Friday, March 25, 2011

तहरीर चौक चलो-अशोक “शुभदर्शी"

चलो ,
तहरीर चौक चलो।
गली-गली
नुक्कड-नुक्कड
गांव-गांव
नगर-नगर
बनने को  बेताब
तहरीर चौक
चलो ,
तहरीर चौक चलो ।

छोड़ो ,
चूल्हा-चौका 
बर्तन-बासन
नहाना-धोना 
खाना-पीना
चलो,
तहरीर चौक चलो।


छोडो,
पूजा-पाठ
आसन-ध्यान
धरम-करम
प्राणायाम-समाधि
चलो,
तहरीर चौक चलो।

छोडो,
काना-फूसी
हंसना-रोना
गाना-बजाना
लाज-शरम
अलसाना-सुसताना
जागो गहरी नींद से
चलो,
तहरीर चौक चलो।


साइकिल-रिक्शा
कार-मोटर
जलयान-वायुयान
चलो,
पैदल ही
तहरीर चौक चलो।
चलो तो
बच्चे-बुड़े
जवान चले
संग-संग
गांव-जबार चले
हुंकार भर
सारा संसार चले
चलो,
तहरीर चौक चलो।

चाल
अजब मस्तानी है
उसमें खूब रवानी है
जीवन है
जवानी है
मंजिल सबकी
बस एक
तहरीर चौक चलो।

चलो तो
पहुँचो भी
ख्याल रहे
चिल्लाओ तो
सुने बहरे भी
ख्याल रहे
तुमसे बड़ा न
कोई बम है
तुमसे बड़ी न
कोई सत्ता
अलबत्ता
तहरीर चौक चलो ।

चालें उसने
सारी चल ली
जालें उसने
सारी बुन ली
अब चालें चलने की
जालें बुनने की
आयी बारी
हमारी है
तहरीर चौक चलो।

वादाखिलाफी के
खिलाफ
शोषण, अन्याय के
खिलाफ
भ्रष्टाचार-लूट
घोटाले के खिलाफ
तिकडम-फरेब-धोखे
के खिलाफ
विषमता के खिलाफ
तहरीर चौक चोक।

सत्ता परिवर्तन को
व्यवस्था परिवर्तन को
पथ नया बनाने
जीवन ऊर्जावान बनाने
चलो
तहरीर चौक चलो।

भलों के
भले के लिए
बुरों के
बुरे के लिए
हर बंधन
हर बाधा तोड़ चलो
तहरीर चौक चलो।
न ईनाम के लिए
न लोभ के लिए
न भोग के लिए
अपने हक
अधिकार के लिए
तहरीर चौक चलो।


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