चीन द्वारा समाजवादी नीतियों को त्यागने तथा बाजारवादी पूंजीवादी नीतियों का अपनाने के बाद चीन में आर्थिक विषमता तेजी से बढ़ी है। एक ओर जहां चीन जापान को पछाड़कर दुनियां की दूसरे नंबर की अर्थव्यवथा बन गया है वहीं चीन में विषमता व मजदूरों का शोषण उत्पीड़न चरम पर पहुंच गया है।
चीन में जहां अरबपतियों की संख्या लगातार बढ़ रही है तथा दुनिया के सबसे अघिक अरबपतियों वाले देश में चीन का नाम शुमार हो रहा है वहीं चीन में मजदूरी दुनिया के सबसे न्यूनतम स्तरों पर है। मजदूरों को बहुत कम वेतन पर १२&१६ घंटे खटना पड़ रहा हैं। तेज आर्थिक विकास के लिए जहां चीन कम्युनिस्ट पार्टी ने देशी विदेशी पूंजी को लूट की खुली छूट दी वहीं मजदूरों के अघिकारों को छीनकर उन्हें निकृष्ट कोटि के गुलामों में तब्दील कर दिया।
चीन के मजदूरों ने चीनी शासक वर्ग के इस हमले को चुपचाप नहीं सहा। उसने समय-समय पर प्रतिरोध किया। छिटपुट प्रतिरोध से बढ़कर अब इन प्रतिरोधों ने व्यापक और संगठित रूप लेना शुरू कर दिया है।
चीन में अखिल चीनी पैमाने पर मजदूरों का टेªड यूनियन केन्द्र ऑल चाइना फेडरेशन ऑफ टेªड यूनियन( ए-सी-एफ-टी-यू- १ मई १९२५ को अस्तित्व में आया था। इसका मुख्यालय बीजिंग में है। इस टेªड यूनियन केन्द्र की चीनी नवजनवादी क्रांति और बाद में सांस्कृतिक क्रांति के दौर में क्रांतिकारी भूमिका रही थी। लेकिन माओ त्सेतुंग की मृत्यु व चीन में पूंजीवादी पथगामियों के सत्ता में आने के बाद ए-सी-एफ-टी-यू- के नेतृत्व पर भी पूंजीवादी पथगामियों ने कब्जा कर लिया। इसके साथ ही ए-सी-एफ-टी-यू- चीन के पूंजीवादी शासकों का दुमछल्ला बन गयी। ए-सी-एफ-टी-यू- के नेतृत्व पर भले ही पूंजीवादी पथगामियों का कब्जा हो गया हो लेकिन इसके तहत संगठित अनेक सार्वजनिक उद्यमों के मजदूरों ने समय-समय पर नेतृत्व के खिलाफ जाकर पूंजीवादी शासकों की नीतियों का विरोध किया। मूलतः छंटनी निजीकरण व कार्यपरिस्थितियों के खिलाफ मजदूरों ने जबर्दस्त आंदोलन व हड़तालें की। चीनी शासकों ने मजदूरों का भारी दमन किया लेकिन मजदूर अपनी क्रांतिकारी विरासत व खासकर सांस्कृतिक क्रांति के अनुभवों को भूले नहीं हैं। इसलिए समय&समय पर मजदूरों के संघर्ष प्रचंड रूप में पूंजीवादी शासकों के सामने चुनौतियां प्रस्तुत करते रहे हैं।
सन् २००६ के आंकड़ों के अनुसार ए-सी-एफ-टी-यू- से ३१ प्रांतीय तथा १० राष्ट्रीय औद्योगिक यूनियनें संबद्ध हैं। इसमें १३ लाख २४ हजार जमीनी ट्रेड यूनियन संगठन जुड़े हैं। ये संगठन २७ लाख ५३ हजार उद्यमों एवं संस्थाओं का परतिनिधित्व करते हैं। ए-सी-एफ-टी-यू- की कुल सदस्यता १६ करोड़ ९९ लाख ४० हजार है। इसमें ६ करोड़ १७ लाख ७८ हजार महिला मजदूर हैं जो कुल सदस्यता का ३६-४ प्रतिशत है। इसके साथ ही इसमें प्रवासी मजदूरों की संख्या ४ करोड़ ९ लाख ७८ हजार है जो कि कुल सदस्यता का २४-१ प्रतिशत है। ए-सी-एफ-टी-यू-के तहत संगठित मजदूरों का प्रतिशत ७३-६ है। ए-सी-एफ-टी-यू-में ५ लाख ४३ हजार पूर्णकालिक तथा ४५ लाख ६८ हजार आंशिक कार्यकर्ता हैं। ए-सी-एफ-टी-यू- का नेतृत्व मूलतः सरकार व चीनी कम्युनिस्ट पाटी की संशोघनवादी नीतियों की वकालत करता है। लेकिन इसके बावजूद कार्यकर्ताओं व मध्यम श्रेणी के नेतृत्व के बीच से समय समय पर असंतोष प्रकट होता रहता है। इसके दबाव में इसके नेतृत्व को कुछ राहत प्रदान करने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
