Sunday, April 28, 2013

बांग्लादेश मे कपड़ा फैक्टरी हादसे में मजदूरों की मौत

     बांग्लादेश की राजधानी ढाका में कपड़ा फैक्टरीयों की एक इमारत के 24 तारीख को ढह जाने से सैकड़ों मजदूरों की मौत हो गई है। आधिकारिक गणना के हिसाब से मौतों की संख्या करीब तीन सौ है। लेकिन अभी सैकड़ों मजदूर गायब हैं तथा मलबे का साफ किया जाना जारी है।
       राणा प्लाजा नाम की यह आठ मंजिला इमारत आवामी लीग के युवा संगठन के एक नेता की थी। इमारत के लिए केवल पांच मंजिलों की इजाजत थी लेकिन राणा ने इसे आठ मंजिला कर लिया था। इसमें पांच बड़ी कपड़ा फैक्टरियां थी साथ ही दुकानें और दफ्तर भी।
       इस इमारत में मंगलवार को ही दरारें नजर आनें लगी थीं लेकिन तब भी बुधवार को मजदूरों को जबर्दस्ती फैक्टरियों में भेजा गया । नतीजा सैंकड़ों मजदूरों की हत्या में ।

     बांग्लादेश के इस बड़े हादसे के बाद बाग्लादेश सरकार से लेकर बहुराष्ट्रीय कंपनियों तक सब घड़ियाली  आंसू बहा रही हैं। तथा पूरे मामले से हाथ झाड़ने की कोशिश कर रही है। खासकर बांग्लादेश से कपड़ा आयात  करनेवाली बहुराष्ट्रीय कंपनियां यह जताने का प्रयास कर रही हैं कि उन्हें वास्तविक हालात का पता नही था।
      वास्तव में बांग्लादेश का कपड़ा उद्योग वैश्वीकरण की लूट के दौर का नमूना है। यहां बहुत घटिया स्थितियों में बहुत कम मजदूरी पर मजदूरों खासकर महिला मजदूरों से काम कराया जाता है। इसी कारण बहुराष्ट्रीय कंपनियां यहां के तैयार कपड़ों का बड़े पैमाने पर आयात करती हैं। हालात ये हैं कि बांग्लादेश के कुल निर्यात का अस्सी प्रतिशत इसी कपड़ा उद्योग से आता है।
    इन्हीं बुरी स्थितियों के कारण बांग्लादेश के कपड़ा उद्योग में आये दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं। अभी पिछले नवम्बर में ही एक फैक्टरी में आग लगने से एक सौ से ज्यादा मजदूरों की मौत हो गई थी।
   वर्तमान हादसे के बाद बांग्लादेश के कपड़ा मजदूरों का गुस्सा फूट पड़ा है। हजारों की संख्या में मजदूर सड़कों पर है। हालात इतने विस्फोटक हैं कि फैक्टरी मालिकों ने ही अपनी ओर से फैक्टरियों में छुट्टी कर फैक्टरियां बंद कर दी हैं।
        127 वें मई दिवस के कुछ दिन पहले ढाका का यह हादसा केवल इस बात का प्रतीक है कि पिछड़े पूंजीवादी देशों में स्थितियां  तब से कुछ खास भिन्न नहीं हैं। यह मजदूर वर्ग से और शिद्दत से पूंजीपति वर्ग के खिलाफ गोलबंदी की मांग करता है।

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