Sunday, December 16, 2012

20 दिसंबर के संसद मार्च में शामिल हों !

              20 दिसंबर को केन्द्रीय ट्रेड यूनियन फेडरेशनों ने संसद मार्च का आह्वान किया है। यह संसद मार्च ठेका प्रथा के खिलाफ, श्रम कानूनों के उल्लंघन के खिलाफ तथा ट्रेड यूनियन बनाने के अधिकार के उल्लंघन के खिलाफ आहूत है। 
              पूंजीपति वर्ग के खिलाफ आज इस तरह के और इससे कहीं ज्यादा जुझारू विरोध प्रदर्शनों की जरूरत है। इसलिए मजदूरों को भारी मात्रा में इसमें शामिल होना चाहिए। 
            लेकिन पिछले अनुभवों से यह स्पष्ट है कि जिन केन्द्रीय ट्रेड  यूनियन फेडरशनों ने इस संसद मार्च का आह्वान किया है वे जरा भी इस मामले में गंभीर नहीं हैं। यही नहीं, इस तरह का संसद मार्च वे केवल दिखावे के लिए ही आयोजित करती हैं। स्वयं एटक के अध्यक्ष गुरुदास दास गुप्ता के अनुसार वे पूंजीपतियों के लिए सेफ्टी वाल्व का काम करती हैं। 
            पिछली बार के संसद मार्च के समय इन्होंने क्या किया था। तब इनके अनुसार करीब पांच लाख मजदूर जन्तर-मन्तर पर आये थे। लेकिन तब इन्होंने दिखावे के लिए भी संसद मार्च नहीं किया। यही नहीं, कुछ जुझारू मजदूर अपनी पहलकदमी पर भी ऐसा न कर पाये, इसके लिए उन्होंने पुख्ता इंतजाम किया था। संसद के रास्ते पर पुलिस के बैरिकेड के बदले इन्होंने अपना ही मंच लगाकर मजदूरों का रास्ता रोक दिया था। इस बार भी वे ऐसा ही करेंगे। तब भी मजदूरों को इस प्रदर्शन में शामिल होना चाहिए और उनकी चालबाजियों का वहीं पर्दाफश करना चाहिए। उन्हें मजदूर आंदोलन में पूंजीपतियों के इन एजेन्टों के मुंह पर उनके ही बुलाये मार्च में कालिख पोतनी चाहिए। पूंजीपति वर्ग के खिलाफ विरोध का रास्ता मजदूरों के इन भीतरघातियों के विरोध से होकर जाता है। 

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