हालांकि चीन के ट्रेड यूनियन आंदोलन पर पूंजीवादी शासकों का एकाधिकार ए-सी-एफ-टी-यू-के माध्यम से कायम है फिर भी बगावत करके मजदूरों द्वारा स्वतंत्र टेªड यूनियनें कायम करने का सिलसिला जारी है। पूंजीवादी शासक इन यूनियनों को मान्यता नहीं देते हैं।
१९९२ में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने अपनी पूंजीवादी नीतियों को आगे बढ़ाते हुए समाजवादी बाजार अर्थव्यवस्था का नारा दिया। ए-सी-एफ-टी-यू- के नेतृत्व ने भी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के बाजार अर्थव्यवस्था पर आधारित नीतियों को समर्थन प्रदान किया तथा उत्पादकता बढ़ाने दूसरे अर्थ में मजदूरों की शोषण दर बढ़ाने की नीतियों का समर्थन किया। साथ ही इसने मजदूरों के हितों का संरक्षण करने की लफ्फाजी भी की।
१९९५ में सरकार ने राज्य नियंत्रित उद्यमों में सुधार की नीति को आगे बढ़ाने की घोषणा करते हुए मजदूरों की संख्या में कटौती तथा कार्यकुशलता बढ़ाने की वकालत की। इन नीतियों के फलस्वरूप मजदूरों की भारी छंटनी की गयी वहीं प्रबंधकों को मनमाने तरीके से घाटे को नियंत्रित करने मुनाफा बढ़ाने तथा मजदूरों की छंटनी करने के असीमित अधिकार दे दिये। मजदूरों का इन नीतियों के खिलाफ असंतोष बड़े पैमाने पर और खुले रूप में प्रकट हुआ।
ए-सी-एफ-टी-यू- द्वारा सरकार की पूंजीवादी नीतियों के समर्थन का विरोध अधिकाधिक बढ़ने लगा। ए-सी-एफ-टी-यू- को मजदूरों के इस बढ़ते असंतोष ने चिंतित कर दिया। उसकी यह चिंता उसके एक गुप्त दस्तावेज में जाहिर होती है। हेलान्जियांग प्रांत के किकिहा शहर की स्थानीय कमेटी द्वारा इस दस्तावेज में दर्ज बातें इस प्रकार हैं-
१- मजदूरों के असंतोष व प्रदर्शन की घटनायें बढ़ रही हैं तथा इनमें शामिल होने वाले मजदूरों की संख्या बढ़ रही है।
२- ये हड़तालें व प्रदर्शन सुसंगठित तथा बड़े पैमाने के हैं। इन्हें संगठित करने वाले लोग पार्टी सदस्य तथा मध्यम स्तर के कार्यकर्ता हैं जो कोई समस्या पैदा होते ही समाधान खोजने के लिए इनमें सम्मिलित हो जाते हैं। वर्तमान में एक उद्यम के मजदूर दूसरे उद्यम के मजदूरों से संपर्क कर विवाद को फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।
३- घटनाओं (मजदूर हड़तालों की संख्या बढ़ती जा रही है और स्थिति को सामान्य बनाने में कठिनाई बढ़ती जा रही है क्योंकि मूल कारणों का निवारण आसान नहीं है और इस तरह की घटनायें एक ही स्थान पर बार&बार घटित रही हैंA ४- इन घटनाओं में भाग लेने वाले लोगों की विविधता बढ़ती जा रही है तथा वह जटिल होती जा रही है। पहले इन घटनाओं में अवकाश प्राप्त (छंटनी शुदा या साघारण मजदूर होते थे लेकिन अब इन घटनाओं में अवकाश प्राप्त कार्यकर्ता पूर्व उद्यमों के पूर्व मैनेजर तथा विविध प्रकार के लोग शामिल हैं।
