एक बार फिर सीरिया पर साम्राज्यवादी हमले की आशंका बढ़ गई है। पड़ोसी देशों और समुद्र में अमेरिकी साम्राज्यवादी अपनी सैनिक तैयारी कर रहे हैं।
हमले की कवायद तेज करने का तात्कालिक कारण 21 अगस्त को राजधानी दमिश्क के बाहरी इलाके में नागरिकों पर रासायनिक गैस का हमला बताया जा रहा है। सीरिया के विद्रोही, पड़ोसी देशों की शत्रु सरकारें तथा अमेरिकी-ब्रिटिश और फ्रांसीसी साम्राज्यवादी इस हमले के लिए असद सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं जबकि असद सरकार और उसके समर्थक रूसी साम्रज्यवादियों का कहना है कि यह हमला स्वयं विद्रोहियों ने किया है।
यह गौरतलब है कि ठीक उसी दिन संयुक्त राष्ट्र संघ का एक जांच दल रासायनिक हथियारों के प्रयोग के इसके पहले के दो मामलों की जांच करने के लिए दमिश्क पहुंचा था। ऐसे में असद सरकार यह आत्मघाती कदम उठायेगी इसकी संभावना बहुत कम है। इसके बदले असद सरकार के विरोधियों द्वारा यह घृणित कार्रवाई करके इसे सरकार के मत्थे मढ़ने की संभावना कहीं ज्यादा है। रूसी सरकार का तो यहां तक कहना है कि इसके बारे में इंटरनेट पर खबर हमले के कुछ घंटे पहले ही डाल दी गई थी।
अमेरिकी साम्राज्यवादियों के अश्वेत नेता बराक ओबामा ने बहुत पहले ही कह दिया था कि असद सरकार द्वारा अपने विरोधियों या सीरिया की जनता पर रासायनिक हथियारों का प्रयोग लक्ष्मण रेखा का उल्लंघन होगा। यानी तब अमेरिका सीरिया की असद सरकार को अपदस्थ करने के लिए सीधा हमला बोल देगा। ऐसा वह दुनिया का स्वयंभू ठेकेदार होने के चलते करेगा।
अमेरिकी साम्राज्यवादियों की इस घोषणा को देखते हुए सीरिया के विद्रोहियों के लिए यह बहुत लालच भरा आकर्षण हो जाता है। वे स्वयं यह कार्रवाई कर अमेरिकी साम्राज्यवादियों को सीरिया पर हमला करने का बहाना मुहय्या करा सकते हें। पिछले कुछ महीनों में असद सरकार विद्रोही लड़ाकों पर भारी पड़ी है। ऐसे में इन विद्रोहियों और इनके स्थानीय पड़ोसी और साम्राज्यवादी समर्थकों का इसमें हित बन जाता है कि ऐसे किसी बहाने का इस्तेमाल कर असद सरकार को कमजोर कर विद्रोहियों को जितायें।
इसमें कोई दोराय नहीं कि सीरिया में असद सरकार अपनी जनता के लिए तानाशाह और पिछले ढाई सालों के विद्रोह के दौरान बहुत क्रुर रही है। लेकिन इससे निपटने का काम सीरिया की जनता है। आस-पास के शेखों-राजाओं तथा तुर्की के इरडोगान जैसे हत्यारों और साम्राज्यवादी पिशाच लुटेरों को किसी ने यह अधिकार नहीं दिया कि वे सीरिया पर हमला करें। इनमें से हरेक अपनी जनता से असद की तरह ही क्रुरता से, बल्कि कई बार उससे भी ज्यादा क्रुरता से पेश आता है। इरडोगान ने तो अभी जून में ही इसका नमूना पेश किया है।
ये सियार और साम्राज्यवादी घड़ियाल अपनी लूट-पाट के इरादे से ही सीरिया के मामले में सक्रिय है। सीरिया के विद्रोही लड़ाके इनके हाथों की कठपुतली मात्र हैं।
सीरिया की मजदूर मेहनतकश जनता समेत सारी दुनिया की जनता को सीरिया पर हमले के इस कुचक्र का विरोध करना होगा। इराक और लीबिया पर कब्जे की तर्ज पर रची जा रही इस साजिश का समय रहते सामना करना होगा।
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