होंने भरपूर उपयोग भी किया। उनके मछली बाजार जैसे माहौल वाली बहस ने सारी हदें पार कर दीं। 
        इन सबके अंत में मेजदूर वर्ग एवं अन्य मेहनतकश जनता के लिए सवाल बना रहता है कि वह इन चुनावों में क्या करें ? पूंजीवादी व्यवस्था ने उसे पूरा विश्वास दिलाने का प्रयास किया है कि मतदान करना उसका  भारी कर्तव्य है। उसे लुभाने के लिए उसने ‘नोटा’ का विकल्प भी दे दिया कि सबसे असंतुष्ट लोग भी मतदान केन्द्र तक जायें। 
        पहले की तरह आज भी विकल्प एक पूंजीवादी पार्टी के बदले दूसरी पूंजीवादी पार्टी नहीं है। यहां तक कि सरकारी वामपंथी पार्टियां भी नहीं है। वास्तविक विकल्प तो पूंजीवादी व्यवस्था को उखाड़ फेंकने वाला इंकलाब ही है जो एक लम्बी संगठित तैयारी की बात करता है। इस तरह की क्रांतिकारी लामबंदी में लगे संगठनों द्वारा इन चुनावों में भागीदारी भी केवल इस तैयारी का हिस्सा ही हो सकती है। इन संगठनों को जनता का समर्थन उपरोक्त लामबंदी को समर्थन का का परिचायक भर होगा। 

1 comment:

  1. Wah bhaiya wah.... kya bat kahi apne ...sare inqlabi chunaw me shamil hokar inqlab karen

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