अरब विद्रोहों का फायदा उठाकर अमेरिकी साम्राज्यवादियों ने लीबिया पर पिछले साल कब्जा कर लिया था और गद्दाफी को मार डाला था। ऐसा करते हुए उन्होंने किसी चीज की चिंता नहीं की। अब जब अपनी उस घृणित कार्रवाई का उन्हें छोटा सा परिणाम भुगतना पड़ा है तो वे अपने साम्राज्यवादी चरित्र के अनुरूप ही एकदम बौखला उठे हैं।
सोमवार को बेंगाजी में इस्लामी कट्टरपंथियों ने अमेरिकी कौन्सुलेट पर हमला करके वहां अमेरिकी राजदूत की हत्या कर दी। साथ में तीन और अमेरिकी मारे गये। अमेरिकी राजदूत स्टीवेन्स वही व्यक्ति थे जिन्होंने लीबिया पर अमेरिकी हमले की पूरी योजना बनाई। यह व्यक्ति कितना घटिया था वह इसी बात से पता चलता है कि वह इससे पहल गद्दाफी से भी रप्त-जप्त कर चुका था।
बेंगाजी में अमेरिकी कौन्सुलेट पर हमले का तात्कालिक कारण एक अमेरिकी द्वारा इस्लाम विरोधी फिल्म बनाना है। इसे लेकर समूचे अरब में ही अमेरिकी विरोधी प्रदर्शन हो रहे हैं। इनमें जहां आम अरब जनता शामिल है, वहीं इस्लामी कट्टरपंथी भी। इस्लामी कट्टरपंथी वही हैं जिन्हें अमेरिकी साम्राज्यवादियों ने न केवल अतीत में पाला-पोसा है बल्कि लीबिया-सीरिया इत्यादि पर हमले में वे अब भी उनका इस्तेमाल कर रहे हैं। मिश्र और ट्यूनीशिया में भी तानाशाहों के सत्ता से हटने के बाद उन्होंने वहां नरम इस्लामी कट्टरपंथियों को सत्तारूढ़ होने में मदद की है।
ओबामा से लेकर हिलेरी क्लिंटन तक ने अपने राजदूत के मारे जाने पर मासूमियत के साथ आहत होने का दिखावा किया। वे जतला रहे हैं कि वे समझ नहीं पा रहे हैं कि अपने मुक्तिदाता के प्रति लीबिया की जनता ऐसा व्यवहार क्यों कर रही है। स्वभावतः साम्राज्यवादी इसे नहीं समझ सकते।
आने वाले समय में अमेरिकी साम्राज्यवादियों को अरब जगत में इससे ज्यादा भीषण संघर्षों का सामना करना पड़ेगा। अभी ही ओबामा-हिलेरी जैसे लोग दिन के उजाले में इराक, अफगानिस्तान, लीबिया इत्यादि में जाने का साहस नहीं कर सकते। आगे, उनके जैसे हेकड़ीबाजों के भेजे में उनकी नियति और भी कटु तरीकों घुसाई जायेगी।
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