Wednesday, March 5, 2014

यूक्रेन : साम्राज्यवादी छीना झपटी का विरोध करो !

       साम्राज्यवादी आपसी वर्चस्व की लड़ाई में अब एक और देश को बर्बाद करने की ओर बढ़ रहे हैं। इस देश का नाम है यूक्रेन। जहां पश्चिमी साम्राज्यवादी इसके पश्चिमी हिस्से में अपने समर्थकों को सत्तासीन करने में कामयाब हुए हैं वहीं रूसी साम्राज्यवादी इसके पूर्वी हिस्से पर कब्जा करने की ओर बढ़ रहे हैं। पिछले तीन महीनों से चल रही उठा-पटक का यह अंतिम परिणाम है।
      करीब तीन महीने पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति यूंकोविच के खिलाफ राजधानी कीव के मैदान में एक विरोध प्रदर्शन शुरु हुआ। यह मुख्यतः ऐसे मध्यवर्गीय लोगों का प्रदर्शन था जो यूरोप की ओर झुकाव रखते हैं। विरोध प्रदर्शन तब शुरु हुआ जब यूंकोविच ने यूरोपीय संघ के साथ एक सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया। यह यूक्रेन के यूरोपीय संघ शामिल होने की ओर संभावित कदम होता। माना जाता है कि रूस की ओर झुकाव रखने वाले यूंकोविच ने यह रूसी साम्राज्यवादियों के इशारे पर किया।
     राष्ट्रपति यूंकोविच के खिलाफ इस विरोध प्रदर्शन को अमेरिकी और यूरोपीय साम्राज्यवादियों ने पूरा समर्थन दिया। अमेरिकी साम्राज्यवादियों ने तो इसे सत्ता परिवर्तन का बहाना बना लिया।
     सोवियत संघ के विघटन के बाद से ही सोवियत संघ के घटक राष्ट्रों को अपने प्रभाव में लेने के लिए यूरोपीय और अमेरिकी साम्राज्यवादी बेताब रहे हैं। यह उन्होंने क्रमशः यूरोपीय संघ और नाटो के पूरब की ओर विस्तार के जरिये किया। इस दिशा में युक्रेन एक महत्वपूर्ण पड़ाव था। यूक्रेन बड़े क्षेत्रफल वाला तेल-गैस सम्पन्न देश है। तेल-गैस के लिए मारामारी के इस जमाने में यूक्रेन सारे ही साम्राज्यवादियों के लिए छीना-झपटी का महत्वपूर्ण लक्ष्य बन जाता है। 
        अभी तक जहां पश्चिमी साम्राज्यवादियों ने इसके लिए ‘रंग-बिरंगी क्रांतियों’ यानी अपने समर्थन वाले विद्रोहों को भड़काने का सहारा लिया वहीं रूसी साम्राज्यवादियों ने इसका मुकाबला करने के लिए हताशा में वहां सेना ही उतार दी। यूक्रेन विभाजन के कगार पर खड़ा है और यदि साम्राज्यवादी इसी तरह आगे बढ़ते रहे तो वहां पूर्व यूगोस्लाविया की तरह भीषण नर-संहार से नहीं बचा जा सकता।
        इस समय यूक्रेन में साम्राज्यवादी आमने-सामने खड़े हैं। रूस द्वारा वहां सेना उतार देने से स्थिति विकट हो चुकी है। यदि पश्चिमी साम्राज्यवादी भी सेना का सहारा लेने की ओर आगे बढ़ते हैं तो स्थिति अत्यंत विस्फोटक हो जायेगी। वैसे संभावना यही है कि साम्राज्यवादी यूक्रेन के बंटवारे पर राजी हो जायें।
       पिछले डेढ़ दशकों में साम्राज्यवादियों द्वारा तबाह किये जाने वाले या विभाजित किये जाने वाले देशों में यूक्रेन एक और देश होगा। साम्राज्यवादियों की इन नापाक हरकतों का दुनिया की मजदूर-मेहनतकश जनता लगातार विरोध करती रही है। अब जबकि साम्राज्यवादी और उद्धत हो रहे हैं तो इनके खिलाफ संघर्ष और भी आवश्यक हो जाता है।  

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