वेनेज्युएला के राष्ट्रपति ह्यूगो चावेज की 5 तारीख को मृत्यु हो गई। वे करीब दो साल से कैंसर से पीडि़त थे।
उनके मरने पर जहां एक ओर अमेरिकी साम्राज्यवादियों ने खुशी जाहिर की, वहीं पुतिन और अहमदीनेजाद जैसे उनके सहयोगियों ने उनके गुण गाये। अहमदीनेजाद ने तो यहां तक कहा कि ह्यूगो जीजस और पवित्र इमाम (शिया समुदाय के बारहवें इमाम) के साथ कयामत के दिन वापस लौटेंगे।
पूंजीवादी प्रचार तंत्र में ऐसी ढेरों श्रद्धांजलियां और विचार आ रहे हैं जो चावेज को एक समाजवादी के तौर पर प्रस्तुत कर रहे हैं। स्वयं चावेज अपने को समाजवादी कहते थे। उनके अनुसार उनका समाजवाद इक्कीसवीं सदी का समाजवाद था जो बीसवीं सदी के रूस-चीन के समाजवाद से भिन्न था। यहां तक की वह फीडेल कैस्ट्रो के समाजवाद से भी भिन्न था जबकि कैस्ट्रो उन्हें अपना उत्तराधिकारी पुत्र कहते थे।
वस्तुतः चावेज के ‘समाजवाद’ में समाजवाद का कुछ भी नहीं था। वे एक पूंजीवादी सुधारवादी थे जो उदारीकृत पूंजीवाद द्वारा ढाई गई भयानक तबाही से मजदूर वर्ग तथा गरीब जनता को कुछ राहत देना चाहते थे। वेनेज्युएला के विशाल तेल भण्डार के चलते उनक पास इसकी संभावना भी थी। उन्होंने तेल से प्राप्त आय का थोड़ा सा हिस्सा गरीब आबादी को राहत प्रदान करने में खर्च किया और इसे इक्कीसवीं सदी के समाजवाद का नाम दिया।
चावेज का पूंजीवादी सुधार उतना भी उग्र नहीं था जितना विश्व युद्ध के ठीक बाद के समय के यूरोप के सुधारवादियों का था। तब नार्वे-स्वीडन और फ्रांस ही नहीं, इंग्लैण्ड और अमेरिका में भी सार्वजनिक क्षेत्र हा हिस्सा काफी बड़ा हो गया था। चावेज ने अपने यहां निजी सम्पत्ति को खत्म करना तो क्या उसे हाथ भी नहीं लगाया।
तब भी ह्यूगो और उनके ‘समाजवाद’ की इतनी चर्चा हुई तो इसी कारण कि हमलावर उदारीकृत पूंजीवाद के इस दौर में इसके खिलाफ किसी भी कदम को क्रांतिकारी घोषित कर दिया जाता है। ऐसा घोषित करने में दोनों पक्षों का हित होता है। जहां एक अपने को क्रांतिकारी साबित कर अपने पूंजीवादी सुधारवादी रूप को छिपाने का प्रयास करता है तो दूसरा उसके नाम पर वास्तविक समाजवाद को लांछित करता है और उसके बारे में भ्रम फैलाता है। संकटग्रस्त पूंजीवाद के लिए यह दोनों ही बहुत फायदेमंद है।
चावेज की चर्चा तीखे अमेरिकी साम्राज्यवाद विरोध के कारण भी हुई। लेकिन इसमें भी बात बहादुरी ही ज्यादा थी, सारतत्व कम। जिस तेल पर चावेज और उनका ‘समाजवाद’ टिका हुआ है, उसका एक बड़ा हिस्सा वेनेज्युएला से अमेरिका को ही निर्यात होता है। दोनों पक्षों की ओर से सारी तनातनी के बावजूद यह कारोबार यथावत चलता रहा।
पर तब भी अमेरिकी साम्राज्यवादियों की हां में हां न मिलाने के कारण वे चावेज से नाखुश थे। वे यही चाहते थे कि चावेज के बदले उनका पसंदीदा व्यक्ति कराकास में सत्तासीन हो जाये। उन्होंने इसका प्रयास भी किया। 2002 का असफल तख्ता पलट इस मामले में सबसे गंभीर था।
जिस हद तक चावेज ने उदारीकृत पूंजीवाद और साम्राज्यवादियों का विरोध किया, उस हद तक वह प्रगतिशील कदम था। इसका समर्थन किया जा सकता था। पर चावेज को एक क्रांतिकारी और समाजवादी के रूप में प्रस्तुत करना निहायत गलत है। इससे क्रांति और समाजवाद के बारे में भ्रम फैलाने के अलावा कुछ नहीं हो सकता। ह्यूगो चावेज उदारीकृत पूंजीवाद के इस दौर में एक पूंजीवादी सुधारवादी थे, इसके अलावा और कुछ नहीं।
चावेज के असमय निधन पर मजदूर वर्ग को इसी रूप में उन्हें याद करना चाहिए।
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