मई दिवस की क्रांतिकारी परंपरा को आगे बढ़ायें !
सारी दुनिया का पूंजीपति वर्ग आज संकट में है। पांच साल पहले शुरु हुआ विश्व आर्थिक संकट पूंजीपति वर्ग का पीछा नहीं छोड़ रहा है। बार-बार इसकी उलट घोषणा के बावजूद सच्चाई यही है कि यूरोप से लेकर अमेरिका तक सारे पूंजीपति सांस थाम बैठे हुए हैं। इंग्लैंड में अभी हाल में डबल डिप मंदी की स्वीकृति आयी है जबकि स्पेन,ग्रीस इत्यादि में ऋणात्मक वृद्वि दर लगातार नीचे जा रही है।
संकटग्रस्त पूंजीपति वर्ग संकट का बोझ जितना ज्यादा मजदूर वर्ग पर डालने का प्रयास कर रहा है मजदूर वर्ग उतना ही तीखा प्रतिरोध करने के लिए एक के बाद एक दूसरे देश में खड़ा हो रहा है। साल 2011 ने ग्रीस,स्पेन,इटली,आयरलैंड,इंगलैंड से लेकर अमेरिका तक मजदूरों के बड़े पैमाने के प्रतिरोध संघर्ष देखे। इस श्रेणी में इस्राइल से लेकर चिली तक शामिल हैं। अरब देशों के विद्रोह भी इसी की कड़ी हैं।
2012 में भी बेल्जियम से लेकर स्पेन तक और कनाडा से लेकर नाइजीरिया तक मजदूरों की आम हड़तालें आयोजित की गयीं। हमारे देश में व्यवस्थापरस्त यूनियनें फरवरी में एक आम हड़ताल आयोजित करने को मजबूर हुयीं। फैक्टरी संघर्षों से लेकर आम हड़तालों तक मजदूरों का सड़कों पर उतरना पूंजीपतियों के उन सारे मंसूबों पर पानी फेरता है जो उसने वर्तमान संकट से उबरने के लिए पाल रखे हैं। यही नहीं, संघर्ष में उतरकर मजदूर वर्ग समूची व्यवस्था पर ही सवाल उठाना सीख रहा है। इस मई दिवस पर इन सबका सार-संकलन कर मजदूर वर्ग की क्रांतिकारी विरासत को आगे बढ़ाने का संकल्प ही वर्ग सचेत मजदूरों का कार्यभार बनता है।
मई दिवस पर मजदूरों को लाल सलाम !
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