५- इन घटनाओं की प्रकृति लगातार गंभीर तथा सरकार विरोधी होती जा रही है। कुछ मजदूर बाजार अर्थव्यवस्था के नकारात्मक परिणामों उद्यमों में बढ़ते घाटे तथा अपनी बढ़ती कंगाली के कारण असंतुष्ट हैं। इन घटनाओं की विध्वंसात्मक प्रकृति बढ़ती जा रही है। शुरुआत में यह असंतोष सामूहिक याचिकाओं बैठकी हड़तालों तथा ज्ञापनों के रूप में सामने आता था लेकिन अब मजदूर सड़क जाम करने तथा रेलवे लाइन पर लेटने तथा और भी बुरे तरीके अपना रहे हैं।
उपरोक्त दस्तावेज मजदूरों के बढ़ते असंतोष को स्पष्ट जाहिर करता है। २१वीं शताब्दी के शुरुआत से ही राज्य नियंत्रित उद्यमों में अच्छी खासी संख्या में संघर्ष फूटने शुरू हो गए। अलग अलग उद्यमों के छंटनी शुदा या ले ऑफ किये गए मजदूरों ने हड़तालें सड़क जाम तथा बड़े पैमाने के प्रदर्शन करने शुरू कर दिए। मजदूरों के पास खुद को ए-सी-एफ-टी-यू- सरकारी यूनियन से अलग करने के अलावा कोई चारा नहीं था। मजदूरों ने कई बार ए-सी-एफ-टी-यू- से स्वतंत्र टेªड यूनियनें गठित करनी शरू कर दी। कारखाना स्तर पर मजदूर प्रतिनिघि सभा] वर्कर्स रिप्रेजेन्टेटिव कांग्रेस स्वतंत्र रूप से गठित होने लगी। यह ध्यान रखने की बात है कि ये कार्यवाहियां चीन में कानूनी तौर पर मान्य नहीं हैं। मजदूरों की इन गतिविधियों से चीनी शासकों व पार्टी को सामाजिक व राजनीतिक खतरे का आभास होता है।
डाकिंग तेल कंपनी के मजदूरों ने भी ऐसी ही एक यूनियन कमेटी ऑफ दि प्रोविजनल टेªड यूनियन्स ऑफ रिट्रेच्ड वर्कर्स] छंटनी शुदा मजदूरों की टेªड यूनियनों की अस्थाई समिति गठित की है। इस यूनियन के मजदूर अपनी यूनियन को मजदूरों की यूनियन तथा सरकारी ए-सी-एफ-टी-यू- को पूंजीपतियों की यूनियन कहते हैं।
अलोकप्रियता के भय के कारण ए-सी-एफ-टी-यू- लगातार मजदूरों की स्थिति सुधारने की लफ्फाजी करती है लेकिन वह वस्तुतः सरकार व पार्टी के बीच बिचौलिये का काम करती है। मजदूरों के बढ़ते असंतोष का यह परिणाम निकला है कि स्थानीय टेªड यूनियन का काम भी पार्टी और सरकार के स्थानीय संगठन अंजाम देते हैं।
इन स्थितियों में मजदूरों का एक हिस्से जिनमें राज्य नियंत्रित उद्यमों के मजदूर भी हैं का सरकारी यूनियन] ए-सी-एफ-टी-यू- से पूर्णतः अलगाव हो गया है और वे स्वतंत्र कार्रवाहियां करने की ओर बढ़े हैं। जहां मजदूरों के कानूनी हक मारे जाते हैं वहां मजदूर जब आवाज उठाते हैं तो उन्हें ए-सी-एफ-टी-यू- का समर्थन नहीं मिलता क्योंकि मजदूरों का प्रतिरोध पार्टी की प्राथमिकताओं सामाजिक स्थिरता व विकास के खिलाफ समझा जाता है।
कुछ राज्य नियंत्रित उद्यमों में मजदूरों के संघर्षों का संक्षिप्त वर्णन चीन के मजदूर आन्दोलन की इस नई करवट को उजागर कर देगा।
