Sunday, January 1, 2012

ऐ खाकनशीनों उठ बैठो

          उम्मीदों  और सम्भावनाओं से भरपूर है नववर्ष, आइये हम इसका  इंकलाबी जोश  से स्वागत करें।
        2011 का बीता साल जन विद्रोहों,विरोध प्रदर्शनों और सत्ता परिवर्तनों का साल रहा। इस पूरो साल साम्रज्यवादियों और पूंजीपतियों ने मजदूर वर्ग और अन्य मेहनतकशों ,खासकर युवा मेहनतकशों के बड़े पैमाने के गुस्से का सामना किया। यह गुस्सा विधान सभा भवनों,चौकों और सड़कों के  सम्बे समय तक चलने वाले कब्जे तक रूपान्तति हुआ।
           यह मिश्र और ट्यूनीशिया के तानाशाह राष्ट्रपतियों को सत्ता से खदेड़ भगाने तक गया। अरब अरब जगत से शुरु कर दक्षिण-पश्चिमी यूरोप,सयुंक्त राज्य अमरीका,इस्राइल,चिली और पेरू  तक इसकी लम्बी श्रंखला है।
इस साल यह श्रंखला औरआगे बढ़ेगी।
       साम्राज्यवाद-पूंजीवाद का विश्व आर्थिक संकट,जिससे ना केवल मुक्त को कोई रास्ता  नहीं दीख रहा,बल्कि जो लगातार और गहराता जा रहा है।, मजदूर वर्ग को विद्रोहों आर विरोध प्रदर्शनों की ओर और ज्यादा धकेलेगा  मजदूर वर्ग की सहनशक्ति  पहले ही अपनी सारी सीमाएं तोड़ चुकी है।

आइये हम इन विद्रहों और विरोध प्रदर्शनों में बढ़चढ़कर योगदन करें और पूंजीवाद- साम्राज्यवाद को उसकी कब्र में ढकेलने में पूरा जोर लगा  दें।

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