Wednesday, September 4, 2013

भूखी मेहनतकश जनता से धोखाधड़ी

      खाद्य सुरक्षा विधेयक के संसद में पास होने के बाद सरकार, विपक्ष और पूंजीपति वर्ग सभी ने यह दिखाया कि भूखी-नंगी जनता को बहुत कुछ दे दिया गया है, इतना कि पूंजीपति वर्ग के शेयर बाजार को यह बिल्कुल भी नहीं पचा और उसने नीचे गिर कर अपनी नाखुशी का इजहार किया। 
वास्तव में इस विधेयक के द्वारा देश की भूखी-कंगाल जनता को उसी तरह कुछ नहीं दिया गया जिस तरह रोजगार गारंटी योजना के तहत कुछ नहीं दिया गया। शुद्ध पैसे के हिसाब से भी बात करें तो इस कानून के बाद अब सरकार खाद्य के मद में उससे बमुश्किल एक चैथाई ज्यादा खर्च करेगी जितना वह इस समय कर रही है। 
पूंजीपति वर्ग के लगुओं-भगुओं को छोड़ दिया जाये तो हर व्यक्ति यह जानता और स्वीकार करता है कि देश की करीब अस्सी-पिचासी प्रतिशत जनता  भुखमरी की शिकार है। और उसकी यह भुखमरी महीनें में पांच किलो अनाज से नहीं मिटाई जा सकती। लेकिन हर भूखे पेट में अनाज डालने वाली सरकार बस इतने का ही प्रावधान करती है और साथ ही इस बात की भी योजना बनाती है कि बाद में यह भी छीन लिया जाये।
मनरेगा के तहत सरकारों ने जो किया था सरकार इस मामले में भी वही करेगी। सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद मनरेगा में न्यूनतम मजदूरी देने से इंकार कर दिया। इसी तरह सरकार उन प्रदेश सरकारों को मजबूर करेगी कि वे अपनी राशन की योजनाओं मे कटौती करें जो सभी लोगों को सस्ता राशन उपलब्ध करा रही हैं। यह उन प्रदेशों के बजट में कटौती करके किया जायेगा। 
सरकार इतनी धूर्त हो गई है कि वह खाद्य की अपनी इस योजना के जरिये आधार जैसी जासूसी परियोजना को भी पूरा कर लेना चाहती है। सस्ता राशन केवल आधार कार्ड पर ही मिलेगा। यानी भूखी जनता को सस्ता राशन मिले या न मिले वह सरकार की निगरानी में जरूर आ जायेगी। 
ऐसा नहीं है कि विपक्षियों या पूंजीपतियों को पता नहीं है कि कांग्रेस सरकार वास्तव में क्या कर रही है। लोकसभा में बहस के दौरान सांसदों ने यह बताया कि पूंजीपतियों को सरकार कितनी राहत दे रही है लेकिन एक ने भी यह मांग नहीं की कि पूंजीपतियों पर लुटाई जा रही राशि भुखमरी की शिकार जनता को राहत पहुंचाने के लिए खर्च की जाये। 
आज का पूंजीपति वर्ग वहां पहुंच गया है जहां वह हद दर्जे की धूर्तता और बेहयाई पर उतर आया है। वह एक ओर देश की विशाल आबादी को अधिकाधिक कंगाली में ढकेल रहा है, दूसरी ओर इस कंगाल जनता को बिना कुछ दिये देने का दिखावा कर रहा है। वह अधिकार देने का दावा कर रहा है जबकि वास्तव में अधिकार छीन रहा है। वह यह सब इसीलिए कर रहा है कि लगातार कंगाल-बदहाल होती जा रही मेहनतकश जनता विद्रोह न करे। लेकिन वह इस धोखाधड़ी से अपनी सड़ती-गलती व्यवस्था को बहुत दिनों तक नहीं बचा पायेगा। 

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