Tuesday, September 11, 2012

कुडनकुलमः पूंजीपति वर्ग द्वारा एक और हत्या

            पूंजीपति वर्ग के लिए किसी भी हद तक जाने की अपनी सामान्य नीति का पालन करते हुए तमिलनाडु  सरकार ने कुडनकुलम परमाणु संयंत्र के विरुद्ध प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई और एक व्यक्ति को मार डाला। इस हत्याकांड का सीधा निर्देश उसे केंद्र सरकार से मिला था।
           सरकार के अनुसार देश को बिजली चाहिए अर्थात पूंजीपतियों को बिजली चाहिए। कुडनकुलम जैसे परमाणु संयंत्र बिजली प्रदान करेंगे, इसीलिए उन्हें किसी भी कीमत पर लगना ही चाहिए।
          लेकिन कुडनकुलम और अन्य परमाणु संयंत्रों के आस-पास रहने वाले लोग इसे इस रूप में नहीं देखते। उन्हें पता है कि इन संयंत्रों की बिजली का लाभ उन्हें नहीं मिलने वाला है। वह तो पूंजीपतियों के काम आएगी। उन्हें मिलेगा अपनी जमीनों से विस्थापन और दुर्घटना की स्थिति में परमाणु रेडियेशन का खतरा। इसीलिए वे इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। वे “मुनाफा पूंजीपतियों का और खतरा जनता का” को सहने को तैयार नहीं हैं।
          देशी-विदेशी पूंजीपति वर्ग के चाकर मनमोहन सिंह ने घोषित कर दिया है कि परमाणु संयंत्रों का विरोध करने वाले देश की प्रगति के विरोधी विदेशी गैर-सरकारी संगठनों के बहकावे में आ रहे हैं। स्वयं बीस साल से विदेशी पूंजी के हिसाब से आर्थिक नीतियां बनवाने वाला यह कठपुतला यह बताने का साहस नहीं करता है कि विदेशी गैर सरकारी संगठन देश में कैसे आ रहे हैं? उन्हें भीतर कौन आने दे रहा है? यदि कोई देश विरोधी विदेशी ताकतें देश में सक्रिय हैं तो इसके लिए भी मनमोहन एंड कंपनी ही जिम्मेदार है।
          कुडनकुलम और अन्य परमाणु संयंत्रों का विरोध करने वाली मेहनतकश जनता किसी के बहकावे में नहीं है। वह अपने संगीन हालातों से ही “विकास” की अन्य परियोजनाओं के खिलाफ उतरी हुई है। लूट-मार के वर्तमान पूंजीवादी निज़ाम में इसके अलावा कोई रास्ता नहीं है। यह लगातार बढ़ते पैमाने पर हो रहा है और होगा।

         मजदूर वर्ग पूंजीपति वर्ग और उसकी सरकार द्वारा मेहनतकशों के इस कत्ल का तथा इसके समर्थन में फैलाई जा रही घृणित बातों का विरोध करता है। वह संघर्षरत मेहनतकशों के समर्थन में दृढ़तापूर्वक खड़ा होता है। ये संघर्ष पूंजीवादी निज़ाम के खिलाफ उसके संघर्ष का हिस्सा हैं।

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