तिरुअनंतपुरम के श्रीपद्मनाभ मंदिर के तहखाने में मिली विशाल दौलत ने कई धन-सम्पदा के लालची लोगों की आंखें चैंधिया दी हैं। इसके बारे में तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। सम्पदा की कीमत से लेकर इसे तहखाने में क्यों छिपाया गया और अब इसका क्या किया जाये सब इसमें शामिल है।
लेकिन धन-सम्पदा के लालची एक सवाल नहीं उठा रह हैं, वह सवाल है-यह धन-सम्पदी किसके खून-पसीने की कमाई है और इसे किस तरह हासिल कर तहखानें में छिपा दिया गया?
त्रावणेकोर के राजाओं ने खुद मेहनत कर यह सम्पदा तो पैदा नहीं की। इसे उन्होंने लूटा। किससे? मेहनत करने वाले किसानों और दस्तकारों से। इस लूट को उन्होंने सोने-चांदी, हीरे-जवाहरात में बदला। इस दौलत की जड़ में कितना खून-पसीना है, कितनी हत्यायें और लूटमार है, इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता।
मध्य काल से ही भारत के ये मंदिर किसानों-दस्तकारों की मेहनत की लूट से हासिल विशाल सम्पदा के अड्डे रहे हैं। इसीलिए य बारम्बार विदेशी लुटेरेां का निशाना रहे हैं जिन्हें हिन्दु साम्प्रदायिकों ने रंग देने की कोशिश की है।
आजादी के बाद जब भारत के विकास के लिए धन का सवाल उठा तो कुछ लोगों ने सलाह दी कि मंदिरों-मठों में जमा सम्पत्ति को जब्त कर इसका इस काम में इस्तेमाल किया जाये। लेकिन भारत के धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी प्रधानमंत्री नेहरू ऐसा करने की हिम्मत नहीं जुटा सके। सम्पत्ति मंदिरों-मठों के पास बनी रही पंडे-पुजारी और उसके परिवार वाले उस पर ऐश करते रहे।
पिछले तीन-चार दशकों में मंदिरों की दौलत में ओर वृद्धि हुई है। इसके अलावा भांति-भांति के बाबाओं के आश्रमों में, ट्रस्टों में विशाल मात्रा में सम्पत्ति इकट्ठी होती जा रही है। अकेले सत्य साईं ट्रस्ट के पास ही एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की सम्पत्ति है।
यह विशाल सम्पत्ति इनके पास धर्मभीरू जनता से उतनी नहीं आ रही है जितनी मजदूर-मेहनतकश जनता को लूटने वालों द्वारा अपनी आत्मा की शांति के लिए इन पर चढ़ाने से आती है। पतित परजीवी शोषक पूंजीपति बाबाओं-पंडों के चरणों में लोटकर अपने पाप से मुक्ति होने का सपना देखते हैं। इसके लिए वे धन लुटाने को तैयार रहते हैं। दुनिया को माया बनाकर माया हासिल करने में माहिर बाबा और पंडे-पुजारी इसका पूरा इस्तेमाल करते हैं।
म्ंदिरों, आश्रमों और धार्मिक ट्रस्टों की यह सम्पत्ति वास्तव में मजदूर-मेहनतकश जनता की है और उसे ही मिलनी चाहिए। लेकिन मजदूर-मेहनतकश जनता इसे लेने लायक बने इसके लिए उसे भारत की राज्य सत्ता पर कब्जा करना होगा। तब-तक भांति-भंाति के ठग इस पर कुंडली मार कर बैठे रहेंगे और ऐश करते रहेंगे।
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