देश की केन्द्रीय ट्रेड यूनियन फेडरेशनों ने एक बार फिर देश व्यापी हड़ताल का आह्वान किया है। अबकी बार यह एक दिन के बदले 2 दिन की होगी 20 व 21 फरवरी को। इस बार भी देश की सभी केन्द्रीय ट्रेड यूनियन फेडरेशन इस आह्वान में शामिल हैं।
इस 2 दिवसीय हड़ताल के आह्वान से पूरे देश के पूंजीपतियों और उनकी सरकार को किसी हद तक परेशानी हुई है। इसीलिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने केन्द्रीय ट्रेड यूनियन फेडरेशनों से अपील की कि वे हड़ताल पर न जायें। उन्होंने पी. चिदम्बरम सहित तीन केन्द्रीय मत्रियों को फेडरेशनों से वार्ता के लिए नियुक्त किया। मनमोहन सिंह और चिदम्बरम उन लोगों में से है जिन्होंने उदारीकरण की नीतियों को 22 साल पहले लागू किया था। वर्तमान हड़ताल की मागों में इन्हीं नीतियों के परिणामों को निशाना बनाया गया है।
पिछले 22 सालों में यह पन्द्रहवीं देशव्यापी हड़ताल है और पूंजीपति वर्ग तथा उनकी सरकार उदारीकरण की नीतियों के रास्ते पर आगे बढ़ती गई है। इसका मुख्य कारण यह है कि ये हड़तालें केवल अनुष्ठानिक ही रही हैं। इन फेडरेशनों के नेता इन हड़तालों के प्रति कभी गम्भीर नहीं रहे। मजदूर इस तथ्य से वाकिफ रहे हैं और इसीलिए उनका इन हड़तालों में कोई उत्साह नहीं रहा है।
यह महत्वपूर्ण है कि इन ट्रेड यूनियन फेडरेशनों में से सबसे बड़े उन पार्टियों से सम्बद्ध हैं जो समय-समय पर केन्द्र में सत्तारूढ़ होकर अपने-अपने प्रदेशों में देशी-विदेशी पूंजीपतियों को बुलाने में होड़ करती रही हैं। ऐसे में यह स्पष्ट है कि इन फेडरेशनों का इन हड़तालों का आह्वान करने का वास्तविक उद्देश्य मजदूर वर्ग में पनप और बढ़ रहे उस गुस्से को शान्त करना है जो उदारीकरण के दौर में पूंजीपति वर्ग की बेलगाम लूट से पैदा होना ही है। ग्रेजियानों से लेकर मारुति-सुजुकी तक इसके अनगिनत उदाहरण हैं। यह अनायास नहीं है कि मारुति-सुजुकी में 18 जुलाई की घटना के बाद एटक के अध्यक्ष गुरुदास दास गुप्ता ने यह कहा था कि ऐसी घटनायें उस स्थिति का परिणाम हैं जिसमें ट्रेड यूनियनों को सेफ्टी वाल्व की भूमिका नहीं अदा करने दिया जा रहा है।
20 व 21 फरवरी को केन्द्रीय ट्रेड यूनियन फेडरेशन एक बार फिर अपनी सेफ्टी वाल्व की भूमिका निभाने के लिए हाजिर हैं। इसीलिए एक बार फिर असली लड़ाई के लिए उद्धयत हो रहा मजदूर वर्ग इस हड़ताल से किसी हद तक अन्यमनस्क रहेगा।
लेकिन मजदूर वर्ग में काम कर रहे क्रांतिकारियों तथा वर्ग सचेत मजदूरों को इस तरह की अन्यमनस्कता का शिकार होने के बदले हड़ताल के इस आह्वान के अवसर का इस्तेमाल मजदूर वर्ग को जागरूक करने तथा व्यवस्थापरस्त ट्रेड यूनियन फेडरेशनों का भण्डाफोड़ करने के लिए करना चाहिए। इसमें उन्हें पूरी सक्रियता दिखानी चाहिए। इन व्यवस्थपरस्त तत्वों के चंगुल से मजदूर वर्ग को निकालकर उसे क्रांति के रास्ते पर अग्रसर करने के लिए यह जरूरी है।
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