१३ मार्च २००१ को सिचुआन प्रांत की ग्वांगयेंग कपड़ा मिल के १००० से अधिक मजदूर हड़ताल पर चले गए। इन मजदूरों का आक्रोश सेवाशर्तों का मूल्यांकन तथा सरकार व नियोक्ता द्वारा सात वर्षों से उनके पेंशन फंड न देने के खिलाफ था। दो दिन तक मजदूरों ने सड़कें जाम कर दीं। भारी मात्रा में पुलिस बल भेजकर मजदूरों के असंतोष को कुचला गया। भारी संख्या में मजदूर जख्मी हुए तथा गिरफ्तार किये गये।
जुलाई २००१ में जिशू खदान ब्यूरो के ५००० मजदूरों ने जिलिन हार्बिन रेलवे लाइन को तीन दिन के लिए बंद कर दिया यहां ७५०० मजदूरों की छंटनी की गयी थी जबकि २३०० मजदूरों जो आधिकारिक तौर पर कार्यरत थे को अनियमित वेतन भुगतान किया जाता था तथा लगातार शिफ्टों में काम करना पड़ता था। कुछ मजदूरों का ३० माह से वेतन नहीं मिला था। रेल लाइन जाम करने के फलस्वरूप स्थानीय सरकार को एक माह का वेतन भुगतान करने के लिए फन्ड जारी करना पड़ा।
दिसंबर २००१ में डाकिंग शहर के कंबल फैक्ट्री की सैकड़ों महिला कामगारों ने नगर के पार्षद कार्यालय पर काम पर रखने के उचित मुआवजे तथा भ्रष्टाचार की जांच की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। पुलिस के साथ झड़प में कई प्रदर्शनकारी घायल हुए।
१६ दिसंबर २००१ को शांगफेंग कपड़ा मिल डाफेंग के २००० मजदूरों ने फैक्टरी के दीवालिया घोषित होने पर हड़ताल की। मजदूरों का कहना था कि फैक्टरी प्रबंघन द्वारा दीवालिया होने की घोषणा फर्जी है तथा ठेकेदारी के तहत आधे वेतन पर नए मजदूर रखने की मंशा से प्रेरित है। मजदूर कारखाने के भीतर काम करने से इंकार कर बैठ गए। इन मजदूरों को आस&पास के मजदूरों का समर्थन मिला। एक हफ्ते बाद भारी पुलिस बल की मदद से ही इन मजदूरों को कारखाने से बाहर किया जा सका।
सिचुआन डोगकाई इन्सुलेटिंग मैटरियल के १००० मजदूर २२ अपै्रल २००३ को पुनर्गठन के नाम पर काफी कम कीमत पर राज्य नियंत्रित उद्यम की बिक्री का विरोध करते हुए हड़ताल पर चले गए।
२० अगस्त २००३ में ५०० से ६०० के बीच मजदूरों ने शुआऊ फ्युअल एंड पंप और नोजल फैक्टरी हुबेई प्रांत के दीवालिया घोषित होने के बाद अपनी समस्याओं को लेकर शुआऊ नगर निगम पर प्रदर्शन किया।
१८&१९ नवंबर २००३ को जियांगयांग शहर के जियांगयांग ऑटो मोबाइल बियरिंग कंपनी लि ने कम्पनी के निजीकरण के बाद मजदूरों के श्रम अधिकारों की मांग को लेकर सड़क व रेल लाइनें जाम कर दी। आंदोलन के दौरान मजदूरों की पुलिस से हिंसक झड़पें हुई जिसमें कई मजदूरों को गंभीर चोटें आयी। पुलिस ने नौ पुरुष व एक महिला मजदूर को हड़ताल भड़काने के आरोप में अपराधी घोषित कर दिया तथा स्थानीय सुरक्षा ब्यूरो के समक्ष उपस्थित होने को कहा। बाद में मजदूरों ने सड़क व रेल लाइनों से जाम हटा लिया लेकिन उत्पादन करने से मना कर दिया।
जुलाई २००४ में हजारों छंटनी शुदा मजदूरों ने जो कि हांगझाऊ के दस राज्य नियंत्रित उद्यमों से थे ने उग्र प्रदर्शन किये तथा बैठकी हड़तालें की जो कि २००६ के अंत तक चलीं।
