19 जनवरी को मोरक्को में पांच बेरोजगार नवयुवकों ने आत्मदाह कर लिया। वे मोरक्को में फैली भीषण बेरोजगारी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। पढ़े-लिखे नवयुवकों में बेरोजगारी की दर मोरक्को में तीस प्रतिशत से ऊपर है।
इसके पहले करीब तीन हफ्ते से बेरोजगार नौजवान उच्च शिक्षा मंत्रालय के दफ्तर पर कब्जा किए हुए थे। वे पढ़े-लिखे नौजवानों में फैली भयानक स्तर की बेरोजगारी के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कर रहे थे। पिछले हफ्ते पुलिस ने उन्हें वहां से निकालने के लिए घेराबंदी कर भीतर खाने-पीने की सामग्री का पहुंचना बंद कर दिया। तब 19 तारीख को पांच नौजवानों ने अपने ऊपर ज्वलनशील पदार्थ छिड़का और बाहर आए। जब पुलिस घेरे से बाहर के नौजवानों द्वारा ब्रेड एवं अन्य खाद्य सामग्री फेंकने को पुलिस ने रोकना चाहा तो नौजवानों ने आग लगा ली। इस आत्मदाह में तीन नौजवान बुरी तरह जल गए और उनकी हालत गंभीर बनी हुई है।
यहां यह गौरतलब है कि पिछले साल अरब विद्रोह की आग मोरक्को तक भी पहुंची थी। वहां राजा मोहम्मद छठें का एकतांत्रिक शासन है। उस विद्रोह की आग को भड़कने से रोकने के लिए तब साम्राज्यवादियों (खासकर फ्रांसीसी) ने राजा को कुछ तथाकथित जनतांत्रिक सुधार करने के लिए राजी किया। इन तथाकथित सुधारों का बाद में सरकोजी और कैमरून ने गुणगान भी किया। इन्हीं के तहत पिछले दिनों फर्जी चुनाव करवाए गए जिसमें नरम इस्लामी जस्टिस एंड डेवलपमेंट पार्टी जीत कर सरकार बनाने के लिए आगे आई। मिश्र, ट्यूनीशिया की तरह मोरक्को में भी साम्राज्यवादी नरम धार्मिक कट्टरपंथियों को आगे बढ़ा रहे हैं।
लेकिन इस तरह के तथाकथित सुधारों का मजदूर वर्ग और बाकी मेहनतकश जनता की जिंदगी पर कोई असर नहीं पड़ने वाला। यह महज इन्हें धोखा देने की पूंजीपति वर्ग की चाल है। पढ़े-लिखे नौजवान इसे बहुत अच्छी तरह समझ रहे हैं। इसीलिए वे इस तरह के विरोध पर उतर रहे हैं।
परंतु आत्मदाह का हताशा भरा कदम शासक वर्गों के खिलाफ संघर्ष का कोई कारगर कदम नहीं है। पिछले साल ही पूरी दुनिया भर में मजदूरों और नौजवानों ने भांति-भांति के संघर्ष के तरीके अपनाए हैं। इन्होंने पूंजीवादी शासकों को सांसत में डाला है। समूची पूंजीवादी व्यवस्था को उन्होंने कठघरे में खड़ा किया है।
आज जरूरत पूरी दुनिया में इन्हीं संघर्षों की आगे की कड़ी को विकसित करने की है। इन्हें समूची पूंजीवादी व्यवस्था को उखाड़ फेंकने की ओर उन्मुख करने की है।
संघर्षरत मोरक्को के नौजवानों को भी इसी तरह के संघर्षों की ओर बढ़ना है। आत्मदाह कोई रास्ता नहीं है। जरूरत समूची पूंजीवादी व्यवस्था में ही आग लगाने की है।
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