मिश्र में पिछले दस दिनों से राष्ट्रपति मोरसी के खिलाफ मजदूर और छात्र सड़कों पर हैं। वे मोरसी के एक और मुबारक में रूपांतरण को रोकना चाहते हैं। वे मुस्लिम ब्रदरहुड की बढ़ती तानाशाही को चुनौती दे रहे हैं।
मोरसी ने पिछले महीने एक आज्ञप्ति जारी कर ढेर सारी शक्तियां अपने हाथ में ले लीं। इसके लिए उन्होंने यह बहाना बनाया कि वे इसके जरिये मुबारक काल के अवशेषों को समाप्त करना चाहते हैं। इसी के साथ उन्होंने मजदूरों की ट्रेड यूनियनों पर मुस्लिम ब्रदरहुड के कब्जे के लिए भी कुछ आदेश जारी किये हैं।
इसके बाद आनन-फानन में एक नया संविधान पारित कर दिया गया। यह नया संविधान मुस्लिम ब्रदरहुड के इस्लामी समाज की ओर उसके विशेष अभियान के हिसाब से है।
मोरसी और मुस्लिम ब्रदरहुड के इन कारनामों के साथ ही जनता सड़कों पर उतर आई। उनका जबरदस्त विरोध शुरु हो गया। मजदूर वर्ग और नौजवानों ने एक बार फिर दिखाया कि जनवरी 2011 से शुरु हुई बदलाव की प्रक्रिया को वे यूं ही ब्रदरहुड द्वारा हड़प लिये जाने को किसी भी हालत में स्वीकार नहीं करेंगे। वे अधिकाधिक इस बात के लिए भी सचेत होते जा रहे हैं कि जनवरी 2011 में क्रांति हो जाने की बात महज भ्रम है। मिश्र में बदलाव की असली शुरुआत यानी वास्तविक क्रांति तो अभी भी बहुत दूर है।
मोरसी और मुस्लिम ब्रदरहुड कतर तथा सऊदी अरब के शेखों-अमीरों के सहयोग से तथा अमेरिका और इस्राइल के बीच संतुलन बनाते हुए मिश्र में अपनी इस्लामी तानाशाही लागू करने का पुरजोर प्रयास कर रहे हैं। इसमें उन्हें मिश्री पूंजीपतियों तथा मुबारक कालीन पुरानी सत्ता के स्तंभों का पूरा समर्थन है। हां, कुछ मुबारक कालीन सत्ताधारी लोग जरूर विरोध कर रहे हैं। मोरसी एण्ड कम्पनी इन्हीं तत्वों के विरोध का स्वांग रचते हुए वास्तव में मजदूरों और नौजवानों को कुचलना चाहती है। जिन लोगों ने जनवरी 2011 में बदलाव की शुरूआत की, वह उन्हीं की लाशों पर अपनी एकछत्र हुकूमत स्थापित करना चाहती है।
पर पिछले दस दिनों का विशाल जन प्रदर्शन यह दिखाता है कि मोरसी एण्ड कम्पनी सफल नहीं होंगे भले ही वे मुबारक की तरह टैंक सड़कों पर उतार दें, जैसा कि वे इस समय कर रहे हैं।
Revolution is far away in misr
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