जियांगयांग कपड़ा मिल के ७०० मजदूरों ने जिनमें अघिकांश महिलायें थीं ने राज्य नियंत्रित उद्यम खरीदने के बाद नए प्रबंघकों द्वारा बुरी सेवा शर्तों को लागू करने के खिलाफ सितंबर २००४ में जबर्दस्त हड़ताल की जो कि अक्टूबर २००४ तक चली। २० मजदूरों को इस दौरान पुलिस ने गिरफ्तार किया। मजदूरों ने इस संघर्ष के दौरान कारखाना स्तर पर एक यूनियन गठित कर इसे ए-सी-एफ-टी-यू- से संबद्ध करने की कोशिश की। शहर के अधिकारियों ने जब यह सुना तो उन्होंने यह घोषित कर दिया कि कारखाने में पहले ही एक यूनियन है जो ए-सी-एफ-टी-यू- से संबद्ध है। अक्टूबर २००४ में ही गिरफ्तार मजदूर रिहा हो पाये।
जुलाई ११ से १५ तक फौजी उद्यम चेंगडू इंजन फैक्टरी के प्रबंधन द्वारा नई सेवा शर्तें लागू करने के खिलाफ हजारों मजदूरों ने शानदार हड़ताल की।
२६ जुलाई २०-०५ को यिबिन त्यान युआन कैमिकल कंपनी (सिचुआन के १००० सेवानिवृत मजदूरों ने पेंशन योजना में तब्दीली के खिलाफ हड़ताल की।
चीन की सबसे बड़ी ५०० कंपनियों में शामिल चोंगकिंग स्टील प्लांट के १८००० मजदूरों ने कंपनी के दिवालिया घोषित होने पर जुलाई २००५ में जबर्दस्त हड़ताल की १२ अगस्त २००५ को हजारों मजदूरों ने २००० युआन प्रतिवर्ष की मुआवजा राशि की मांग के साथ गलियों की नाकेबंदी कर दी। प्रदर्शन अक्टूबर २००५ तक चलते रहे। अक्टूबर को पुलिस द्वारा जबर्दस्त दमन किया गया जिसमें २ महिला मजदूर शहीद हो गयीं। सैकड़ों मजदूरों को गिरफ्तार कर लिया गया।
२० सितंबर २००५ को राज्य नियंत्रित निर्माण कंपनी के हजारों निर्माण मजदूरों ने शेनजाऊ शहर की गलियों में प्रदर्शन किया मजदूरों से कंपनी के पुनर्गठन के दौरान ४००० युआन देने की बात की गयी थी लेकिन उन्हें १००० से २००० युआन तक ही भुगतान किया गया था।
१४ नवंबर २००५ को शेनगिल तेल क्षेत्र के हजारों ले ऑफ किये गए मजदूरों ने कंपनी के प्रबंधकों के कार्यालयों का घेराव किया। ये घेराव कई दिन तक चला मजदूरों ने ले ऑफ को गलत ठहराते हुए अपनी सेवाओं की बहाली की मांग की।
६ मार्च २००६ को कुनमिंग म्यूनिसिपल टेक्सटाइल ग्रुप के ४ हजार मजदूरों ने कंपनी के पुनर्गठन के प्रयासों के खिलाफ ४ दिवसीय हड़ताल की। पुनर्गठन के तहत मजदूरों से ८ के बजाय १२ घंटा काम करने की मांग की जा रही थी।
१९ जुलाई २००६ को चीन के वाणिज्यिक व औद्योगिक बैंक के २०० कर्मचारियों ने ए-सी-एफ-टी-यू- मुख्यालय बीजिंग के सामने धरना दिया। मजदूर ए-सी-एफ-टी-यू- द्वारा उनके हितों की लड़ाई से मुंह मोड़ने के खिलाफ आक्रोशित थे।
१५ नवंबर २००६ में किंगयांग शहर के ऑटो मोबाइल कंपनी के १००० मजदूरों ने कंपनी के निजीकरण के खिलाफ उसके कार्यालय पर कब्जा कर लिया।
चीन के मजदूरों का चीनी शासक वर्ग की पूंजीवादी नीतियों के खिलाफ प्रतिरोध का सिलसिला जारी है। ये प्रतिरोध संघर्ष निश्चित तौर पर एक दिन देश व्यापी मजदूर उभार का रूप लेंगे। इसे चीनी शासक अच्छी तरह जानते हैं इसलिए वे अधिकाधिक दमनकारी नीतियां अपना रहे हैं । लेकिन चीन के मजदूर अपने गौरवशाली अतीत को भूले नहीं हैं। वे उस गौरवशाली अतीत को एक दिन वापस ले आयेंगे।
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