Friday, July 1, 2011

धोखेबाजों का जश्न

           चीन की तथाकथित कम्युनिस्ट पार्टी ने 1जुलाई को बहुत बड़े ताम-झाम के साथ अपना 90वां स्थापना दिवस मनाया गया। चूंकि यही पार्टी चीन में शासक पार्टी है इसलिए इस पूरे ताम-झाम को सरकार का भरपूर समर्थन प्राप्त था बल्कि पीछे से सरकार ने ही सारा आयोजन किया।
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी वास्तव में कम्युनिस्ट पार्टी हुआ करती थी। यानि वह मजदूर वर्ग की पार्टी थी और निजी सम्पत्ति की व्यवस्था को खत्म करना उसका लक्ष्य था। यह 1921 से 1976 तक था। तब इसने सामन्तों, साम्राज्यवादियों और पूंजीपतियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। 1935 में अपना नेतत्रत्व स्थापित होने के बाद माओ त्से तुंग इस पार्टी का 1976 तक नेतृत्व करते रहे।
            लेकिन 1976 में उनके मरने के बाद उन लोगों ने पार्टी का नेतृत्व हथिया लिया जो निजी सम्पत्ति का खत्मा नहीं बल्कि पूंजीवाद का विकास चाहते थे। डेंग स्याओ पिंग इनका मुखिया था। डेंग स्याओ पिंग एण्ड कम्पनी एक लम्बे अर्से से इस बात के लिए संघर्ष कर रहे थे कि चीन को समाजवाद के रास्ते से हटाकर पूंजीवाद के रास्ते पर डाल दिया जाये। माओ और उनके अनुयायी 1949 से ही इनके खिलाफ संर्घष कर रहे थे। यह संघर्ष 1966 से 1976 के बीच बहुत तीखा हो गया था। माओ के जिन्दा रहते तो ये लोग कामयाब नहीं हो पाये पर उसके बाद इनका ही राज कायम हो गया।
            1976 में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी पर डेंग स्याओ पिंग एण्ड कम्पनी का कब्जा होते ही यह मजदूर पार्टी नहीं रह गई। इसका चरित्र बदल गया। तब से यह चीन के पूंजीपतियों की पार्टी बन गई। पूंजीपतियों की इस पार्टी ने मजदूरों और गरीब किसानों को एक बार फिर उसी स्थिति में धकेलना शुरू कर दिया जिसमें वे पूंजीवाद में जीते हैं। इसी के साथ पूंजीपति वर्ग को खूब फलने-फूलने का मौका दिया। बहुत बड़े पैमाने पर निजीकरण किया गया और साम्राज्यवादियों की पूंजी को भी वहां विशाल मात्रा में आमंत्रित किया गया। आज चीन के निर्यात का करीब आधा साम्राज्यवादी पूंजी द्वारा किया जाता है।
          स्वाभाविक है कि चीन में पंजीपति वर्ग के विकास के साथ मजदूर वर्ग की हालत लगातार बुरी होती जाये।लेकिन इसके साथ चीन का पूंजीपति वर्ग यह क्रुर मजाक और कर रहा है कि अपनी पार्टी यानी चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को मजदूरों की पार्टी, चीन की सरकार को मजदूरों की सरकार तथा चीनी समाज को समाजवादी समाज कहता है। इसी को कहते हैं कि जबरा मारे और रोने भी न दे।
            इस तथाकथित कम्युनिस्ट पार्टी में अब भारी मात्रा में पूंजीपति वर्ग और मध्यम वर्ग के लोग हैं। ये ही लोग पार्टी के सभी पदो पर विराजमान हैं। ये ही लोग शासन में भी हैं। अब चीन में जो कोई भी व्यवसाय या सत्ता में शामिल होना चाहता है वह इस पार्टी में शामिल हो जाता है। पार्टी वह सीढ़ी है जिसके माध्यम से ऊपर पहुंचा जा सकता है।
           मजदूरों का शोषण करेन वाले और उनपर शासन करने वाले इन्हीं लोगों ने तथाकथित कम्युनिस्ट पार्टी का 90 साल का जश्न मनाया। इस जश्न में चीन के मजदूर कहीं नहीं थे। इसमें गरीब किसान भी नहं थे। इसके विपरीत वे तथाकथित कम्युनिस्ट पार्टी और उसकी सरकार के खिलाफ अपने दिलों में गहरी घृणा लिए हुए अपेन रोजमर्रा के काम में लगे हुए थे या विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।
कम्युनिस्ट पार्टी और माओ त्से तुंग के नाम पर छलने वाली इस पार्टी की नफरत का लावा यहां-वहां फूट रहा है। जिस दिन पूरी शक्ति से फूटा उस दिन वह चीन के इन धोखेबाजों को जला कर भस्म कर देगा।

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