Sunday, June 5, 2011

महाठग के सामने छोटा ठग चित्त

मजमेबाज बाबा रामदेव को भारत सरकार ने अपने दमन तंत्र की थोड़ी सी झलक दिखाई। देश के मजदूरों और गरीब किसानों को गोलियों से भूनने वाली सरकार ने 4 जून की रात को बाबा और उसके सामर्थकों पर लाठी और आंसू गैस के गोले से हमला किया और उन्हें दिल्ली से बाहर खदेड़ दिया। बड़बोले बाबा की बोलती सरकार की लाठियों से बंद हो गई। सरकार ने साफ जता दिया कि यदि मिली भगत से विरोध प्रदर्शन का नाटक करोगे तो ठीक है पर यदि अपनी पर उतरोगे तो सरकार केवल लाठियों-गोलियों से ही बात करेगी।
अन्ना हजारे एण्ड कम्पनी द्वारा छले जाने के बाद बाबा रामदेव ने अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षाओं को धूल-धूसरित होते देख तय किया कि वे भ्रष्टाचार के मामले में पहलकदमी वापस लेंगे और 4 जून से अपने समर्थकों के साथ अपना सत्याग्रह करेंगे। कांग्रेसियों की सरकार ने उन्हें इसकी इजाजत दे दी, इस समझदारी के तहत कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर जनता को बेवकूफ बनाने के लिए नूरा-कुश्ती की जायेगी।
नूरा-कुश्ती शुरू हुई शानदार अंदाज में। सत्याग्रह से कुछ दिन पहले बाबा को मनाने के लिए चार मंत्री हवाई अड्डे पहुंचे। उसके बाद सत्याग्रह शुरू होने के ठीक एक दिन पहले एक गुप्त बैठक हुई, जिसमें सरकार और बाबा के बीच ‘सहमति’ बनी। सहमति इस बात पर भी बनी कि बाबा अपने अनशन के बदले तीन दिन का तप करेंगे और इसकी घोषणा भी 4 जून को कर देंगे।
लेकिन लगता है इस बीच बाबा की महत्वकांक्षाएं बढ़ गयीं। यह भी हो सकता है कि किसी अनकही बात पर सरकार समझौते से मुकरने लगी हो। गुप्त वार्ताओं में  कुछ भी हो सकता है। इस बीच बाबा के पीछे खड़े संघियों के लिए यह सुनहरा मौका था कि वे बाबा को सरकार के सामने अड़ जाने के लिए भड़कायें, बाबा अड़ गये। और तब नूरा-कुश्ती समाप्त हो गई और सरकार ने अपना बनैला चेहरा बाबा रामदेव को भी दिखा दिया। अपने देश में हर साल हजारों लोगों को गोलियों से भूनने वाली सरकार के लिए यह लाठी चार्ज तो एकदम मामूली चीज थी।
शंतिपूर्ण सत्याग्रहों को लाठियों से पीट कर दिल्ली से खदेड़ने के बाद कांग्रेस ने बाबा रामदेव को ठग करार दिया है। बाबा ठग हैं। लेकिन वैसे ही ठग तो अन्ना हजारे और अरविन्द केजरीवाल भी हैं। और इन ठगों के साथ मिलजुल कर जनता को बेवकूफ बनाने वाली कांग्रेस सरकार तो उनसे भी बड़ी ठग है। वह महा ठग है। बाबा रामदेव की बेवकूफी यह थी कि एक छोटा-मोटा कस्बाई ठग, जो अभी कुछ सालों में ही बड़ी सम्पत्ति का मालिक बन बैठा है, उन ठगों से बीस होने की कोशिश करने लगा जो पिछले 64 सालों से देश की मेहनतकश जनता को ठग रहे है। मजे हुए कांग्रेसी ठगों के सामने भला बाबा की क्या औकात! 4 जून को इन महा ठगों ने बाबा को सारी दुनिया के सामने शर्मसार कर दिया। उन्हें झूठा ठहरा दिया। बाबा चारों खाने चित्त हो गये। बाबा पिटे भी और उनकी लंगोट भी खुल गयी।
गले तक भ्रष्टाचार में डूबे पूंजीपति मजदूर और गरीब जनता को विद्रोह से तितर-बितर करने के लिए जमीन आसमान एक किये हुए हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ फर्जी आंदोलन भी उनमें से एक है। लेकिन 4 जून की रात की घटना के बाद स्पष्ट हो गया कि इनके आपसी अंतर्विरोध दूसरा मोड़ भी ले सकते हैं। जनता को बेवकूफ बनाने और उसको ठगने में उनकी एकता है। लेकिन इनके अपने व्यक्तिगत हित भी हैं, इनकी अपनी व्यक्तिगत महत्वकांक्षाएं भी हैं। ये आपस में टकराते हैं। ये इस हद तक भी जा सकती हैं, एक पक्ष दूसरे के खिलाफ बल प्रयोग करे, जैसा कि 4 जून की रात को हुआ।
लेकिन ठीक इसी में इस बात की संभावना भी छिपी हुई है शासकों की आपसी सहमति के बाद उनकी अपनी महत्वकांक्षाओं के लिए जनता को मैदान में उतारने की कोशिश उनके हाथ से निकल जाये। जनता इनके हाथ से निकल जाये और इनकी नूरा-कुश्ती को किनारे ठेलते हुए वास्तव में व्यवस्था के खिलाफ मैदान में डट जाये। आज जब सारी दुनिया में जनता तहरीर चैक और मैड्रिड के सोल चैक पर जमी हुई हो तो यह और भी मजबूत सम्भावना बन जाती है।
मजदूर वर्ग के क्रान्तिकारियो  को इस सम्भव दिशा में मामले को बढ़ाने के लिए हर सम्भव प्रयास करना चाहिए।

No comments:

Post a Comment